शुक्रवार, जून 30, 2017

चित्रों के माध्यम से 'नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर जागरूकता

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
मादक पदार्थों के हानिकारक प्रभावों के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए आबकारी विभाग ने आज जम्मू के बाल निकेतन के वेद मंदिर में 'ड्रग एब्यूज एंड ड्रंकेन ड्राइविंग पर पेंटिंग और स्लोगन लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया।
130 से अधिक बच्चों ने प्रतियोगिता में भाग लिया और कैनवास पर अपनी कल्पना को चित्रित किया।
जम्मू वाइन ट्रेडर्स एसोसिएशन और जम्मू बार और रेस्टॉरेंट/ होटल एसोसिएशन के सहयोग से आबकारी विभाग ने अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी कॉरपस कोष के तहत आयोजन किया था।
उल्लेखनीय है कि उत्पाद शुल्क विभाग ने इस वर्ष 'ड्रग एब्यूज एंड ड्रंकेन ड्राइविंग
विभाग ने आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल करने और दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों में तैनात तैनाती के लिए स्वास्थ्य विभाग के लिए आठ एम्बुलेंस भी दान की है।
उप एक्साइज कमिश्नर जम्मू सईद मुरुद हुसैन शाह, ने जसविंदर मंहास, स्वर्ण राजपूत, पूजा कुमारी, रक्षा ठाकुर, पाल ठाकुर सहित, 1, 2, 3, 4 और 5 वें पुरस्कार के साथ विजेताओं को क्रमश: 1500, 1250, 1000, 750 और 500 रु से पुरस्कृत किया। 1000 का विशेष पुरस्कार यूकेजी की दुर्गा को दिया गया था
इस अवसर पर ईटीओ उत्तर तन्ना महाजन, ईटीओ मनोरंजन सौरभ शर्मा, जम्मू वाइन ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चरण जीत सिंह और अन्य पदाधिकारी तथा विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
के दोषों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है।

गुलमर्ग हादसे पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री ने जताया गहरा दुख

 गंडोला टूटने से हो गई सात लोगों की मौत
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर। 
राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने आज गुलमर्ग पर्यटक स्थल पर हुए एक दर्दनाक हादसे में हुई मौतों पर गहरा दुख जताया।
अपने शोक संदेश में राज्यपाल ने शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना प्रकट करते हुए मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आज में गुलमर्ग में हुए दर्दनाक हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया, जिसमें एक गंडोला सवारी के दौरान 3 स्थानीय युवाओं सहित एक परिवार के 4 पर्यटक सदस्यों की मृत्यु हो गई।
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग, पुलिस तथा अन्य सम्बंधित एजैंसियों को पर्यटकों के मृत शरीरों को उनके घरों में भेजने के लिए हर सम्भव सहायता देने के निर्देश दिये।
महबूबा मुफ्ती ने इसी हादसे में मारे गये 3 स्थानीय युवाओं के परिवारों के साथ भी संवेदना प्रकट की।
उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने  गुलमर्ग गंडोला स्थल पर एक दर्दनाक हादसे में 4 पर्यटकों सहित 7 व्यक्तियों की मृत्यु पर गहरा दुख जताया।
अपने शोक संदेश में उपमुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना प्रकट करते हुए मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी।
इसके उपरांत डॉ. सिंह ने अधिकारियों को पर्यटकों के मृतक शरीरों को उनके घरों पर स्थानांतरित करने हेतु शीघ्र प्रबंध करने तथा उनके सम्बंधियों को पूरी सहायता देने के लिए कहा।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री बाली भगत तथा पीएचई मंत्री चौधरी शाम लाल ने आज गुलमर्ग पर्यटक स्थल पर हुए एक दर्दनाक हादसे में 4 पर्यटकों सहित 7 व्यक्तियों के निधन पर दुख जताया।
अपने शोक संदेश में मंत्रियों ने शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना प्रकट करते हुए मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दुआ मांगी।

महबूबा ने स्मार्ट सिटी सूची में श्रीनगर, जम्मू को शामिल करने के केंद्र का निर्णय स्वागत किया

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।
मुख्यमंत्री महबूबा शनिवार को ने श्रीनगर और जम्मू शहरों को आधुनिक शहरों की तर्ज पर स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के तहत विकसित करने के लिए स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के केंद्र सरकार का निर्णय स्वागत किया है।
स्मार्ट सिटी की सूची में दो शहरों को शामिल करने का निर्णय केंद्रीय नगर विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कल नई दिल्ली में घोषित किया।
आज यहां जारी एक बयान में, मुख्यमंत्री ने इसे ऐतिहासिक महत्व का निर्णय बताया, जो दोनों राजधानी शहरों की योजनाबद्ध, भविष्य और पर्यावरण के अनुकूल विकास के नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के दो शहरों को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के साथ पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार का एक बड़ा वादा पूरा हो गया है।
दो गठबंधन दलों द्वारा किए गए वादों के अनुसार मुख्यमंत्री ने आवास व शहरी विकास के संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि जल्द से जल्द लोगों को गुणवत्ता प्रदान करने के लिए वे दोनों शहरों में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लागू करने के लिए तेजी से काम करना शुरू करें।
यहां उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी योजना का उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र के विकास और दोहन तकनीक को सक्षम करके शहरों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी जो स्मार्ट परिणाम की ओर ले जाती है, में सुधार करना है। क्षेत्र आधारित विकास से मौजूदा योजनाओं को बेहतर योजना में बदलने की उम्मीद है, जिससे पूरे शहर की जीवंतता में सुधार होगा। हरित आवरण को बढ़ाने के लिए शहरों के आसपास बड़े पैमाने पर ग्रीनफील्ड विकसित किए जाएंगे और इस योजना के तहत मनोरंजन और अन्य सामाजिक गतिविधि के अवसर भी बनाए जाएंगे।
यह योजना बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं में सुधार के लिए शहरों को प्रौद्योगिकी, सूचना और डेटा का उपयोग करने में सक्षम करेगी। इस तरह से व्यापक विकास से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, रोजगार बनाने और सभी, विशेष रूप से गरीब और वंचितों, की आमदनी में वृद्धि, समेकित शहरों में अग्रणी होगा।

दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचें: अल्ताफ बुखारी ने निजी स्कूलों को कहा

हुस्न-ए-नाट में भाग लेने वाले छात्रों की प्रशंसा की, पोजिशन हासिल करने वालों के लिए 5000 रुपये की घोषणा की
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर। 
शिक्षा मंत्री सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने आज कहा कि निजी स्कूलों को दूरदराज के क्षेत्रों, जहां कम या कोई स्कूल नहीं है, में शिक्षा प्रदान करने की जरूरत है ।
बुखारी ने कहा, 'शहरी शिक्षा में निजी स्कूलों का बड़ा हिस्सा है और अब उन्हें शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने निजी स्कूल एसोसिएशन, जे एंड के द्वारा आयोजित पहली इंटर स्कूल राज्य स्तरीय संगोष्ठी और नाट प्रतियोगिता, हुस्न-ए-नाट समारोह के दौरान यह टिप्पणियां कीं। बुखारी इस कार्यकम्र के मुख्या अतिथि थे।
इस अवसर पर सचिव शिक्षा, फारूक अहमद शाह भी मौजूद थे।
मंत्री ने सिंपोसियम और नाट प्रतियोगिता में अव्वल रहने वाले विद्यार्थियों के बीच पुरस्कार और स्मृति चिन्ह वितरित किए।
बुखारी ने प्रतियोगिता के आयोजन के लिए निजी स्कूलएसोसिएशन को बधाई दी और प्रत्येक पोजीशन हायिसल करने वाले के लिए 5000 रूपये की अतिरिक्त राशि की घोषणा की।
बुखारी ने कहा, 'इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से, छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मौका मिलता है और इस तरह उनका विश्वास बढ़ जाता है। इस अवसर पर बुखारी ने कहा कि निजी स्कूल शिक्षा के संबंध में अच्छी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और हम उन्हें प्रतियोगियों के बजाय अपने सहयोगियों के रूप में मानते हैं।
इसी के साथ, उन्होंने सवाल उठाया कि छात्र जब निजी स्कूलों में उच्च राशि का भुगतान कर रहे है तो उन्हें कोचिंग केंद्रों में शामिल होने की आवश्यकता क्या है।
बुखारी ने निजी स्कूल वालों से पूछा, ''मैं समय-समय पर निजी स्कूलों से इस मामले को देखने के लिए कह रहा हूं कि उनके छात्रों को कोचिंग में भाग लेने की आवश्यकता क्यों है। क्या निजी विद्यालयों में अच्छा संकाय नहीं है? जहां समस्या है उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में, सरकार शिक्षा की सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह निजी शिक्षा प्रणाली या सरकारी संस्थानों के साथ हो।

जीएसटी कार्यान्वयन: बेग ने सर्व दलीय परामर्श ग्रुप की बैठक की अध्यक्षता की

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।

जम्मू-कश्मीर में जीएसटी कार्यान्वयन पर सर्वसम्मति तैयार करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित सर्व दलीय परामर्श ग्रुप की बैठक पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं
सर्व दलीय परामर्श ग्रुप के सदस्यों में नेशनल कांफ्रेंस से अब्दुल रहीम राथर, पीडीपी के निजाम-उद-दीन भट्ट, भाजपा के सुनील शर्मा, कांग्रेस से एजाज अहमद खान, हकीम मुहम्मद यासीन (पीडीएफ अध्यक्ष), गुलाम हसन मीर (डीएनपी चीफ) और निर्दलीय विधायक पवन गुप्ता और अब्दुल राशिद शेख  शामिल हैं।
वित्त मंत्री डा हसीब द्राबू ने गुरुवार को बैठक के लिए सर्व दलीय परामर्श ग्रुप के सदस्यों को निमंत्रण भेजा था।
नेकां और कांग्रेस के प्रतिनिधियों को छोड़कर परामर्श समूह के सभी सदस्यों ने बैठक में भाग लिया।
कानून एवं न्याय मंत्री अब्दुल हक, वित्त मंत्री डा हसीब द्राबू, मुख्य सचिव बी बी व्यास, वित्त सचिव नवीन कुमार चौधरी, आयुक्त वाणिज्यिक कर एम आई खातिब और अन्य अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
बैठक में शब-ए-कदर के दौरान जामिया मस्जिद श्रीनगर के पास मारे गए डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को श्रद्धाजंलि दी गई।
बैठक में जीएसटी शासन के कानूनी, विधायी, वित्तीय और आर्थिक पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसमें नए कर व्यवस्था की बारीकियों को विस्तार से समझाया गया था।
बैठक में एक सामान्य सहमति थी कि जीएसटी शासन का असहत्व राज्य में आर्थिक और वित्तीय अराजकता पैदा करेगा और जम्मू-कश्मीर के बीच अंतर-राज्य के व्यापार को एक बड़ा झटका लगेगा।
बैठक में, लोगों को राजनीतिक गतियों के लिए पारित कर दिया गया संदेह और गलत धारणाओं को दूर करने के लिए कहा गया।
बैठक के समापन पर बोलते हुए, मुजफर हुसैन बेगघ ने कहा कि मंच में जीएसटी पर चलने वाले तीनों रास्तों में एकमत है, जिसमें व्यापक राजनीतिक सहमति बनाने के लिए आगे समय लेना, इस मामले को विधायिका के पास ले जाने और जम्मू कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति के प्रकाश में अनुमति देने के लिए राज्य कैबिनेट से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा।
राज्य में जीएसटी कार्यान्वयन पर सर्वसम्मति बनाने के लिए सरकार द्वारा यह दूसरा प्रयास है। इससे पहले, 13 जून को मुख्यमंत्री महबूबा शनिवार को की अध्यक्षता में एक सर्व दलीय बैठक इस मुद्दे पर बुलाई गई थी।
 राज्यपाल ने ईद-उल-फितर पर लोगों को बधाई दी
श्रीनगर। राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने आज ईद-उल-फितर के शुभ अवसर पर जम्मू कश्मीर के लोगों को हार्दिक बधाई दी।
अपने शुभकामना संदेश में राज्यपाल ने आशा जताई कि यह पवित्र त्यौहार राज्य के लिए शांति, प्रगति एवं समृद्धि का प्रतीक होगा तथा यह त्यौहार साम्प्रदायिक सौहार्द, भाईचारे तथा समानता, जिसके लिए जम्मू कश्मीर राज्य सदियों से जाना जाता है, की भावना को मजबूत बनाएगा। राज्यपाल ने राज्य के लोगों की सुख व समृद्धि के लिए प्रार्थना भी की।
हज व औकाफ राज्य मंत्री, सैयद फारूक अहमद अंद्राबी ने आज लोगों को ईद-उल-फितर पर बधाई दी है।
अपने संदेश में, सैयद अंद्राबी ने राज्य तथा उसके लोगों की शांति, प्रगति व समृद्धि के लिए कामना की

सांसद मुजफर हुसैन बेग की अध्यक्षता में आज यहां हुई।

सरकार राज्य भर में खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करने की इच्छुक: लाल सिंह

