शुक्रवार, सितंबर 08, 2017

एक विधवा से रिजेक्ट हुआ था जहांगीर, हर रात लड़कियों पर उतारता था गुस्सा

आगरा। 
जहांगीर का जन्म 31 अगस्त को आगरा के फतेहपुर सीकरी में हुआ था। इस मुगल बादशाह का नाम उसकी बहादुरी से ज्यादा प्रेम संबंधों के कारण चर्चा में रहा। कभी नूरजहां तो कभी अनारकली के लिए इनकी दीवानगी के किस्से मशहूर हुए। इतिहासकार राजकिशोर राजे ने जहांगीर की लव स्टोरी शेयर की।
तवारीख ए आगरा बुक के राइटर और हिस्टोरियन राजकिशोर राजे बताते हैं, शेर अफगान शहंशाह अकबर की आर्मी का हिस्सा था। एक बार शिकार के दौरान अकबर पर एक शेर ने हमला कर दिया। तब वे हाथी की सवारी कर रहे थे, लेकिन शेर छलांग लगाकर उन तक पहुंच गया। अकबर के साथ चल रहे सिपाही ने जान पर खेलते हुए शेर पर हमला किया और उसे मार गिराया। इसी बहादुरी को देखते हुए अकबर ने उस सिपाही को शेर अफगान नाम दिया था।
वहीं दूसरी तरफ अकबर के बेटे जहांगीर की मुलाकात नूरजहां से हुई और वे उस पर फिदा हो गए। जहांगीर की पहले से कई बीवियां थीं। यही नहीं, उनके हरम में 1000 से ज्यादा लड़कियां मौजूद थीं। इसके बावजूद वे नूरजहां का दिल जीतना चाहते थे।
अकबर नहीं चाहते थे कि बेटे की शादी नूरजहां से हो। इसी वजह से उन्होंने नूरजहां के पिता से बात करके सन् 1594 में उसकी शादी शेर अफगान से करवा दी। इस बात ने जहांगीर के इश्क को दीवानगी का रूप दे दिया।
इस दौरान कई बार जहांगीर ने नूरजहां से मिलकर प्यार का इजहार किया और पति को तलाक देकर उनके पास आने के लिए कहा, लेकिन हर बार उसने इनकार कर दिया।
1905 में अकबर के निधन के बाद जहांगीर शहंशाह बन गया। दो साल बाद 1907 में शेर अफगान एक युद्ध के दौरान मारा गया। ऐसा कहा जाता है कि जहांगीर ने ही उसकी मौत की साजिश की थी। फिर भी नहीं मानी नूरजहां, गरीब लड़कियों पर उतारता रहा गुस्सा।
राइटर तनुश्री पोड्डर ने अपनी किताब एस्केप फ्रॉम हरम में नूरजहां से मिले रिजेक्शन के बाद जहांगीर के गुस्से के बारे में लिखा है।
उनकी किताब के मुताबिक जहांगीर चार साल तक विधवा नूरजहां को अपनी बेगम बनाने के लिए मनाते रहे। वो सिर्फ उसका शरीर नहीं, दिल भी जीतना चाहते थे। नूरजहां के रिजेक्शन का गुस्सा जहांगीर मासूम लड़कियों पर उतारता था। हर रात उनके लिए शहर से एक नई लड़की को लाया जाता था, जिसके साथ वे नूरजहां समझकर प्यार करता था।
राजकिशोर बताते हैं, "चार साल की मशक्कत के बाद नूरजहां ने शादी के लिए हामी भरी। दोनों का निकाह मई 1911 में हुआ।" जहांगीर ने से शादी करके उसे नूरजहां का नाम दिया। इससे पहले उसका नाम मेहरुन्निसा था।
नूरजहां एक तेजतर्रार महिला थी। शादी के बाद उसका हुकूमत की बागडोर में भी दखल था। नूरजहां की मौत के बाद जहांगीर ने लाहौर में दफनाया। यही नूरजहां की इच्छा थी।

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