बुधवार, सितंबर 27, 2017

जम्मू की उम्मीदों पर फिर नाकाम साबित हुई भाजपा

नहीं घोषित हुआ महाराजा हरि सिंह के जन्म दिवस पर सरकारी अवकाश
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
 
जम्मू-कश्मीर राज्य के आखिरी शासक महाराजा हरि सिंह के जन्मदिवस पर सरकारी अवकाश को लेकर लचर रुख अपनाने के कारण भारतीय जनता पार्टी जम्मू संभाग के लोगों की उम्मीदों पर एक बार फिर खरा नहीं उतर सकी और 23 सितंबर को सरकारी अवकाश घोषित नहीं हो सका। राज्य जम्मू-कश्मीर का देश में विलय करने का एतिहासिक फैसला लेने वाले महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की जम्मू की मांग पर कश्मीर केंद्रित राजनीति भारी पड़ी। जम्मू में महाराजा का जन्मदिन तो मनाया जा रहा है, लेकिन सरकारी छुट्टी नहीं हुई।
पीडीपी के दबाव में आकर भाजपा के नेताओं की इस मामले में चुप्पी को जम्मू की जनता अपने साथ विश्वासघात के रूप में देख रही है। जम्मू संभाग में भाजपा को पूर्ण बहुमत से जिताने के बाद संभाग की जनता को उम्मीदें थीं कि अब जम्मू को कश्मीर के आगे हर बार मुंह की नहीं खानी पड़ेगी, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी जम्मू संभाग की जनता की उम्मीदों पर पानी फिर गया और स्थानीय भाजपा नेता उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके।  कश्मीर केंद्रित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने सहयोगी भाजपा की मांग मानने के बजाए कश्मीर में अपने वोट बैंक को अधिक महत्व देकर 23 सितंबर को जम्मू में छुट्टी करने के मुद्दे को नकार दिया है।
शुक्रवार रात तक उम्मीद की जा रही थी कि इस संबंध में फैसला हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि राज्य में महाराजा के खिलाफ विद्रोह करते हुए मारे गए कश्मीर के निवासियों की याद में 13 जुलाई को शहीद दिवस मनाया जाता है। ऐसे में महाराजा के जन्मदिन के नाम पर अवकाश घोषित करने से कश्मीर में पीडीपी को अपना जनाधार खोना पड़ता। महाराजा के जन्मदिन पर छुट्टी के मुद्दे पर दोनों सत्ताधारी पार्टियों के हित टकराए व पीडीपी हावी रही।
उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने न सिर्फ इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से अलग से बैठक की थी, बल्कि पत्र लिखकर भी आग्रह किया था कि महाराजा ने राज्य के इतिहास में अहम भूमिका है। ऐसे में उनके जन्मदिन की छुट्टी घोषित कर लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया जाए।
छुट्टी न होने से अब भाजपा अंदर ही अंदर सुलग रही है। पीडीपी के छुट्टी न करने के फैसले का प्रभाव आधार क्षेत्र जम्मू में पडऩा लाजिमी है और पार्टी को विपक्ष के साथ कुछ सामाजिक, व्यापारिक संगठनों के गुस्से को भी झेलना पड़ सकता है। यह सब उस समय हुआ है, जब मुख्यमंत्री खुद भी जम्मू में मौजूद थींं।
भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री ने का कहना है कि पार्टी स्तर पर पूरी कोशिश की गई कि छुट्टी हो जाए, लेकिन सहयोगी पार्टी ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी। उन्होंने माना कि सहयोगी पार्टी के इस फैसले से पार्टी में रोष है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि वे अब अपने इलाकों में जनता के सामने क्या मुंह लेकर जाएं? उल्लेखनीय है कि जम्मू आधारित सभी राजनीतिक, सामाजिक संगठन पिछले कई दिनों से महाराजा के जन्मदिवस पर अवकाश घोषित करने की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। 18 सितंबर को चेंबर के जम्मू बंद में भी इस मांग को शामिल किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब देखना है कि जम्मू की जनता और भाजपा के स्थानीय नेता अपनी मांग पूरी न होने पर क्या फैसला करते हैं और आगे क्या रणनीति बनाते हैं?

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