सोनीपत कुरुस्क चैम्पियनशिप के विजेताओं को सम्मानित किया
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। 
वन, पर्यावरण मंत्री चौधरी लाल सिंह ने  कहा कि खेल संस्.ति को पुनर्जीवित करने और प्रतिभाशाली युवाओं को उनके कौशल को परिष्कृत करने व प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा राज्य में पर्याप्त खेल ढांचे का निर्माण किया गया है। मंत्री गांधी नगर में आज आयोजित एक समारोह में एसोनिपत (हरियाणा) कुरुस्कीक चौंपियनशिप में स्वर्ण और कांस्य पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन करने वाले विजेताओं को सम्मानित करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे।
सोनिपत (हरियाणा) में आयोजित राष्ट्रीय कुरुसक चौंपियनशिप में भानु प्रताप ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया और संजना मन्हास, मुनीश शर्मा, निर्भय सिंह, अभय, करण और शुभम शर्मा कांस्य पदक जीता है।
चौधरी लाल सिंह ने कहा कि सरकार अधिक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। उनका कहना है कि खेल युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक उद्देश्यों की ओर अग्रसर करने और उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने में सहायता करते हैं।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने खेल के बुनियादी ढांचे को सु.ढ़ और अपग्रेड करने के लिए कई मेगा परियोजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि  तहसील और जिला स्तर पर खेलकूद और स्टेडियमों के निर्माण के लिए करोड़ों रुपये निर्धारित किए गए हैं ताकि विभिन्न प्रेमियों को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किए गए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराए जा सकें।
चौधरी लाल सिंह ने सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए युवा पीढ़ी से आग्रह किया जो उनके शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होने के लिए आवश्यक हैं।

राष्ट्र्रपति पद के उम्मीदवार कोविंद चुनाव प्रचार के लिए श्रीनगर में

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर ।
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवार रामनाथ कोविंद अपने चुनाव प्रचार के लिए 28 जून को ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंच रहे हैं। वह राज्य में सत्तासीन पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के विधायकों और एमएलसी से मिलेंगे।
संबंधित अधिकारियों ने बताया कि रामनाथ कोविंद के संग केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी होंगे।श्रीनगर पहुंचने के बाद रामनाथ कोविंद सीधे मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के निवास पर जाएंगे। वहीं पर उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह, पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद अहमद लोन व राज्य में सत्तासीन गठबंधन में शामिल सभी दलों के विधायकों व एमएलसी से भेंट करेंगे।सूत्रों ने बताया कि सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों व नेताओं के साथ रामनाथ कोविंद की मुलाकात और बैठक के लिए अभी किसी जगह को अंतिम रूप से तय नहीं किया गया है।
यह मुख्यमंत्री के निवास के अलावा एसकेआइसीसी में भी हो सकती है।इस दौरान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडु सत्ताधारी गठबंधन के सभी विधायकों को संबोधित करते हुए उन्हें राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में विभिन्न पहलुओं से अवगत कराएंगे।
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भी इस मौके पर विधायकों को संबोधित कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में 87 विधायक हैं, जिनके कुल वोट 6264 होते हैं। प्रत्येक विधायक के 72 वोट गिने जाएंगे। राज्य के 87 विधायकों में 55 एनडीए के हैं।

अमरनाथ यात्रा पर हमले कर देश भर में दंगे करवाना चाहते हैं आतंकवादी

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।

कश्मीर में आतंकवादी अब अमरनाथ यात्रा पर हमले की फिराक में हैं और उनका मकसद बड़ी संख्या में अमरनाथ यात्रियों को हताहत कर देशभर में सांप्रदायिक दंगे करवाने का है। कश्मीर जोन के पुलिस महानिरीक्षक ने एक बेहद गोपनीय
इस चिट्ठी में कहा गया है कि आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रा में विघ्न पैदा करने के लिए अपनी रणनीति बदली है। उनकी योजना है कि यात्रा के दौरान इस तरह हमला किया जाए कि 100-150 यात्री हताहत हों और साथ ही पुलिस के जवानों व अफसरों को भी बड़े पैमाने पर निशाना बनाया जाए। ऐसे हमले से देशभर में सांप्रदायिक दंगे शुरू हो जाएंगे और उनका काम आसान हो जाएगा। हमले की आशंका के चलते जम्मू-कश्मीर पुलिस को रैड अलर्ट पर रखा गया है।
29 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा हमेशा आतंकियों के निशाने पर रही है, लेकिन इस बार कश्मीर में हालात पहले की तुलना में ज्यादा बिगड़े हुए हैं।
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए इस बार दोनों यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की संख्या पर भी बंदिश लगाई गई है। पहलगाम और बालटाल मार्गों से 7500-7500 श्रद्धालुओं को ही प्रतिदिन यात्रा करने की अनुमति मिलेगी। इसमें हेलिकॉप्टर सेवा का इस्तेमाल करने वालों को शामिल नहीं किया गया है।
अमरनाथ यात्रा 29 जून से आरंभ होकर सात अगस्त तक कुल 40 दिनों तक चलेगी। इस बार भी वार्षिक यात्रा में 13 साल से छोटे बच्चे व 75 साल से अधिक आयु वाले शामिल नहीं हो सकते।बालटाल और चंदनबाड़ी मार्ग से यात्रा करने के लिए अभी तक 2.40 लाख श्रद्धालु पंजीकरण करवा चुके हैं। यात्रा करने के लिए पहले की तरह ही श्रद्धालु के लिए स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र लेना जरूरी है। प्रमाण-पत्र केवल विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा नियुक्तकिए गए डॉक्टरों से ही मान्य होगा। यात्रा से संबंधित सभी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है।
यात्रा के दौरान यात्रियों को हर कदम पर क्या करना चाहिए, इसकी पूरी जानकारी बोर्ड की वेबसाइट पर डाली जा रही है। बिना पंजीकरण किसी भी श्रद्धालु को यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।
हर दिन बदलेगा परमिट का रंग
पिछले वर्ष काफी श्रद्धालुओं से यात्रा पंजीकरण परमिट बरामद हुए थे। ऐसे में बोर्ड ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार हर दिन यात्रा पंजीकरण परमिट का रंग निर्धारित किया है।
पहलगाम रूट - सोमवार-घिया रंग। मंगलवार - पिंक, बुधवार - बैंगनी। वीरवार - पीच। शुक्रवार - लेमन। शनिवार - नीला। रविवार -  हल्का पीला रंग। बालटाल रूट : सोमवार-लेमन रंग। मंगलवार - नीली। बुधवार - हल्का पीला। वीरवार - घिया। शुक्रवार - पिंक। शनिवार - बैंगनी। रविवार - पीच।
कश्मीर मे कट्टरपंथी ताकतो के सक्रिय होने का असर एक दशक से यात्रा पर धीरे धीरे पड़ता नजर आ रहा है। दो साल से कश्मीर मे आतंकवादी हमलो मे भी वृद्धि हुई है। कुलगाम, पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग ङ्क्षहसा से ज्यादा प्रभावित है। श्रीनगर, सोपोर, गांदरबल मे पथराव व ङ्क्षहसा की घटनाएं हो रही हैं।
बेरीनाग से अनंतनाग की तरफ रास्ता जाता है जिससे पहलगाम रूट के जरिये यात्रा करते हैं। गांदरबल से बालटाल रूट से यात्रा की जाती है। सारे इलाको मे सेना, सीआरपीएफ, पुलिस की पर्याप्त तैनाती की तरफ सरकार का ध्यान रहेगा।
आठ जुलाई 2016 को हिजबुल कमांडर बुरहानी वानी सुरक्षा बलो के साथ मुठभेड़ मे मारा गया था। उसके बाद ही कश्मीर मे ङ्क्षहसा का दौर शुरू हुआ जो आज तक थमा नही है। यात्रा के दौरान ही आठ जुलाई को बुरहान वानी के मरने का एक साल पूरा हो रहा है। ऐसे मे शरारती तत्व नापाक मंसूबो को अंजाम देने की कोशिशे कर सकते हैं। पिछले दिनो केद्रीय गृह मंत्री बैठक भी कर चुके हैं।
राज्य के मुख्य सचिव बीबी ब्यास व पुलिस महानिदेशक डॉ. एसपी वैद दिल्ली जाकर उच्च स्तरीय बैठक मे भाग ले चुके हैं। लंगर लगाने वाले संगठन सरकार व श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से मिल कर सुरक्षा का मुद्दा उठा चुके है। सरकार से लंगर संगठनो को भरोसा दिलाया जा रहा है कि उन्हे पर्याप्त सुरक्षा मिलेगी।
यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण एक मार्च से शुरू हुआ था। अब तक 1.70 लाख श्रद्धालुओ ने देशभर मे पंजीकरण करवा लिया है। सरकार की कोशिश होगी कि यात्री जम्मू मे सुरक्षा दस्ते के साथ ही यात्रा पर जाए। अधिकतर श्रद्धालु सीधे जम्मू मे रुके बिना अपने वाहनो मे पहलगाम व बालटाल पहुंच जाते हैं। सुरक्षा एजेसियो, प्रशासन व अन्य विभागो मे बेहतर तालमेल कायम किया जा रहा है।
जम्मू व श्रीनगर मे करंट पंजीकरण के भी प्रबंध होगे। बड़ी संख्या मे ऐसे यात्री आते है जिन्होने एडवांस पंजीकरण नही करवाया होता है। प्रशासन व श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से जम्मू मे करंट पंजीकरण के काउंटर यात्रा शुरू होने के अगले दिन से लगेगे।


चिट्ठी में इस बात की जानकारी देकर महकमे को अलर्ट किया है।

अमरनाथ यात्रियों को एक ही जगह देना होगा टोल टैक्स

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।

बाबा अमरनाथ की यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को टोल टैक्स के लिए परेशानी नहीं होगी। उन्हें जगह-जगह टोल टैक्स देने के स्थान पर एक ही जगह टैक्स देना होगा। इसके लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी यात्रा के आधार शिविर में ही कैंप स्थापित करेगी। यहीं पर लखनपुर से लेकर भवन तक के रास्ते में जितने भी टोल प्लाजा आते हैं, उनका टैक्स ले लिया जाएगा। इससे जाम की स्थिति से बचा जा सकेगा। यह कदम सुरक्षा के लिहाज से भी उठाया गया है। इस समय लखनपुर, बन, चनैनी व कश्मीर में भी टोल टैक्स देना पड़ता है। टूरिज्म विभाग की डायरेक्टर स्मिता सेठी ने कहा कि श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पर्यटन विभाग पूरी तरह तैयार है। उनकी सुविधा के लिए कई कदम उठाए गए हैं। यात्रा के आधार शिविर भगवती नगर की दूसरी मंजिल को वातानुकूलित बना दिया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि आधार शिविर में एयर कंडीशनर लगाए गए हैं। आधार शिविर में 1400 यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। दूसरी मंजिल पर गर्मी होने की श्रद्धालु शिकायतें करते थे। इस बार यह फैसला हुआ कि इसमें एयर कंडीशनर लगाए जाएं।शविर में एक स्टॉल लगाया है। इसमें राज्य की हस्तकला को दर्शाया जाएगा ताकि लोग यहां से यादगार के तौर पर इन चीजों को ले जा सकें।
बाबा अमरनाथ की यात्रा में अधिक से अधिक लोग आएं, इसके लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए टूरिज्म विभाग प्रचार भी कर रहा है। कई जगह होर्डिग्स और बैनर लगाए गए हैं ताकि लोगों को यात्रा के बारे में जानकारी दी जा सके।

ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु कतार मे

 तत्काल पंजीकरण को आने वाले सभी श्रद्धालुओं को जारी किए जाएंगे टोकन
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
श्री बाबा अमरनाथ यात्रा पर जाने के इच्छुक श्रद्धालुओं का इंतजार अब खत्म होने वाला है। यात्रा के लिए बुधवार को जम्मू के भगवती नगर स्थित आधार शिविर से पहला जत्था रवाना होगा। श्रद्धालु 29 जून को पवित्र गुफा में पहला दर्शन करेंगे। इसके साथ यात्रा के लिए मंगलवार से तत्काल पंजीकरण भी शुरू हो रहा है।
यात्रा के लिए श्रद्धालुओं व साधु-संत जम्मू में पहुंचना शुरू हो गए हैं। इस बार यात्रा के लिए करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण करवाया है। वहीं, कई ऐसे श्रद्धालु भी हैं, जो कि तत्काल पंजीकरण करवा कर ही यात्रा में जाते हैं। उनके लिए मंगलवार से तत्काल पंजीकरण संगम रिजार्ट में शुरू होगा। वहां पर श्रद्धालुओं को टोकन दिए जाएंगे और उसके बाद उन्हें अपने स्वास्थ्य प्रमाणपत्र बनाने होंगे। श्रद्धालुओं के लिए चार स्थानों पर स्वास्थ्य प्रमाणपत्र बनाने की सुविधा रखी गई है।
इनमें वैष्णवी धाम, सरस्वती धाम, महाजन हॉल और राम मंदिर शामिल हैं। राम मंदिर में सिर्फ साधुओं के ही स्वास्थ्य प्रमाणपत्र बनाए जाएंगे।जम्मू के डिप्टी कमिश्नर राजीव रंजन ने बताया कि जितने श्रद्धालु भी तत्काल पंजीकरण के लिए आएंगे, उन सभी को टोकन दे दिए जाएंगे।
इसके बाद बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा दिए जाने वाले कोटे के आधार पर ही श्रद्धालुओं का तत्काल पंजीकरण कर उन्हें भेजा जाएगा। श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयारियां पूरी कर दी गई हैं। वहीं, जम्मू के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. रबींद्र खजूरिया ने बताया कि स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के लिए सभी तैयारियां की गई हैं। डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात कर दिया गया है।
इसके अलावा भगवती नगर में भी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया। यहां मंगलवार से स्वास्थ्य केंद्र ने चौबीस घंटे काम करना शुरू कर दिया। इसके अलावा लंगर की सुविधा व आधार शिविर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है।

