बंदर हम इंसानों के पूर्वज माने जाते हैं यानी ऐसा कहा जाता है कि आज का इंसान इतिहास में कभी बंदर हुआ करता था।
वहीं कर्नाटक में एक ऐसा शख्स है, जिसके कारनामे इंसानों के कम, बंदरों वाले ज्यादा नजर आते हैं। इनका नाम है ज्योति राज।
बिना किसी सहायता के बड़ी-बड़ी पहाडिय़ों पर केवल हाथों के बल चढऩे वाले ज्योति राज के कारनामे देखकर हर कोई कहता है ओह माई गॉड, ये मेरा इंडिया।
ज्योति राज के इस शौक ने उन्हें नाम दिया मंकी मैन का। ज्योति को मंकी मैन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वो सीढ़ी सपाट, ऊंची दीवारों, खम्भों, पहाड़ों और चट्टानों पर बिना किसी मदद के चढ़ जाते हैं। दीवारों पर उल्टा लटककर शरीर को 90 डिग्री पर ले जाना भी ज्योति की कला का शानदार नमूना है।
ज्योति बताते हैं कि वे जीवन में निराश होने के बाद एक बहुत ऊंचे पत्थर के सामने खड़े थे और वहां उन्होंने तय किया था कि उस पत्थर की चोटी से कूद कर मर जाएंगे। मगर उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि वे उस चोटी तक पहुंचेंगे कैसे?
ठीक उसी वक्त वहां एक बंदर आया और बिना किसी रुकावट के वो उस पत्थर की चोटी पर आसानी से चढ़ गया। ज्योति भी बिना कुछ सोचे-समझे उसके पीछे-पीछे चढऩे लगे और फिर सीधे पत्थर की चोटी पर जाकर ही रुके।
वहां पहुंचकर ज्योति ने देखा कि नीचे लोगों को जमावड़ा लगा था, जो लगातार तालियां बजाकर ज्योति के इस काम की प्रशंसा कर रहे थे। ज्योति का ये टैलेंट उन्हें किसी भी डेयरिंग हीरो से ज्यादा शानदार बनाता है।
ज्योति का सबसे बड़ा अचीवमेंट है कि उन्होंने देश के दूसरे सबसे ऊंचे जोग वॉटरफॉल (830 फ़ीट) पर इसी तरह चढ़ाई करके रिकॉर्ड बनाया है। ज्योति बिना किसी हार्नेस या अन्य सेफ्टी गियर के ही किसी भी इमारत, दीवार या चट्टान पर चढ़ते हैं।
बंदर चाहे हमारे पूर्वज रहे हों, मगर ज्योति का फॉर्मूला उल्टा है। वे इंसान से बंदर होने की तरफ बढ़ रहे हैं।
इंसान से बंदर बनना इतना आसान भी नहीं था। इसके लिए ज्योति को अपनी 20 हड्डियां तुड़वानी पड़ी। इसके अलावा डॉक्टरों ने उनके शरीर में 4 रॉड भी डाली हुई है।
इतना कुछ होने के बाद भी ज्योति कहते हैं कि मेरी शरीर की हड्डियां टूटी हैं मगर मैंने कभी अपना दिल नहीं टूटने दिया। ज्योति को अपने हाथों की पकड़ पर पूरा भरोसा है और उसी पकड़ के जरिये ज्योति का सपना है बुर्ज खलीफा पर चढऩे का।
वहीं कर्नाटक में एक ऐसा शख्स है, जिसके कारनामे इंसानों के कम, बंदरों वाले ज्यादा नजर आते हैं। इनका नाम है ज्योति राज।
बिना किसी सहायता के बड़ी-बड़ी पहाडिय़ों पर केवल हाथों के बल चढऩे वाले ज्योति राज के कारनामे देखकर हर कोई कहता है ओह माई गॉड, ये मेरा इंडिया।
ज्योति राज के इस शौक ने उन्हें नाम दिया मंकी मैन का। ज्योति को मंकी मैन इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वो सीढ़ी सपाट, ऊंची दीवारों, खम्भों, पहाड़ों और चट्टानों पर बिना किसी मदद के चढ़ जाते हैं। दीवारों पर उल्टा लटककर शरीर को 90 डिग्री पर ले जाना भी ज्योति की कला का शानदार नमूना है।
ज्योति बताते हैं कि वे जीवन में निराश होने के बाद एक बहुत ऊंचे पत्थर के सामने खड़े थे और वहां उन्होंने तय किया था कि उस पत्थर की चोटी से कूद कर मर जाएंगे। मगर उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि वे उस चोटी तक पहुंचेंगे कैसे?
ठीक उसी वक्त वहां एक बंदर आया और बिना किसी रुकावट के वो उस पत्थर की चोटी पर आसानी से चढ़ गया। ज्योति भी बिना कुछ सोचे-समझे उसके पीछे-पीछे चढऩे लगे और फिर सीधे पत्थर की चोटी पर जाकर ही रुके।
वहां पहुंचकर ज्योति ने देखा कि नीचे लोगों को जमावड़ा लगा था, जो लगातार तालियां बजाकर ज्योति के इस काम की प्रशंसा कर रहे थे। ज्योति का ये टैलेंट उन्हें किसी भी डेयरिंग हीरो से ज्यादा शानदार बनाता है।
ज्योति का सबसे बड़ा अचीवमेंट है कि उन्होंने देश के दूसरे सबसे ऊंचे जोग वॉटरफॉल (830 फ़ीट) पर इसी तरह चढ़ाई करके रिकॉर्ड बनाया है। ज्योति बिना किसी हार्नेस या अन्य सेफ्टी गियर के ही किसी भी इमारत, दीवार या चट्टान पर चढ़ते हैं।
बंदर चाहे हमारे पूर्वज रहे हों, मगर ज्योति का फॉर्मूला उल्टा है। वे इंसान से बंदर होने की तरफ बढ़ रहे हैं।
इंसान से बंदर बनना इतना आसान भी नहीं था। इसके लिए ज्योति को अपनी 20 हड्डियां तुड़वानी पड़ी। इसके अलावा डॉक्टरों ने उनके शरीर में 4 रॉड भी डाली हुई है।
इतना कुछ होने के बाद भी ज्योति कहते हैं कि मेरी शरीर की हड्डियां टूटी हैं मगर मैंने कभी अपना दिल नहीं टूटने दिया। ज्योति को अपने हाथों की पकड़ पर पूरा भरोसा है और उसी पकड़ के जरिये ज्योति का सपना है बुर्ज खलीफा पर चढऩे का।
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