बुधवार, जून 28, 2017

मैं बापू की बकरी हूँ

छत्रपाल

जी हां, मैं ही हूँ बापू की बदनसीब बकरी। मेरा शरीर सूखकर पिंजर बन चुका है। अधिकांश बाल झड़ चुके हैं और चिरे हुए होठों पर छाले हैं। मेरी यह हालत कांगे्रस-घास के कारण हुई है। नेहरू के बाद पूरे देश में जिस प्रकार कांग्रेस घास फैली हैं, उसके कारण मुझे खाने के लिए स्वच्छ घास नहीं मिल रही। मैं वर्षांे से भूखी हूं। इसे विडंबना ही कहो कि मैंने बापू से उपवास का जो प्रशिक्षण लिया था, उसी ने मुझे भूखा मरने से बचाए रखा। पूरा देश मेरा और मेरे मालिक का अपराधी है। सभी मांसाहारी हो चुके हैं। अहिंसा के देवता के देश में लोग इतने नृशंस हो चुके हैं कि उसी की बकरी को खाने के लिए तत्पर हैं। मैं सभी देशवासियों से छिपकर मृत्यु की प्रतीक्षा कर रही हूं। यदि  लोगों को पता चल जाता कि मैं बापू की बकरी हूं तो वे बापू के सिद्धांतों की भांति मुझे भी नोचकर लहुलुहान कर देते। मैं भूख से तड़प रही हूँ। क्या किसी के पास मेरे लिए थोड़ी सी अहिंसक घास है? जिस खेत का किसान शोषण का शिकार नहीं होता, मुझे उस खेत के घास के दो तिनके ला दो। जिस गांव, कस्बे या नगर में कांग्रेस घास का प्रकोप नहीं फैला है, मेरे लिए वहां से दो मु_ी अनाज ला दो। मुझे ठेठ देसी बीज से उगी फसल की चार बालियां ला दो जिस पर रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग न हुआ हो। यदि कुछ नहीं कर सकते तो मेरे लिए ऐसी दो बीघा जमीन ढंूढ दो जो कांग्रेस घास से मुक्त हो। यह घास भ्रष्टाचार से भी तेज गति से फैलती है और जहां एक बार अपनी जड़ें जमा लेती है, वहां से इसे हटाना असंभव है। निरकुंश शासकों और पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता पर काबिज रहने वाले वंशों की भांति इसे भी समूल नष्ट करना दुष्कर कार्य है। कहीं ढंूढ सकते हो मेरे लिए ऐसी जमीन जहां कांग्रेस घास के विषैले पौधे न हों और खेत प्रदूषण मुक्त हो। दूर से लहलहाती हरियाली देख कर मैं प्रसन्नता से झूम उठती हूँ कि मेरे मालिक का लगाया उपवन कितना हरा भरा है। मैं उतावली होकर अपना पेट भरने के लिए पास आती हूँ तो मेरा भ्रम टूट जाता है, अरे यह तो घातक कांग्रेस ग्रास है जो वर्षों  गुजरने के साथ-साथ लाखों हैक्टेयर जमीन पर अपना कब्जा जमाकर बैठ गई। यह घास इस कदर विषैली हो चुकी है कि इसे अब समझदार लोग हाथ लगाने से भी डरते हैं। इसे एक बार जो छू लेता है, उसे त्वचा संक्रमण हो जाता है। फिर यह संक्रमण भीतर ही भीतर कहीं गहरे जा पहुंचता है और पूरी जमीन पर रक्तबीज की तरह फैल जाता है। भ्रष्टाचार की भांति ही इस कांग्रेस-घास ने पूरे देश को ग्रसित कर लिया है और मुझे दो ग्रास तक नहीं मिल रहे। भूख से अधिक मैं इस बात से व्यथित हूँ कि मेरे फकीर मालिक  के कत्ल के बाद उसके वारिसों ने उसके सिद्धांतों के उपवन को उजाड़ दिया। अच्छा होता यदि मुझे भी मेरे मालिक की भांति कोई गोली मार देता।

समय पर काम न करना बुरी बात


सुरेश और भोलू पक्के दोस्त थे। पढ़ाई-लिखाई हो या अन्य कोई काम-काज वे दोनों ही काफी होशियार थे। सुरेश और भोलू में यूं तो हर तरह से समानता थी यदि कोई असमानता थी तो बस यह कि सुरेश अपने सभी काम-काज समय पर निपटा लेता था जबकि भोलू समय का पाबंद नहीं था। काम समय पर न करने के कारण स्कूल हो या घर हर जगह भोलू को डांट खानी पड़ती थी। भोलू का समय का पाबंद न होना उसके दोस्त सुरेश को भी कतई पसंद नहीं था। वह भोलू से अक्सर इस बात को लेकर नाराज रहता था किन्तु भोलू सुरेश को किसी न किसी तरीके से मना लेता था।
एक दिन स्कूल में सुरेश और भोलू के गीतों का प्रोग्राम था। सुरेश और भोलू मिलकर जिस तरह से किसी गीत को गाते थे उनके गीतों का हर कोई दीवाना होता था। संगीत का प्रोग्राम रात आठ बजे शुरू होना था। सुरेश तो समय पर पहुंच चुका था किन्तु भोलू की लेट-लतीफी थी कि वह नौ बजे तक भी प्रोग्राम में नहीं पहुंचा था। सुरेश को भोलू पर गुस्सा तो बहुत आया किन्तु प्रोग्राम न बिगड़े इस डर से उसने अकेले ही माइक को संभाले रखा। जब तक भोलू प्रोग्राम में पहुंचा आधे श्रोता वापस जा चुके थे। प्रोग्राम खत्म होने पर भोलू को स्कूल प्रशासन से तो डांट पड़ी ही, सुरेश भी काफी नाराज हुआ।
एक दिन तो हद ही हो गई जब वार्षिक परीक्षा में भी भोलू समय पर स्कूल नहीं पहुंचा। इसी वजह से इस बार रिजल्ट में उसके नंबर कम आए। अपनी लेट-लतीफी से वैसे तो भोलू स्वयं भी परेशान था किन्तु लेट-लतीफी करना उसकी आदत बन चुकी थी जिसे छोड़ पाना उसके लिए काफी मुश्किल हो चुका था. भोलू किसी भी काम को कल पर टाल देता था और जो काम उसे आज ही करना होता था उसको अंतिम समय पर ही निपटाने के लिए बैठता था। काम को समय पर न करने की भोलू की आदत के कारण उसके सभी काम या तो आधे-अधूरे रह जाते थे या फिर बिगड़ जाते थे।
सुरेश भोलू की आदत से वाकिफ था, वह जानता था कि भोलू ऐसा जानबूझकर नहीं करता, वह बुद्धिमान तो बहुत है पर अपनी लेट-लतीफी की आदत के कारण वह किसी भी काम में पूरी तरह सफल नहीं हो पाता. किन्तु, भोलू की इस आदत को कैसे बदला जाए यह सोचते-सोचते अचानक सुरेश के मन में एक आइडिया आया।
एक दिन जब भोलू सुरेश से मिलने आया तो सुरेश ने भोलू से कहा-यार भोलू! मेरे माता-पिता आगे पढ़ाई के लिए मुझे विदेश भेजना चाहते हैं। दो दिन बाद का मेरा एयर टिकिट अमेरिका का हो गया है। चूंकि मै काफी समय के लिए विदेश जा रहा हूं मेरी इच्छा है कि तुम मुझे एयरपोर्ट पर विदा करने जरूर आओ। सुरेश के विदेश पढऩे जाने की बात से जहां भोलू खुश था वहीं इतने समय साथ रहे अपने दोस्त से बिछुडऩे का दु:ख भी उसे बहुत था। दु:खी मन से भोलू ने कहा- हां! हां! दोस्त भला क्यों नहीं। मैं तुम्हें एयरपोर्ट पर छोडऩे जरूर आऊंगा।
अपने प्लॉन के मुताबिक भोलू को बताए हुए समय पर सुरेश एयरपोर्ट पहुंच गया था किन्तु भोलू उसे कहीं नजर नहीं आया। भोलू को एयरपोर्ट पर न देखकर सुरेश चुपचाप एयरपोर्ट के बाहर ही मैदान में लगे एक पेड़ के पीछे छुप गया। प्लेन छूटने ही वाला था कि भोलू हांफता-हांफता एयरपोर्ट की ओर आता दिखाई दिया। प्लेन के टेकऑफ होने का ऐलान हो चुका था और देखते ही देखते काफी दूरी पर से प्लेन रनवे पर दौड़ता नजर आया। भोलू की आंखों में आंसू थे आज उसका दोस्त कई सालों के लिए उससे विदा हो रहा था और वह उसे मिलने भी समय पर नहीं आ पाया था।
सुरेश की याद में भोलू फूट-फूट कर रोने लगा उसने मन ही मन सोचा कि सुरेश हमेशा उसे समय का पाबंद होने की बात कहता था किन्तु आज तक वह उसे मज़ाक में लेता रहा। विदेश जाते समय सुरेश से न मिल पाने का पश्चाताप भोलू की आंखों में साफ नजर आ रहा था, वह खुद से ही बातें कर रहा था। भोलू दूर जाते हुए प्लेन की तरफ देखते हुए बोला-सुरेश, हम दोनों कितने ही वर्षों तक एक साथ रहे हैं, आज हम काफी दिनों के लिए बिछुड़ जरूर गए हैं किन्तु आज तुमसे न मिल पाने का प्रायश्चित मैं जरूर करूंगा। तुम हमेशा से कहते थे न कि मैं समय पर अपने काम पूरे करूं, तो आज के बाद तुम्हें इस बात के लिए मेरी ओर से कोई शिकायत नहीं होगी।
भोलू के पीछे खड़ा सुरेश उसकी बात सुन रहा था। जैसे ही भोलू ने बात खत्म की पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। भोलू ने पीछे मुड़कर देखा तो सुरेश को वहां पाकर उसकी बांछे खिल गईं। वह रो रहा था किन्तु आंसू खुशी के थे। भोलू ने तेजी से सुरेश को गले लगा लिया और उससे माफी मांगी।
सुरेश ने भोलू से कहा- मैंने तुम्हारी प्रतिज्ञा सुन ली है दोस्त, और यह विदेश जाने का प्लॉन मैंने तुम्हारी समय पर काम न करने की आदत को बदलने के लिए बनाया था। चलो दोस्त! अब घर चलते हैं। भोलू बोला- हां! दोस्त आज मुझे समझ आ गया है कि काम समय पर न करने के कितने पछतावे और दु:ख प्राप्त होते हैं। मैं वादा करता हूं कि अब कभी भी किसी भी काम में लेट-लतीफी नहीं करूंगा। सुरेश का प्लॉन कामयाब हो गया था, मन ही मन वह बहुत खुश हुआ।

बाबा अमरनाथ का सबसे बड़ा राज

इसलिए नहीं है अमरनाथ ज्योॢतलिंग

अमरनाथ तीर्थ का नाम लेते ही एक ऐसी गुफा का ध्यान हो आता है जहां भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास माना जाता है। कश्मीर की मनोरम पहाडिय़ों के बीच बसी यह गुफा न जाने कितने रहस्यों को समेटे हुए है। कहते हैं कि शिव-पार्वती यहां आज भी कबूतर के एक जोड़ के रूप में वास करते हैं। इस गुफा में साल के कुछ महीनों में एक अदभुत शिवङ्क्षलंग प्रकट होता है जो हिम का बना होता है। इसलिए बाबा अमरनाथ को भक्त बाबा बर्फानी के नाम से भी जाने जाते हैं।
अमरनाथ तीर्थ के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को एक दिव्य कथा सुनाई थी जिसे सुनने के बाद मृत्यु नहीं आती यानी व्यक्ति अमर हो जाता है। इस घटना की याद दिलाने के लिए अमरनाथ तीर्थ के यात्रा मार्ग में कई निशानियां मौजूद हैं। माना तो यह भी जाता है कि जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करता है उसके पाप कट जाते हैं और व्यक्ति को शिव लोक की प्राप्ति होती है। इतनी खूबियों और शक्तियों के बावजूद अमरनाथ तीर्थ को ज्योर्तिलिंग के रुप में मान्यता प्राप्त नहीं है। आइये जानें आखिर इसकी क्या वजह है।
अमरनाथ ज्योर्तिलिंग नहीं है इसे जानने से पहले यह भी जानना जरुरी है कि ज्योर्तिलिंग कौन-कौन हैं तो सबसे पहले इनके नाम जान लीजिए- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, द्वाकारेश्वर, केदारनाथ, भीमाशंकर, काशी विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वर। इन सभी ज्योर्तिलिंगों में एक बात समान है जो अमरनाथ में नहीं है।
अमरनाथ शिवङ्क्षलंग की उत्पत्ति किसी भक्त की श्रद्धा और भक्ति से नहीं हुई है। अमरनाथ में शिव और देवी पार्वती अपनी इच्छा से अमर कथा सुनने-सुनाने आए थे। जिसका प्रतीक चिन्ह है हिमङ्क्षलंग। जबकि सभी ज्योर्तिलिंग शिव के भक्तों की प्रार्थना और तपस्या से प्रकट हुआ है जैसे सोमनाथ चन्द्रमा की तपस्या से, केदारनाथ भगवान विष्णु के नर नारायण रूप की तपस्या से, रामेश्वरम भगवान श्री राम की तपस्या से।
दूसरी बात जो सभी ज्योर्तिलिंग में समान है वह यह है कि सभी ज्योर्तिलिंग नित्य हैं यानी हमेशा कायम रहते हैं। जबकि अमरनाथ में ऐसा नहीं है यहां कुछ समय के लिए ही हिम का ङ्क्षलग निॢमत होता है और विलीन हो जाता है। ज्योर्तिलिंग होने की दूसरी शर्त यह है कि लिंग नित्य और स्थायी होना चाहिए।
ज्योर्तिलिंग के बारे में शिव पुराण में बताया गया है कि यह भक्तों की भक्ति से प्रकट होता है। सृष्टि में जब पहली बार भगवान शिव प्रकट हुए तो वह अनंत स्तभ वाले ज्योति रूप में प्रकट हुए थे। इसके आदि अंत का पता भगवान विष्णु और ब्रह्मा भी नहीं लगा पाए थे। उसी समय भगवान शिव ने कहा था कि वह भक्तों के कल्याण के लिए उनकी प्रार्थना पर प्रकट होंगे। जहां-जहां भगवान शिव इस तरह प्रकट हुए वह ज्योर्तिलिंग कहलाया।
ज्योर्तिलिंग की सबसे बड़ी बात यह है कि यह साक्षात शिव स्वरूप होता है क्योंकि और ऐसा भक्तों को दिए गए वरदान के कारण है जबकि अमरनाथ ऐसा नहीं है वह शिव पार्वती का प्रतीक चिन्ह है। यह शिव का स्थायी निवास न होकर अस्थायी निवास है।

दिव्य औषधीय गुणों से

 घरेलु नुस्खे काम की बातें

 
लेटिन में मोर्डिका तथा अंग्रेजी में बिटर गॉर्ड के नाम से पुकारा जाने वाला करेला बेल पर लगने वाली सब्जी है। इसका रंग हरा होता है इसकी सतह पर उभरे हुए दाने होते हैं। इसके अंदर बीज होते हैं। यह अपने स्वाद के कारण काफी प्रसिद्ध है। इसका स्वाद बहुत कडुवा होता है इसलिए प्राय: कडुवे (बुरे) स्वभाव वाले व्यक्ति की तुलना करेले से कर दी जाती है।
एक अच्छी सब्जी होने के साथ-साथ करेले में दिव्य औषधीय गुण भी होते हैं। यह दो प्रकार का होता है बड़ा तथा छोटा करेला। बड़ा करेला गर्मियों के मौसम में पैदा होता है जबकि छोटा करेला बरसात के मौसम में। चूंकि इसका स्वाद बहुत कडुवा होता है इसलिए अधिकांश लोग इसकी सब्जी को पसंद नहीं करते। इसके कड़वेपन को दूर करने के लिए इसे नमक लगाकर कुछ समय तक रखा जाता है।
करेले की तासीर ठंडी होती है। यह पचने में हल्का होता है। यह शरीर में वायु को बढ़ाकर पाचन क्रिया को प्रदीप्त कर, पेट साफ करता है। प्रति १०० ग्राम करेले में लगभग ९२ ग्राम नमी होती है। साथ ही इसमें लगभग ४ ग्राम कार्बोहाइट्रेट, १.५ ग्राम प्रोटीन, २० मिलीग्राम कैल्शियम, ७० मिलीग्राम फास्फोरस, १.८ मिलीग्राम आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा भी होता है। इसमें विटामिन ए तथा विटामिन सी भी होता है जिनकी मात्रा प्रति १०० ग्राम में क्रमश: १२६ मिलीग्राम तथा ८८ मिलीग्राम होती है।
नमी अधिक तथा वसा कम मात्रा में होने के कारण यह गर्मियों के लिए बहुत अच्छा है। इसके प्रयोग से त्वचा साफ होती है और किसी प्रकार के फोड़े-फुन्सी नहीं होते। यह भूख बढ़ाता है, मल को शरीर से बाहर निकालता है। मूत्र मार्ग को भी यह साफ रखता है। इसमें विटामिन ए अधिक होने के कारण यह आखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है। रतौंधी होने पर इसके पत्तों के रस का लेप थोड़ी-सी काली मिर्च मिलाकर लगाना चाहिए। इस रोग के कारण रोगी को रात में कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। विटामिन सी की अधिकता के कारण यह शरीर में नमी बनाए रखता है और बुखार होने की स्थिति में बहुत लाभकारी होता है। करेले की सब्जी खाने से कभी कब्ज नहीं होती यदि किसी व्यक्ति को पहले से कब्ज हो तो वह भी दूर ही जाती है। इससे एसीडिटी, छाती में जलन और खट्टी डकारों की शिकायत भी दूर हो जाती है।
बढ़े हुए यकृत, प्लीहा तथा मलेरिया बुखार में यह बहुत फायदेमंद सिद्ध होता है। इसके लिए रोगी को करेले के पत्तों या कच्चे करेले को पीसकर पानी में मिलाकर पिलाया जाता है। यह इस दिन में कम से कम तीन बार पिलाना चाहिए। कच्चा करेला पीसकर पिलाने से पीलिया भी ठीक हो जाता है। रस निकालने से पहले पत्तों या करेले को ठीक से रगड़कर धोना जरूरी होता है क्योंकि आजकल फल सब्जियों को रोगों तथा कीड़ों से बचाने के लिए अनेक रसायन छिड़के जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं।
जोड़ों के दर्द तथा गठिया रोग में करेले की सब्जी बिना कडुवापन दूर किए दिन में तीनों समय अर्थात सुबह नाश्ते में और फिर दोपहर तथा रात्रि के भोजन में खाई जानी चाहिए। फोड़े-फुन्सी तथा रक्त विकार में करेले का रस लाभकारी होता है। इन पर करेले के पत्तों का लेप भी किया जा सकता है। करेले का रस निकालते समय यह ध्यान रखें कि यह बहुत ज्यादा पतला न हो और उसे साफ बर्तन में निकाला जाए।
त्वचीय रोग, कुष्ठ रोग तथा बवासीर में करेले को मिक्सी में पीसकर प्रभावित स्थान पर हल्के-हल्के हाथों से लेप लगाना चाहिए। यह लेप नियमित रूप से रात को सोने से पहले लगाएं। जब तक इच्छित लाभ न हो लेप लगाना जारी रखना चाहिए। करेले के रस की एक चम्मच मात्रा में शक्कर मिलाकर पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। यह शरीर में उत्पन्न टॉकसिन्स तथा उपस्थित अनावश्यक वसा को दूर करता है अत: यह मोटापा दूर करने में भी विशेष रूप से सहायक होता है। जिस स्त्री को मासिक स्राव बहुत कठिन तथा दर्द भरा हो तो उसे भी करेले के रस का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन गर्भवती स्त्रियों में दूध की मात्रा भी बढ़ाता है।
यह शारीरिक दाह को भी दूर करता है। शरीर के जिस अंग में जलन हो वहां करेले के पत्तों का रस मलना चाहिए। अपनी शीतल प्रकृति के कारण यह तुरन्त लाभ पहुंचाता है। मधुमेह के रोगियों के लिए करेला एक वरदान है। उन्हें करेले का सेवन अधिक करना चाहिए। बिना कड़वापन दूर किए करेले की सब्जी तथा इसके पत्तों या कच्चे करेले का रस पूरी गर्मियों में लगातार सुबह-शाम नियमित रूप से लेने पर रक्त में शर्करा का स्तर काफी कम हो जाता है। करेले का रस पेट के कीड़ों को भी दूर कर देता है। आयरन (लौह तत्व) की अधिकता के कारण करेला एनीमिया (रक्ताल्पता) को भी दूर करता है। करेले का रस तीनों दोषों अर्थात वात पित्त और कफ दोष का नाश करता है। स्माल पॉक्स, चिकिन पॉक्स तथा खसरे जैसे रोगों में करेले को उबाल कर रोगी को खिलाया जाता है।

लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का अनोखा बलिदान

रामायण के बारे में तो आप सभी ने सुना होगा। आप लोग राम, लक्ष्मण और सीता से तो परिचित होंगे ही। क्या आप जानते है की राम की पत्नी सीता के साथ-साथ उर्मिला जो की लक्ष्मण की पत्नी थी ने भी बहुत बड़ा बलिदान दिया था। ये रामायण का एक भूला हुआ अध्याय है।
संभव है कि आपने राजकुमारी उर्मिला और उसके बलिदान के बारे में नहीं सुना होगा। आइये हम आपको राजकुमारी उर्मिला से परिचित करवाते है।
लक्ष्मण का जन्म :- कहते हैं कि जब लक्ष्मण का जन्म हुआ तो वह जन्म होने के बाद तब तक रोते रहे जब तक उन्हें राम के बगल में नहीं रखा गया था। उस दिन के बाद से वह हमेशा से राम के बगल में ही र थे। चाहे वो उनके साथ विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा के लिए जाना हो या जंगल में निर्वासन के लिए।
लक्ष्मण का विवाह :- लक्ष्मण का विवाह सीता की छोटी बहन उर्मिला से हुआ। अयोध्या के राजकुमार राम को कैकेयी की इच्छाओं के अनुसार १४ साल के लिए जंगल में निर्वासित किया गया था। लक्ष्मण जो की राम भक्त थे और हमेशा राम के बगल में रहते थे साथ में गए। राम अपनी पत्नी के जोर देने पर उसे जंगल में साथ लेकर गए।
उर्मिला की विनती :- जब उर्मिला ने साथ जाने को कहा तो लक्ष्मण ने कहा कि वो तो राम भैया और उनकी पत्नी सीता भाभी की देखभाल के लिए साथ में जा रहे है। उर्मिला को लेकर जाने से लक्ष्मण पर उर्मिला की जिम्मेदारी भी आ जाएगी। इस तरह से लक्ष्मण जंगल में राम के साथ गए और अपनी पत्नी को साथ ले जाने से इनकार कर दिया।
निर्वासन की पहली रात :- निर्वासन की पहली ही रात को वन में राम और सीता सो गए, लक्ष्मण ने उन पर नजर रखी हुई थी। थोड़े समय बाद निद्रा देवी (नींद की देवी) ने लक्ष्मण का दरवाजा खटखटाया और लक्ष्मण को नींद में जाने के लिए कहा।
लक्ष्मण नहीं सोए :- लक्ष्मण ने निद्रा देवी से धर्म विनती करते हुए कहा की वो अगले १४ वर्षों के लिए नहीं सो सकते क्यूंकि वो अपने बड़े भइया और भाभी की रक्षा करने के लिए लगे हुए हैं। देवी उनकी भक्ति से प्रभावित हो गई थी और अगले १४ साल के लिए उन्हें छोडऩे के लिए सहमत हो गई थी।
देवी निंद्रा ने कहा कि प्रकृति के कानून के अनुसार किसी और को लक्ष्मण की नींद की हिस्सेदारी लेनी पड़ेगी। तब लक्ष्मण ने निद्रा देवी से अनुरोध किया की वो उनकी पत्नी उर्मिला के लिए पास जाए और उसे लक्ष्मण के हिस्से की नींद दे दे। लक्ष्मण जानते थे कि कर्तव्यवश उर्मिला आसानी से सहमत हो जाएगी।
निद्रा देवी उर्मिला के पास पहुंची और उन्हें लक्ष्मण की दशा समझाई। तब उर्मिला ने जवाब दिया की 'मुझे अगले १४ साल के लिए मेरे पति की नींद की हिस्सेदारी दे दो ताकि वह लगातार किसी भी तनाव या थकान के बिना जागे रह सके।उर्मिला रात और दिन सोती रही :- इस प्रकार उर्मिला १४ वर्ष के लिए रात और दिन सोती रही और लक्ष्मण ध्यान से राम और सीता की सेवा करते रहे। इस प्रकार उर्मिला ने १४ वर्ष तक सोकर अपने पति को धर्म निभाने में मदद की।

सोमवार, जून 26, 2017

देवी सीता ने किया था कुंभकर्ण के पुत्र का वध

रामायण, महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों में कई ऐसी कहानियां हैं जिनसे आज तक अवगत नहीं हो पाए हैं। ये ग्रंथ इतने व्यापक और विस्तृत हैं कि किसी एक व्यक्ति के लिए इन्हें पूर्ण रूप से जान पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। रामायण की बात करें तो यूं तो ये ग्रंथ श्रीराम के जीवन और रावण के वध पर आधारित है लेकिन इसके अंदर कई ऐसे छोटे-बड़े चरित्रों का समावेश भी हैं जो महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन उनसे संबंधित कथा को ज्यादा लोग नहीं जानते।
 आज हम आपको रामायण की एक ऐसी ही कहानी या घटना से अवगत करवाने जा रहे हैं, जिनके विषय में निश्चित ही बहुत कम लोग जानते हैं। यह कहानी तब की है जब रावण का वध और वनवास की अवधि पूरी कर श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौट आए थे। श्रीराम अपने परिवार के साथ सभा में विराजमान होने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक विभीषण अपनी  पत्नी और मंत्रियों के साथ दौड़े-दौड़े श्रीराम के पास पहुंचे और उनसे मदद की गुहार करने लगे। जब भगवान राम ने उनसे इस परेशानी का कारण पूछा तो विभीषण ने बाताया कि कुंभकर्ण का एक पुत्र है मूलकासुर, जिसका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था। इस कारण कुंभकर्ण उसे जंगल में छोड़ आया था, जहां मधुमक्खियों ने उसका पालन-पोषण किया। जब मूलकासुर को यह पता चला कि उसके पिता का वध हो गया है और मैंने (विभीषण) लंका का शासन संभाल लिया है तो उसने प्रण लिया कि वह पहले मेरी हत्या करेगा और बाद में अपने पिता के हत्यारे यानि श्रीराम का वध करेगा। विभीषण ने श्रीराम से कहा कि 'मूलकासुर ने आपका वध करने का इरादा पक्का कर लिया है और अब वह इसके लिए तैयारी कर रहा है। जब श्रीराम को मूलकासुर के इरादों का पता चला तो उन्होंने अपने पुत्रों और भाइयों समेत, वानर सेना को भी युद्ध के लिए तैयार किया और पुष्पक विमान पर बैठकर लंका की ओर चल पड़े। जब मूलकासुर को श्रीराम और उनकी सेना के आने की बात चली तो वो पहले ही युद्ध के इरादे से लंका के बाहर पहुंच गया। दोनों ओर की सेनाओं में करीब ७ दिनों तक भयंकर युद्ध चलता रहा लेकिन कोई परिणाम नहीं आया। फिर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने श्रीराम से कहा कि उन्होंने मूलकासुर को एक स्त्री के हाथों मृत्यु प्राप्त करने का वरदान दिया है, इसलिए मूलकासुर की मृत्यु एक स्त्री द्वारा ही संभव है। ब्रह्मा जी ने भगवान राम को बताया कि एक बार ऋषि-मुनियों के बीच बैठे हुए मूलकासुर ने शोक व्यक्त करते हुए कहा था 'चंडी सीता की वजह से मेरे कुल का विनाश हुआ है। इस पर एक ऋषि ने क्रुद्ध होकर कहा 'जिस सीता को तू चंडी कह रहा है, उसी के हाथ से तेरा अंत निश्चित है। मुनी के ये कहने पर मूलकासुर ने उन्हें अपना आहार बन लिया। ब्रह्मा जी ने कहा कि अब मूलकासुर को परास्त करने का एक ही तरीका है और वह है सीता जी द्वारा उसका अंत। यह सुनते ही भगवान राम ने अपने दूत पवनपुत्र हनुमान को विनतानंदन गरुड़ के साथ सीता को सकुशल लाने के लिए भेज दिया। जैसे ही हनुमान जी और गरुड़, माता सीता के पास श्रीराम का संदेश लेकर पहुंचे तब उसी समय देवी सीता उनके साथ चलने के लिए तैयार हो गई। जैसे ही देवी सीता, अपने परमेश्वर भगवान राम से मिली उनकी आंखें भर आईं। वह बहुत लंबे समय से अपने पति के वियोग में समय व्यतीत कर रही थीं। भगवान राम को अपने सामने पाकर वह काई भावुक हो गईं। भगवान राम ने उन्हें मूलकासुर के पराक्रम और उसे मिले वरदान के विषय में बताया। यह सब सुनते ही माता सीता क्रोधित हो गईं और उनकी आवाज भीभयानक हो गई। सीता की देह से चंडी रूपी छाया निकलकर मूलकासुर का वध करने के लिए आगे बढऩे लगीं। छाया को अपने पास आता देखकर मूलकासुर ने उन्हें कहा 'जा, भाग जा यहां से, मैं स्त्रियों पर अपना पराक्रम नहीं दर्शाता। इसपर चंडी छाया ने मूलकासुर से कहा 'मैं तेरी मृत्यु चंडी हूं, तूने ब्राह्मणों का वध किया है, अब मैं तेरा वध करके उनका ऋण चुकाऊंगी। इतना कहकर सीता के रूप में मूलकासुर की मृत्यु चंडी ने उसपर पांच बाण चलाएं। दोनों ओर से बाणों की बौछार की जाने लगी। अंत में छाया ने 'चंडिकास्त्र चलाकर मूलकासुर का सिर उड़ा दिया। वह सीधा लंका के दरवाजे पर जा गिरा। राक्षस भाग खड़े हुए और सीता की छाया पुन: उनकी देह में समा गई। इस तरह सीता माता के हाथों हुआ था कुंभकर्ण के पुत्र मूलकासुर का वध संभव हुआ।

सियासत की सूई में जनता का धागा

छत्रपाल

राजनीति कृमियों की भांति राष्ट्रीय एवं सामाजिक जीवन की आंतों में रक्त और पोषक तत्व चूस-चूस कर मुटा रही है। राजनीतिक आढ़ती जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिव्याप्त है तथा राष्ट्र, राष्ट्रीयता एवं राष्ट्रवासियों को चूना लगा रहे हैं। राजनीति कल्पवृक्ष की भांति सर्वफलदायिनी, बहुबलधारिणी, रिपुदलवारिणी तथा नमामीतारणी है। यह वह चरागाह है जो सदैव शस्य-श्यामला, द्रुम्दलशोभित तथा कुसुमित रहती है। कोटि-कोटि कंठ इसका यशोगान करते हैं। यह जिस पर फलित होती है उसकी सात पीढियों तार देती है। लक्ष्मी इसकी दासी है तथा सरस्वती इसके आगे पानी भरती है। राजनीतिज्ञ जो करे कम है। जल, थल, नभ, अग्नि, वायु, अन्न, ऊर्जा-प्रत्येक तत्व पर राजनीतिज्ञों का एक छत्र राज है। वहीं विश्व की महान शक्तियों में निहित असली नियामक शक्ति है। वह स्वयं खेल का मैदान है, खिलाड़ी है, खेल है। खेल भावना है तथा रैफरी है। वह किचन में तिलचट्टों की तरह, चिकन में बर्ड फ्लू की भांति, मच्छर में डेंगू और चिकनगुनिया सदृश्य तथा मक्षिका में हैजे की तरह छिपा है। वह इतना सूक्ष्म है कि जनता के दिल और दिमाग में कीड़े की तरह घुस कर उसे अपना मुरीद बना लेता है। उसके लिए कोई भी क्षेत्र प्रवेश हेतु वर्जित नहीं है। राजनीतिज्ञ की बुद्धि में हर प्रकार की बुद्धि समाविष्ट होती है। वह जीवाणु से लेकर परमाणु तक, किसी भी विषय पर धारा प्रवाह बोल सकता है। वह किसी महापुरुष की जयंती पर भी उन्हीं शब्दों का मंत्र फूंकता है जो उसने दो रोज पहले किसी अन्य महापुरुष की पुण्यतिथि पर उच्चारित किए होते हैं। उसका अनुभव उसे कहीं भी गिरने नहीं देता। लाट की तरह सदैव खड़ा रहता है। गले में दर्द और आंखों में अथाह वेदन पैदा करके वह महापुरुष को उसकी जयंती अथवा पुण्यतिथि पर अपनी आजमाई हुई शैली में श्रद्धांजलि अर्पित करता है जो कभी निष्फल नहीं जाती। वह कहता है-महापुरुष इतिहास के ऐसे दौर में अवतरित हुए जब समाज में चहुं और अंधकार का साम्राज्य था। इंसान ही इंसान को मार रहा था। ऐसे विकट समय में जन्म लेकर महापुरुष ने समाज को राह दिखाई तथा प्रेम, सौहार्द, भातृभव एवं शांति तथा अहिंसा का पाठ पढ़ाया। चाहे राजनीतिज्ञ को महापुरुष के नाम के अतिरिक्त उनके विषय में किंचित जानकारी न हो, तो भी उसके अमूल्य वचनामृत का रसपान करके दर्शकगण तालियां पीट-पीट कर राजनीति करते दिखाई देते हैं। कौन किस को मूर्ख बना रहा है, पता ही नहीं चलता। राजनीतिज्ञ का जादू और भी कई बातों में सिर चढ़ कर बोलता है। जनता जनार्दन जिसे सबसे अधिक निकृष्ट और घृणित समझती है, अपने काम निकलवाने के लिए उसी के दरबार में कोर्निस बजाती है। जनता दुम की तरह राजनीतिक जीव के पीछे घिसटती रहती है। नेता जनता को सुई में पिरोए हुए धागे की मांनिद समझता है। सुई अपना रास्ता बनाती आगे बढ़ती जाती है और टांके लगाते-लगाते धागे  को कब खर्च कर देती है, डोरे को पता ही नहीं लगता। सुई का काम होता है जोडऩा, अत: सुई रूपी राजनीतिज्ञ सत्ता, संपन्नता, स्वार्थ, सुथरा, सुअवसर और सुविधाओं से अपना रिश्ता जोड़ता चलता है। हमारे गुरुदेव कहते हैं बलिहारी इस राजनीतिज्ञ के जो हजार मृग-मारीचकाओं से भी अधिक छलिया है, पांच वर्षों से जनता के दिलों में एकत्रित हुए विष को आश्वासन मात्र से अमृत में बदल देता  है और जनता से निचोड़े गए अमृत का पान करके स्वयं अमृत्व प्राप्त कर लेता है।

अदभुत है सूर्य रथ के सात घोड़ों से जुड़ा विज्ञान

हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़ी कहानियों का इतिहास काफी बड़ा है या यूं कहें कि कभी ना खत्म होने वाला यह इतिहास आज विश्व में अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए है। विभिन्न देवी-देवताओं का चित्रण, उनकी वेश-भूषा और यहां तक कि वे किस सवारी पर सवार होते थे यह तथ्य भी काफी रोचक हैं।
सूर्य रथ :-हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता गणेश जी की सवारी काफी प्यारी मानी जाती है। गणेश जी एक मूषक यानि कि चूहे पर सवार होते हैं जिसे देख हर कोई अचंभित होता है कि कैसे महज एक चूहा उनका वजन संभालता है। गणेश जी के बाद यदि किसी देवी या देवता की सवारी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है तो वे हैं सूर्य भगवान।
क्यों जुते हैं सात घोड़े :-सूर्य भगवान सात घोड़ों द्वारा चलाए जा रहे रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान जिन्हें आदित्य, भानु और रवि भी कहा जाता है, वे सात विशाल एवं मजबूत घोड़ों पर सवार होते हैं। इन घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथ होती है और स्वयं सूर्य देवता पीछे रथ पर विराजमान होते हैं।
लेकिन सूर्य देव द्वारा सात ही घोड़ों की सवारी क्यों की जाती है? क्या इस सात संख्या का कोई अहम कारण है? या फिर यह ब्रह्मांड, मनुष्य या सृष्टि से जुड़ी कोई खास बात बताती है। इस प्रश्न का उत्तर पौराणिक तथ्यों के साथ कुछ वैज्ञानिक पहलू से भी बंधा हुआ है। सूर्य भगवान से जुड़ी एक और खास बात यह है कि उनके ११ भाई हैं, जिन्हें एकत्रित रूप में आदित्य भी कहा जाता है। यही कारण है कि सूर्य देव को आदित्य के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य भगवान के   अलावा ११ भाई ( अंश, आर्यमान, भाग, दक्ष, धात्री, मित्र, पुशण, सवित्र, सूर्या, वरुण, वमन ) सभी कश्यप तथा अदिति की संतान हैं।
वर्ष के १२ माह के समान :- पौराणिक इतिहास के अनुसार कश्यप तथा अदिति की ८ या ९ संतानें बताई जाती हैं लेकिन बाद में यह संख्या १२ बताई गई। इन १२ संतानों की एक बात खास है और वो यह कि सूर्य देव तथा उनके भाई मिलकर वर्ष के १२ माह के समान हैं। यानी कि यह सभी भाई वर्ष के १२ महीनों को दर्शाते हैं।
सूर्य भगवान का रथ :- सूर्य भगवान सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होते हैं। इन सात घोड़ों के संदर्भ में पुराणों तथा वास्तव में कई कहानियां प्रचलित हैं। उनसे प्रेरित होकर सूर्य मंदिरों में सूर्य देव की विभिन्न मूर्तियां भी विराजमान हैं लेकिन यह सभी उनके रथ के साथ ही बनाई जाती हैं। लेकिन इस सब से हटकर एक सवाल काफी अहम है कि आखिरकार सूर्य भगवान द्वारा सात ही घोड़ों की सवारी क्यों की जाती हैं। यह संख्या सात से कम या ज्यादा क्यों नहीं है।
यदि हम अन्य देवों की सवारी देखें तो श्री कृष्ण द्वारा चलाए गए अर्जुन के रथ के भी चार ही घोड़े थे, फिर सूर्य भगवान के सात घोड़े क्यों? क्या है इन सात घोड़ों का इतिहास और ऐसा क्या है इस सात संख्या में खास जो सूर्य देव द्वारा इसका ही चुनाव किया गया।
सात घोड़े और सप्ताह के सात दिन :- सूर्य भगवान के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम हैं - गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति। कहा जाता है कि यह सात घोड़े एक सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं।
यह तो महज एक मान्यता है जो वर्षों से सूर्य देव के सात घोड़ों के संदर्भ में प्रचलित है लेकिन क्या इसके अलावा भी कोई कारण है जो सूर्य देव के इन सात घोड़ों की तस्वीर और भी साफ करता है।
सात घोड़े रोशनी को भी दर्शाते हैं :- पौराणिक दिशा से विपरीत जाकर यदि साधारण तौर पर देखा जाए तो यह सात घोड़े एक रोशनी को भी दर्शाते हैं। एक ऐसी रोशनी जो स्वयं सूर्य देवता यानी कि सूरज से ही उत्पन्न होती है। यह तो सभी जानते हैं कि सूर्य के प्रकाश में सात विभिन्न रंग की रोशनी पाई जाती है जो इंद्रधनुष का निर्माण करती है। यह रोशनी एक धुर से निकलकर फैलती हुई पूरे आकाश में सात रंगों का भव्य इंद्रधनुष बनाती है जिसे देखने का आनंद दुनिया में सबसे बड़ा है।प्रत्येक घोड़े का रंग भिन्न :- सूर्य भगवान के सात घोड़ों को भी इंद्रधनुष के इन्हीं सात रंगों से जोड़ा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि हम इन घोड़ों को ध्यान से देखें तो प्रत्येक घोड़े का रंग भिन्न है तथा वह एक-दूसरे से मेल नहीं खाता है।
 केवल यही कारण नहीं बल्कि एक और कारण है जो यह बताता है कि सूर्य भगवान के रथ को चलाने वाले सात घोड़े स्वयं सूरज की रोशनी का ही प्रतीक हैं।
अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति :- कई बार सूर्य भगवान की मूर्ति में रथ के साथ केवल एक घोड़े पर सात सिर बनाकर मूर्ति बनाई जाती है। इसका मतलब है कि केवल एक शरीर से ही सात अलग-अलग घोड़ों की उत्पत्ति होती है। ठीक उसी प्रकार से जैसे सूरज की रोशनी से सात अलग रंगों की रोशनी निकलती है। इन दो कारणों से हम सूर्य भगवान के रथ पर सात ही घोड़े होने का कारण स्पष्ट कर सकते हैं।
केवल एक ही पहिया :- रथ के नीचे केवल एक ही पहिया लगा है जिसमें १२ तिल्लियां लगी हुई हैं। यह काफी आश्चर्यजनक है कि एक बड़े रथ को चलाने के लिए केवल एक ही पहिया मौजूद है, लेकिन इसे हम भगवान सूर्य का चमत्कार ही कह सकते हैं। कहा जाता है कि रथ में केवल एक ही पहिया होने का भी एक कारण है।
 यह अकेला पहिया एक वर्ष को दर्शाता है और उसकी १२ तिल्लियां एक वर्ष के १२ महीनों का वर्णन करती हैं। एक पौराणिक उल्लेेख के अनुसार सूर्य भगवान के रथ के समस्त ६० हजार वल्खिल्या जाति के लोग जिनका आकार केवल मनुष्य के हाथ के अंगूठे जितना ही है, वे सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही गंधर्व और पान्नग उनके सामने गाते हैं और अप्सराएं उन्हें खुश करने के लिए नृत्य प्रस्तुत करती हैं।
ऋतुओं का विभाजन :- कहा जाता है कि इन्हीं प्रतिक्रियाओं पर संसार में ऋतुओं का विभाजन किया जाता है। इस प्रकार से केवल पौराणिक रूप से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों से भी जुड़ा है भगवान सूर्य का यह विशाल रथ।

शनिवार, जून 24, 2017

संपादकों का प्रतिनिधिमंडल जुल्फकार से मिला

श्रीनगर।
लघु व मध्यम समाचार पत्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने समाचार पत्रों के कामकाज से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आज खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले (एफसीएस और सीए) एवं सूचना मंत्री से मुलाकात की और राज्य के समाचार पत्रों के लिए विज्ञापन समर्थन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से छोटे और मध्यम समाचार पत्रों के लिए, विज्ञापनों से विज्ञापनों के माध्यम से वित्तीय सहायता की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार से पर्याप्त वित्तीय सहायता के बिना किसी भी समाचार पत्र को राज्य में बनाए रखना संभव नहीं है।
बैठक के दौरान मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को गंभीरता से सुना और उन्हें छोटे और मध्यम समाचार पत्रों को बचाए रखने के लिए सरकार से सभी संभावित वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के अखबारों के लिए विज्ञापन के तहत 30 करोड़ रुपये का बजट रखा है जबकि पिछले साल समाचार पत्रों को 32 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।

पाक ने आतंक को बढ़ावा देकर जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को पहुंचाया आर्थिक नुकसान

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।

उग्रवादियों की बढ़ती गतिविधियों और नियंत्रण रेखा के साथ पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से संघर्ष विराम के उल्लंघनों में वृद्धि होने से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को काफी आर्थिक हानि पहुंची है। उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए विपक्ष के कुछ संगठनों विशेषकर नैशनल कान्फ्रैंस (नैकां) ने यह मांग शुरू कर दी है कि ताकत का प्रयोग करने की बजाय सभी संबंधित दावेदारों से बातचीत द्वारा समस्याओं का समाधान तलाशा जाए। इस मुद्दे पर सत्ताधारी भाजपा के नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि बातचीत के लिए वह तैयार हैं लेकिन पहले खून-खराबा बंद होना चाहिए, बंदूक और पत्थरों के साए में तो कोई अर्थपूर्ण बातचीत नहीं हो सकती है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि कश्मीर में जो कुछ हो रहा है, यह सब कुछ नया नहीं है। यह उसी छदम युद्ध का भाग है जो पाकिस्तान ने 3 युद्धों में मात खाने के पश्चात 80 के दशक के अंतिम वर्षों ऑप्रेशन टोपैक के अंतर्गत शुरू किया था। पाक ने आतंक को बढ़ावा देकर कश्मीर के पर्यटन और आर्थिक स्थिति को अधिक से अधिक हानि पहुंचाई है। पाकिस्तान की अपनी स्थिति यह बनी है कि वहां का प्रधानमंत्री यह नहीं जानता कि वह कहां खड़ा है और सेना के साथ वहां धार्मिक कट्टरपंथियों का हुजूम शांति नहीं चाहता है। वहीं भाजपा वाले कहते हैं कि नैशनल कान्फ्रैंस और कांग्रेसी अब राजनीतिक समाधान की बात करते हैं लेकिन उन्होंने 60 साल राज करने पर ऐसा क्यों नहीं किया। यह रोग तो उन्हीं के शासनकाल में उत्पन्न हुए थे।

शहीद एसएचओ डार के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दिलाएगी राज्य सरकार : उपमुख्यमंत्री

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।

उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने रविवार को अनंतनाग के संगम में शहीद एसएचओ फिरोज डार के निवास पर जाकर परिवार के साथ संवेदना प्रकट की।
डॉ. निर्मल सिंह ने शोक संतप्त परिवार के साथ संवेदना जताते हुए शहीद पुलिस अधिकारी के पिता अब्दुल रशीद डार को आश्वासन दिया कि सरकार उनके परिवार की देखभाल करेगी तथा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को शहीद एसएचओ के नाम पर पीएचसी जैसी जनसुविधा के लिए भूमि समर्पित करने के निर्देश दिये।  उपमुख्यमंत्री ने राज्य पुलिस महानिदेशक को निकट सम्बंधी  के लिए  नौकरी के मामले में तेजी लाने के निर्देश भी दिये। डॉ. सिंह ने कहा कि यह राष्ट्र फिरोज डार के इस बलिदान को हमेशा याद रखेगा। उन्होंने इस मौके पर स्थानीय लोगों के साथ बातचीत भी की। डीजीपी डॉ. एसपी वैद, आईजी कश्मीर मुनीर खान तथा पुलिस व प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपमुख्यमंत्री के साथ थे।

हमारी भी सुने सरकार

त्रिकुटा नगर वार्ड-13 की सड़कें खराब
दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। 
 
वार्ड-53 त्रिकुटानगर में सड़क की दशा ऐसी है कि पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं। शुभचंद्र वर्मा, विजय कुमार, हरबंस लाल व पुनीत कत्याल ने रोष जताते हुए बताया कि पूरे शहर में सड़कों के बनाने का काम शुरू हो चुका है लेकिन यहां की ओर विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।


सभी क्षेत्रों का सम्पूर्ण विकास सरकार की प्राथमिकता है-गंगा

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
श्रीनगर।

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा ने रविवार को कहा कि सरकार सड़क सम्पर्क जो लोगों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए अनिवार्य है, को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देते हुए कायम ढांचे के निर्माण के लिए प्रयासरत है की प्राथमिकता है।
मंत्री ने यह बात बदोरी से राया तक आरएंडबी विभाग द्वारा 70 लाख रु. की राशि से बनाई गई सड़क लोगों को समर्पित करने के उपरांत कही।
मंत्री ने कहा कि ढांचागत विकास में तेजी लाने तथा लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने सरकार की योजनाओं को मजबूत बनाने तथा जनसुविधाओं के बेहतर रखरखाव में लोगों का सहयोग मांगा।
इस अवसर पर लोगों ने मंत्री को अपनी समस्याओं तथा विकास जरूरतों से अवगत करवाया। मंत्री ने लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि उनके सभी मुददों का समयबद्ध तरीके से हल करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएंगे।
मंत्री ने सरोर में एक जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन कर लोगों की मांगों को सुना।
मंत्री ने सम्बंधित विभागों का लोगों की समस्याओं का समयबद्ध तरीके से समाधान करने हेतु पर्याप्त कदम उठाने के निर्देश दिये।
सांबा के विधायक डॉ. देविन्द्र मन्याल, सम्बंधित विभागों के अधिकारी तथा प्रमुख नागरिक इस अवसर पर उपस्थित थे।
इसके उपरांत मंत्री ने जलापूर्ति स्थिति की जानकारी लेने हेतु पीएचई विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की। उन्होंने अधिकारियों को पर्याप्त जलापूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाने हेतु नियमित आधार पर पानी की जांच करने के निर्देश भी दिये।

भोजपुरी अभिनेत्री ने कर ली सुसाइड

'लहू के दो रंग, 'हमरा दारू ना मेहरारू चाही जैसी भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी मशहूर भोजपुरी अभिनेत्री और मॉडल अंजली श्रीवास्तव ने कथित तौर पर पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, अंजली के परिवारवाले उन्हें रविवार रात से ही इलाहाबाद से फोन करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें फोन पर जवाब नहीं मिला। ऐसा लग रहा है कि अंजली ने आत्महत्या की है। पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली लेकिन उसे ना तो कोई सुसाइड नोट मिला और ना ही कुछ अन्य ऐसा जिसे असामान्य कहा जाए। उनकी आत्महत्या के सही वजह का अभी पता तो नहीं चला है, लेकिन अंजली को जाननेवाले कहते हैं कि वह एक साल से काफी तनाव में थी। एक ओर उसे कोई फिल्म नहीं मिल रही थी दूसरी ओर घरवालों ने शादी तय कर दी थी। अंजली की सुरक्षा को लेकर चिंतित परिजन ने उनके मकान मालिक को फोन किया। मकान मालिक ने इसके बाद पुलिस को फोन किया। पुलिस ने जुहू रोड के परिमल सोसाइटी की पांचवीं मंजिल पर स्थित उनके अपार्टमेंट को डुप्लिकेट चाबी से खोला। घर में पुलिस ने 29 साल की अभिनेत्री को साड़ी से बने फंदे में पंखे से लटकता हुआ पाया।
पुलिस ने अंजली के शव को पोस्टमार्टम के लिए आर. एन. कूपर अस्पताल भेज दिया है। कई भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुकी अंजली की आखिरी फिल्म 'केहु ता दिलमें बा
भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों के अनुसार अंजली फिल्म में आने से पहले इलाहाबाद में रहती थी। वह लोकल लेवल पर बनने वाले वीडियो एलबम में डांस करती थी। अंजली पर यहीं से फिल्म एक्ट्रेस बनने का जुनून सवार हुआ और वह इलाहाबाद छोड़कर मुंबई आ गई।  मुंबई में जीना अंजली के लिए इलाहाबाद की तरह आसान न था। न परिवार का सपोर्ट था और न फिल्मी दुनिया के लोगों से करीबी जान पहचान। अंजली ने मुंबई आकर काफी संघर्ष किया। फिल्म में छोटे- मोटे रोल तक जो मिले वह स्वीकार कर लेती थी। इसी बीच अंजली को भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों से थोड़ी पहचान हुई तो कच्चे धागे और लहू के दो रंग समेत भोजपुरी की कई फिल्में की
थी, जो हाल ही में रिलीज हुई थी।

और चाँद फूट गया

आशीष और रोहित के घर आपस में मिले हुए थे। रविवार के दिन वे दोनों बड़े सवेरे उठते ही बगीचे में आ पहुँचे।
तो आज कौन सा खेल खेलें ? रोहित ने पूछा। वह छह वर्ष का था और पहली कक्षा में पढ़ता था।
 कैरम से तो मेरा मन भर गया। क्यों न हम क्रिकेट खेलें ?  आशीष ने कहा। वह भी रोहित के साथ पढ़ता था।
 मगर उसके लिये तो ढेर सारे साथियों की ज़रूरत होगी और यहाँ हमारे तुम्हारे सिवा कोई है ही नहीं।  रोहित बोला।
वे कुछ देर तक सोचते रहे फिर आशीष ने कहा,  चलो गप्पें खेलते हैं।
 गप्पें? भ़ला यह कैसा खेल होता है?  रोहित को कुछ भी समझ में न आया।
 देखो मैं बताता हूँ आ़शीष ने कहा,  हम एक से बढ़ कर एक मज़ेदार गप्प हाँकेंगे। ऐसी गप्पें जो कहीं से भी सच न हों। बड़ा मज़ा आता है इस खेल में। चलो मैं ही शुरू करता हूँ यह जो सामने अशोक का पेड़ है ना रात में बगीचे के तालाब की मछलियाँ इस पर लटक कर झूला झूल रही थीं। रंग बिरंगी मछलियों से यह पेड़ ऐसा जगमगा रहा था मानो लाल परी का राजमहल।
अच्छा! रोहित ने आश्चर्य से कहा,  और मेरे बगीचे में जो यूकेलिप्टस का पेड़ है ना इ़स पर चाँद सो रहा था। चारों ओर ऐसी प्यारी रोशनी झर रही थी कि तुम्हारे अशोक के पेड़ पर झूला झूलती मछलियों ने गाना गाना शुरू कर दिया।
अच्छा! कौन सा गाना?  आशीष ने पूछा।  वही चंदामामा दूर के पुए पकाएँ बूर के।  रोहित ने जवाब दिया।
 अच्छा! फिर क्या हुआ?
 फिर क्या होता, मछलियाँ इतने ज़ोर से गा रही थीं कि चाँद की नींद टूट गयी और वह धड़ाम से मेरी छत पर गिर गया। फिर? 
 हाय, सच! चाँद फूट गया तो फिर उसके टुकड़े कहाँ गये?  आशीष ने पूछा।
वे तो सब सुबह-सुबह सूरज ने आकर जोड़े और उनपर काले रंग का मलहम लगा दिया। विश्वास न हो तो रात में देख लेना चाँद पर काले धब्बे ज़रूर दिखाई देंगे।
अच्छा ठीक है मैं रात में देखने की कोशिश करूँगा।  आशीष ने कहा। वह एक नयी गप्प सोच रहा था।
हाँ याद आया, आशीष बोला,  पिछले साल जब तुम्हारे पापा का ट्रांसफर यहाँ नहीं हुआ था तो एक दिन खूब ज़ोरों की बारिश हुई। इतनी बारिश कि पानी बूँदों की बजाय रस्से की तरह गिर रहा था। पहले तो मैं उसमें नहाया फिर पानी का रस्सा पकड़ कर ऊपर चढ़ गया। पता है वहाँ क्या था?
क्या था?  रोहित ने आश्चर्य से पूछा।
वहाँ धूप खिली हुई थी। धूप में नन्हें नन्हें घर थे, इन्द्रधनुष के बने हुए। एक घर के बगीचे में सूरज आराम से हरी-हरी घास पर लेटा आराम कर रहा था और नन्हें-नन्हें सितारे धमाचौकड़ी मचा रहे थे 
सितारे भी कभी धमाचौकड़ी मचा सकते हैं?  रानी दीदी ने टोंक दिया। न जाने वो कब आशीष और रोहित के पास आ खड़ी हुई थीं और उनकी बातें सुन रही थीं।
 अरे दीदी, हम कोई सच बात थोड़ी कह रहे हैं।  रोहित ने सफाई दी।
अच्छा तो तुम झूठ बोल रहे हो?  रानी ने धमकाया।
नहीं दीदी, हम तो गप्पें खेल रहे हैं और हम खुशी के लिये खेल रहे हैं, किसी का नुक्सान नहीं कर रहे हैं।  आशीष ने कहा।
भला ऐसी गप्पें हाँकने से क्या फायदा जिससे किसी का उपकार न हो। मैने एक गप्प हाँकी और दो बच्चों का उपकार भी किया।
 वो कैसे ?  दोनों बच्चों ने एक साथ पूछा।
अभी अभी तुम दोनों की मम्मियाँ तुम्हें नाश्ते के लिये बुला रही थीं। उन्हें लगा कि तुम लोग बगीचे में खेल रहे होगे लेकिन मैने गप्प मारी कि वे लोग तो मेरे घर में बैठे पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने मुझसे तुम दोनों को भेजने के लिये कहा हैं।
फिर क्या था, वह तो गिरते ही फूट गया।

इंजीनियर की नौकरी छोड़ लौटा गांव, खेती से कमा रहा 5 लाख रुपए

हमारे समाज में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद लोग नौकरी की तलाश करते रहते हैं। कई बार तो वे बेहद कम सैलरी पर नौकरी करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन खेती या व्यवसाय नहीं करना चाहते हैं, ऐसे लोगों के सामने गुडग़ांव  विनोद कुमार मिसाल पेश कर रहे हैं। गुडग़ांव के फरूखनगर तहसील के गांव जमालपुर के रहने वाले विनोद कुमार ने इंजीनियर की नौकरी छोड़कर मोती की खेती शुरू की और आज वह मालामाल हो गए हैं। आज आलम यह है कि वह हर साल अपने अपने परिवार और खेती का सारा खर्च उठाने के बाद भी पांच लाख रुपए तक बचा लेते हैं। विनोद की यह कहानी से कई लोगों को प्रेरणा मिल सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद कुमार ने 2013 में मानेसर पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद दो साल तक नौकरी की। विनोद जब कभी गांव आते और पिता को खेतों में काम करते देखते तो उनका भी मन गांव आने का होता। उधर प्राइवेट नौकरी में बेहद कम सैलरी मिलने के चलते भी विनोद का रुझान खेती की ओर हो रहा था।
इसी बीच विनोद ने काफी दिनों तक इंटरनेट पर खेती के तरीके और फायदे कमाने के गुर सीखे। इसके बाद वे नौकरी छोड़कर गांव आ गए। पहले तो मां-पिता ने उनके इस फैसले के प्रति नाराजगी जताई। गांव आकर विनोद ने मोती की खेती शुरू की। खेती शुरू करने से पहले विनोद ने सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर (सीफा) भुवनेश्वर में जाकर एक सप्ताह ट्रेनिंग ली।
उन्होंने मेरठ, अलीगढ़ व साउथ से 5 रुपए से 15 रुपए में सीप खरीदी। इन सीप को 10 से 12 महीने तक पानी के टैंक में रखा जाता है। जब सीप का कलर सिल्वर हो जाता है तो मानो मोती तैयार हो गया है। इस खेती को शुरू करने में 60 हजार रुपए खर्च हुआ। विनोद ने बताया कि मोती की कीमत उसकी क्वालिटी देकर तय की जाती है। एक मोती की कीमत 300 रुपए से शुरू होकर 1500 रुपए तक है। उन्होंने बताया कि वे हर साल करीब 2000 सीप पैदा कर लेते हैं, जिससे उन्हें पांच लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। विनोद ने कहा कि जो भी पढ़े-लिखे युवा हैं वे केवल नौकरी पर आश्रित न रहें, वे अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल व्यवसाय और खेती के लिए करें।

हेलन के असिस्टेंट हुआ करते थे मिथुन चक्रवर्ती

16 जून 1950 को बॉलीवुड के डिस्को डांसर मिथुन चक्रवर्ती अपना जन्मदिन मनाते है। डांस, एक्टिंग, एक्शन इन सबका बेहतरीन कॉम्बिनेशन है मिथुन। कोलकाता में पढ़ाई पूरी करने के बाद मिथुन पुणे आ गए और यहां उन्होंने फि़ल्म एंड टेलीविजऩ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया में एक्टिंग सिखी। 1976 में मृणाल सेन की फि़ल्म 'मृगया' से अपना डेब्यू करने के बाद मिथुन को अपनी इस पहली फि़ल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल फि़ल्म अवॉर्ड भी मिला और इसके बाद मिथुन सिफऱ् आगे बढ़ते गए।
मिथुन आज 67 साल के हो गए हैं और उनके इस जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताएंगे उनसे जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातें, जो हर कोई नहीं जानता।
जी हां, बहुत कम लोग जानते हैं कि मिथुन ने मार्शल आर्ट की एक्सपर्ट ट्रेनिंग ली है और वो ब्लैक बेल्ट भी है। यही नहीं उन्होंने वेस्ट बंगाल स्टेट रेसलिंग को भी जीता है।
आपको बता दें कि मिथुन डिस्को डांसर ऐसे ही नहीं बने, फि़ल्मों में क़दम रखने के पहले मिथुन डांसिंग दिवा हेलन के असिस्टेंट थे। इस दौरान वो अमिताभ बच्चन की फि़ल्म दो अंजाने में भी कुछ मिनटों के लिए दिखाई दिए थे।
ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 3 नेशनल अवार्ड्स, 2 फि़ल्मफेर अवार्डस और भी अकी अवार्ड्स जीतने वाले मिथुन ने तकरीबन 350 फि़ल्मों में काम किया है जिसमे, हिंदी, बंगाली, भोजपुरी, ओरिया और पंजाबी फि़ल्में भी शामिल हैं। यह जानकार आप चौंक जाएंगे कि मिथुन के पास लगभग 38 कुत्ते हैं। कई तरह के पक्षियों को उन्होंने अपने घर पर जगह दी है।  उन्होंने कई इंटरव्यू में कहा है कि ये कुत्ते उनके बच्चों की तरह है।
एक अच्छे कलाकार के साथ सतह मिथुन एक सक्सेसफुल बिजऩेस मैन भी हैं। ऊटी, दार्जलिंग, सिलीगुड़ी, कलकत्ता और भी कई जगहों पर मिथुन के होटल्स हैं जो काफ़ी पॉपुलर हैं।

अमिताभ बच्चन होंगे जीएसटी के ब्रांड अंबेसडर, आजादी की उद्घोषणा की तरह ही होगी जीएसटी की शुरुआत

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
नयी दिल्ली।बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन माल एवं सेवाकर (जीएसटी) का प्रचार करते नजर आयेंगे। वहीं, जीएसटी को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि देश में जिस तरह से आजादी की घोषणा हुई थी, उसी तर्ज पर आगामी एक जुलाई को पूरे देश में एक साथ जीएसटी लागू होने की भी घोषणा की जायेगी। जीएसटी के प्रचार और उसके ब्रांड अंबेसडर को लेकर कहा जा रहा है कि केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क विभाग बच्चन को जीएसटी का ब्रांड एंबेसडर बनायेगा। उनके साथ 40 सेकेंड की एक विज्ञापन फिल्म पहले ही शूट कर ली गयी है। वित्त मंत्रालय ने इस वीडियो को साझा करते हुए ट्वीट में लिखा है कि जीएसटी-एक पहल एकीकृत बाजार बनाने के लिए। इससे पहले बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू जीएसटी की ब्रांड अंबेसडर थीं।
जीएसटी व्यवस्था नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की शुरुआत 30 जून की आधी रात को संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में होगी, जहां 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्राी जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण नियति के साथ मिलन  दिया था। सरकार संभवत: पहली बार नयी कराधान प्रणाली शुरू करने के लिए केंद्रीय कक्ष का उपयोग करेगी। नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली 2,000 अरब डॉलर से अधिक अर्थव्यवस्था को नया रूप देगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जीएसटी लागू होने की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम संभवत: 30 जून को रात 11 बजे शुरू होगा और आधी रात तक चलेगा। एक जुलाई से जीएसटी लागू होना है। आधी रात में घंटा बजेगाश् जो यह रेखांकित करेगा जीएसटी आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम में मुख्य वक्ता होंगे, जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी आमंर्तति किया जायेगा। पूर्व संप्रग सरकार में मुखर्जी जब वित्त मंत्री थे, उन्होंने जीएसटी विधेयक को आगे बढ़ाया था।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद होंगे। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी केंद्रीय कक्ष में मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने कहा कि सभी राज्यों के मुख्यमंर्तयिों को भी कार्यक्रम में आमंर्तति किया जायेगा, क्योंकि जीएसटी राजकोषीय संघवाद की दिशा में अप्रत्याशित मुहिम को प्रतिबिंबित करता है। जीएसटी परिषद के सदस्य अतिथि होंगे। केंद्र एवं राज्य सरकारों को एक साथ लाने वाली जीएसटी परिषद की 17 बार बैठक हुई, ताकि नयी कर व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा सके।
पहले जीएसटी की शुरुआत विज्ञान भवन से होनी थी, लेकिन नयी कर संहिता की अहमियत को देखते हुए केंद्रीय हाल को बेहतर विकल्प माना गया। नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था एक दर्जन से अधिक शुल्कों को स्वयं में समाहित कर एकल बाजार तैयार करेगा, जिसकी आबादी अमेरिका, यूरोप, ब्राजील, मैक्सिको तथा जापान को मिलाकर अधिक है।

चेकअप के लिए जेल से बाहर आई साध्वी, बाहुबली-2 देखने के बाद हो गई फरार

अहमदाबाद। बनासकांठा के मुक्तेश्वर मठ की विवादास्पद साध्वी जयगिरि बुधवार रात अहमदाबाद के हिमालय मॉल से पुलिस को चकमा देकर फरार हो गई। साध्वी जयगिरी मेडिकल चेकअप के लिए पेरोल पर जेल से बाहर आई थी और फिल्मी स्
साध्वी जयगिरि पर लूट, फिरौती, किडनैपिंग व मुक्तेश्वर मठ के महंत की हत्या सहित कई मामले पुलिस थानों में दर्ज है। जनवरी महीने में एक युवक ने साध्वी के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके बाद साध्वी के काले कारनामे की गूंज विधानसभा तक सुनाई दी थी। तब जाकर पुलिस ने साध्वी को गिरफ्तार किया था। साध्वी पिछले चार माह से साबरमती जेल में बंद थी। कोर्ट ने 4 जून को बीमारी के इलाज के लिए 10 दिन के पेरोल पर रिहा किया था। कोर्ट ने दो महिला व दो पुरुष कांस्टेबल को साध्वी के साथ रहने का आदेश दिया था।
बता दें कि साध्वी जयगिरि बुधवार को अहमदबाद के हिमालय मॉल से फरार हो गई थी। फरार होने से पहले मॉल में साध्वी ने फिल्म बाहुबली-2 देखी, मसाज करवाया और शॉपिंग भी की। अपराध शाखा पुलिस की जांच में पता चला है कि साध्वी महिला हेड कांस्टेबल बेला बेन के साथ हिमालय मॉल गई थी। उस समय अन्य दो कांस्टेबल अपने घर कपड़े बदलने गए थे जबकि एक अन्य महिला कांस्टेबल साध्वी के वकील दर्शना बेन के घर थी।
साध्वी ने पहले हिमालय मॉल के मसाज पार्लर में मसाज करवाया, इसके बाद शॉपिंग की। यहां बिग सिनेमा में साध्वी ने हेड कांस्टेबल के साथ बाहुबली-2 देखी। महिला कांस्टेबल के बयान के मुताबिक बाहुबली-2 देखने के दौरान वाशरुम जाने का कहकर साध्वी फरार हो गई।
पुलिस ने साध्वी के भागने में मदद करने के आरोप में चार पुलिसकर्मी समेत साध्वी के दो वकील को गिरफ्तार कर लिया है। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के डीसीपी द्रीपेन भट्ट ने कहा कि साध्वी की तलाश की जा रही है। साध्वी के मोबाइल पर कई लोगों ने संपर्क किया था। उसके मोबाइल का अंतिम लोकेशन हिमालय मॉल में था। साध्वी को पकडऩे के लिए अहमदाबाद अपराध शाखा की विशेष टीम सहित प्रदेश भर की पुलिस जुट गई है।
साध्वी का अहमदाबाद के झायड्स अस्पताल में उपचार चलने की बात कही जा रही थी लेकिन अस्पताल प्रशासन ने साफ किया कि साध्वी का यहां कोई इलाज नहीं चल रहा है। इसके बाद पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान पैदा हो गया है। बुधवार को हिमालय मॉल के सीसीटीवी कैमरे में साध्वी महिला हेड कांस्टेबल बेलाबेन के साथ दिखाई दे रही है। साध्वी के फरार होने में पुलिसकर्मियों के साथ-साथ दो वकील की भूमिका भी बताई जा रही है। पुलिस ने पुलिसकर्मी महिला हेड कांस्टेबल बेलाबेन, हेड कांस्टेबल हर्षाबेन, सुरेशभाई और जंयति भाई के साथ साध्वी की वकील दर्शना पंडया और दक्ष परमार को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि साध्वी के फरार होने के समय हेड कांस्टेबल हर्षाबेन सहित तीन अन्य वकील दर्शना पंडया के घर थे।
टाइल में गुजरात पुलिस को चकमा देकर फरार हुई। 24 घंटे से ज्यादा समय होने के बाद भी पुलिस को साध्वी का कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस पर साध्वी को पकडऩे का दबाव बढ़ गया और पुलिस सूत्रों का मानना है कि साध्वी गुजरात के बाहर भाग गई है।

शुक्रवार, जून 23, 2017

हॉस्पिटल ने नवजात को बताया मृत, अंतिम संस्कार से ठीक पहले हिलने लगा शरीर

नई दिल्ली। दिल्ली के एक अस्पताल ने एक नवजात को कथित तौर पर मृत घोषित कर दिया। जब अंतिम संस्कार करने क् लिए उसे ले जाया जा रहा था तो उसे जिंदा पाया गया। जब पिता को पता चला कि बच्चा जिंदा है तो उन्होंने तुरंत पीसीआर को फोन किया गया और बच्चे को अपोलो अस्पताल भेजा। जहां से उसे फिर सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक महिला ने सोमवार सुबह एक शिशु को जन्म दिया। अस्पताल के कर्मचारियों को बच्चे में कोई हरकत नजर नहीं आई। बच्चे के पिता रोहित ने कहा, डॉक्टर ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया था। उन्होंने बच्चे को अंतिम संस्कार के लिए उन्हें दे दिया। जब परिवार सदस्य बच्चे को लेकर घर आए और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी तो अचानक रोहित की बहन ने बच्चे में कुछ हरकत महसूस की। जब उसे खोला गया तो बच्चे की धड़कन चल रही थी और वह हाथ पैर चला रहा था।
पुलिस अधिकारी ने पहले बताया कि बच्चे की मौत हो गई। पर बाद में कहा कि अस्पताल में ऐसा ही एक दूसरा मामला हुआ था जिसकी वजह से ये गलती हो गई।
बता दें कि मां की हालत ठीक नहीं थी तो वह अस्पताल में ही भर्ती थी। जब पिता को पता चला कि बच्चा जिंदा है तो उन्होंने तुरंत पीसीआर को फोन किया गया और बच्चे को अपोलो अस्पताल भेजा। जहां से उसे फिर सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस मामले को लेकर परिवार वालों ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया है। इस पर रोहित ने कहा, वे इतने गैर जिम्मेदार कैसे हो सकते हैं और जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हमने समय रहते वो पैक को नहीं खोला होता तो मेरा बच्चा वास्तव में मर गया होता। हमें सच्चाई कभी पता नहीं चलती। ये अस्पताल की तरफ से बहुत ही बड़ी लापरवाही है। इसके दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।
सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच का आदेश दिया है। अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक ए के राय ने बताया, महिला ने 22 हफ्ते पूर्व बच्चे को जन्म दिया। डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देश के मुताबिक 22 हफ्ते पहले और 500 ग्राम से कम वजन का बच्चा जीवित नहीं रहता। जन्म के बाद बच्चे में कोई हरकत नहीं थी।


बीफ खाने की जिद्द में सूली चढ़ गई शादी, बैरंग लौटी बारात

रामपुर। यूपी के रामपुर में बीफ की वजह से एक शादी रद्द हो गई। यहां लड़के वालों द्वारा बारातियों को बीफ खिलाने की मांग शादी टूटने की वजह बन गई। रिश्ता तोडऩे के बाद गांव में पंचायत भी बैठी, लेकिन इसके बाद भी लड़के वाले नहीं माने। इस मामले में लड़की वालों ने युवक समेत 6 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया है।
यह मामला रामपुर के पटवाई थाना क्षेत्र का है। यहां के गांव घोसीपुरा की रहने वाली शकीला ने अपनी बेटी नसीम की शादी दरियागढ़ के रहने वाले मुहम्मद रफी से तय की थी। तीन महीने पहले दोनों की मंगनी की रस्म भी हो गई थी। उस वक्त शादी की तारीख तय नहीं हुई थी। पिछले महीने लड़के वालों ने कार और शादी की दावत में मेहमानों को गोमांस परोसने की मांग रखी। लड़की वालों ने हैसियत का हवाला देकर कार देने से इंकार कर दिया। साथ ही गोमांस के बैन की बात रखते हुए उसे भी बारात में परोसने से मना कर दिया।
लड़के वालों की ओर से रिश्ता तोड़े जाने के बाद गांव में ही पंचायत बैठी। इस पंचायत में लड़के पक्ष को समझाने की कोशिश की गई। पंचायत में बताया गया कि सरकार की ओर से गोमांस पर पाबंदी लगी है। साथ ही पंचायत ने यह भी कहा कि अगर कोई गोमांस का खाएगा तो उसके परिवार से हुक्का पानी बंद कर दिया जाएगा। इसके बावजूद भी लड़के पक्ष के लोग नहीं माने और बारात में गोमांस परोसने की जिद करते रहे।
जब पंचायत में बात नहीं बनी तो लड़की की मां ने पुलिस में तहरीर देकर दुल्हे, उसके पिता, मां हसीना, भाई फारूख, बहन मुरादन और गुलफ्शां के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दिया। पटवाई थाना प्रभारी राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि लड़के पक्ष पर दहेज मांगने और शादी में गोमांस खिलाने का आरोप है। मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

सुहागरात पर किन्नर निकली दुल्हन, दूल्हे के उड़े होश

कन्नौज। इत्रनगरी में विवाह के बाद दूल्हे के अनुभव बेहद ही कड़वा रहा। विवाह के बाद जब दुल्हन को लेकर घर पहुंचा तो काफी खुशी का माहौल बना था।इसके बाद रात में तो दूल्हे पर सुहागरात पर कहर टूट गया। वह तो युवती को ब्याह कर लाया था, लेकिन वह युवती किन्नर निकली। इसके बाद पंचायत हुई तो पता चला कि दूल्हे को लड़की की छोटी बहन दिखाई गई थी, लेकिन बड़ी बहन से विवाह करा दिया गया।
कन्नौज में कल चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विवाह के सभी काम समाप्त होने के बाद जब युवक दुल्हन के साथ सुहागरात मनाने कमरे में पहुंचा तो उसके होश उड़ गए। लड़के को पता चला की उसकी पत्नी किन्नर है जबकि लड़की को यह बात पहले से ही पता थी। गांव में पंचायत के बाद लड़की पक्ष ने छोटी बेटी से ब्याह करने का वायदा किया था। युवक की शादी 13 मई को हुई थी। सुहागरात में युवक ने देखा कि उसकी पत्नी किन्नर है तो उसको झटका लगा। यह बात युवक ने जाकर अपनी भाभी से कही।
इसके बाद ससुरालियों को बुलाया गया तो मामले को सुलझाने की कोशिशें शुरू हुईं, लेकिन बरात के एक दिन लड़की पक्ष के लोग वादे से मुकर जाने के बाद लड़के पक्ष के लोगों ने केस दर्ज करवाया है। वहीं पीडि़त ने पुलिस से इस मामले में न्याय की गुहार लगाई है।
बरात ठठिया थाने के सुखी कुढऩा गांव आयी थी। वहीं लड़का पक्ष कानपुर देहात के उखरी उरिया गांव के रहने वाले बताये जा रहे है।
फिलहाल इस मामले में शनिवार को एक बार फिर पंचायत बैठने की उम्मीद लगाई जा रही है, लेकिन सवाल खड़ा होता है कि क्या लड़के पक्ष के लोगों की मांग पर लड़की वाले कितना तरजीह देते है।पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है। वहीं पुलिस के दोनों पक्षों में सुलाह कराने में जुटी है।


स्मार्टफोन के दौर में स्मार्ट योग

क्या आपको मोबाइल फोन की वजह से गर्दन में दर्द रहता है या फिर सिर और कंधों में। हम उन्नत प्रौद्योगिकी के युग में रहते हैं और आज मोबाइल फोन दुनियाभर में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक और निजी संबंधों से लेकर व्यापार तक को मोबाइल उपकरणों ने पूरी तरह बदल कर रख दिया है। इनके व्यापक उपयोग या दुरुपयोग ने जीवनशैली में विभिन्न खतरों को उजागर किया है। उदाहरण के तौर पर यदि आप यह लेख अपने मोबाइल में पढ़ रहे हों, आपकी दोनो भुजाएं मुड़ी हुई या झुकी हुई हैं, आपकी पीठ मुड़ी हुई है और गर्दन आगे की तरफ झुकी हुई है। हो सकता है आप अपनी इस स्थिति के प्रति अनभिज्ञ हों, पर यही स्थिति आपके दर्द व दर्द को बढ़ाने में सहायक है। उपचारकर्र्ता इस स्थिति को टेक्स्ट नेक कहते हैं।
साधारण स्थिति में जब मनुष्य के कान कंधों के ठीक ऊपर होते हैं तो सिर का वजन 4.5 किलोग्राम होता है। एक इंच भी गर्दन को आगे करने पर यह वजन रीढ़ की हड्डी पर दोगुना पड़ता है। तो यदि आप स्मार्टफोन को अपनी गोद में रखकर देख रहे होते हैं तो अंदाजन 10 से 14 किलो वजन रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। रीढ़ की हड्डी पर पड़ता यह निरंतर दबाव बेहद ज्यादा होता है और आपको असंतुलित करने के लिए काफी है।
यहां पर कुछ योग आसन व व्यायाम बताए जा रहे हैं जो कि आपकी कमर व गर्दन को मजबूती देंगे और लचक प्रदान करेंगे। इन आसनों का निरंतर अभ्यास आपको मोबाइल के कारण पीठ व गर्दन पर पडऩे वाले तनाव से दूर रखेगा और आप अंतत: अपने मोबाइल पर प्रेम पूर्वक बातें कर पाऐंगे व किसी को आसानी से मैसेज भेज पाएंगे-
1- कानों को खींचना और मसाज करना: अपने दोनों कानों को धीरे-धीरे ऊपर से नीचे तक हल्का-हल्का दबाएं। दोनों कानों को पकड़कर बाहर की तरफ खींचें और धीरे-धीरे क्लॉक वाइज व एंटी क्लॉक वाइज दिशा में हल्के -हल्के घुमाएं। इससे आपके कान के आसपास का तनाव कम होगा और आपको आराम मिलेगा।
2- भुजाओं को खींचना : अपनी दोनों भुजाओं को अपने सिर के ऊपर कीजिए और हाथ की हथेलियां आकाश की तरफ रहें। भुजाओं को थोड़ा और ऊपर खींचें। अब अपनी भुजाओं को कंधों के समानांतर फैला लीजिए और हाथ की हथेलियों व अंगुलियों को ऊपर नीचे व दाएं -बाएं करें। इससे आपके भुजाओं और कंधे को आराम मिलेगा।
3-  कंधों को घुमाना: अपने हाथों को कंधों के समानांतर कर लीजिए। अब अंगूठे से छोटी अंगुली के निचले भाग को छुएं। अब कंधों को क्लॉक वाइज व एंटी क्लॉक वाइज दिशा में घुमाएं।
4- कोहनी से आठ बनाना: अपने दोनों हाथों को अपनी छाती के सामने ले आइए। दोनों हाथों को अंगुलियों को एक दूसरे से बांध लीजिए। अब दोनों हाथों के कंधों व कोहनियों से आठ की आकृति बनाइए।
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- कंधों में खिंचाव लाना : अपने दांए हाथ को अपने सिर पर रखिए और बांएं हाथ से बाएं घुटने को कसकर पकडि़ए। अब दाएं हाथ को सिर के ऊपर से नीचे कूल्हों तक अच्छे से घुमाएं। इसे कई बार करें। यदि आप पूरे दिन में लंबे समय तक डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं तो थोड़े- थोड़े अंतराल बाद ब्रेक लें और शरीर व आंखों को आराम दें। इसके साथ- साथ ब्रेक के पश्चात आप अपनी स्थिति भी बदल सकते हैं।

टेंशन नहीं लें! ऐसे घर बैठे करें अपने बैंक खाते को आधार से लिंक

सरकार की ओर से लिये गये ताजा निर्णय के अनुसार अब आधार नंबर नया बैंक खाता खुलवाने के लिए भी जरूरी कर दिया गया है. यही नहीं 50,000 रुपये से ज्यादा के लेन-देन के लिए भी अब आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है. आपको बता दें कि सरकार ने इस साल से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए भी आधार कार्ड को जरूरी कर दिया है. वहीं पुराने बैंक खाताधारकों को भी अपना आधार 31 दिसंबर से पहले तक जमा करवाना आवश्यक है. यदि ग्राहक ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खाते वैध नहीं रहेंगे.
सरकार के इस निर्णय के बाद सभी नये और पुराने खाताधारकों के लिए बैंक खाते को आधार नंबर से लिंक कराना अनिवार्य हो गया है. लेकिन आप घबरायें नहीं यहां हम आपको बैंक अकाउंट से आधार को लिंक करने का तरीका आसान शब्दों में बता रहे हैं.
आप दो तरीकों से अपना आधार नंबर बैंक खाते के लिंक करा सकते हैं, पहला ऑफ लाइन तरीका और दूसरा ऑन लाइन तरीका...
ऑफलाइन तरीके से यदि आप बैंक खाते को आधार नंबर से लिंक कराना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपनी बैंक ब्रांच में जाना होगा. बैंक ब्रांच जाकर आपको अपनी आधार डिटेल बैंक कर्मचारी को उपलब्ध करानी होगी. बैंक के कर्मचारी ही आपके आधार को अकाउंट से लिंक कर देंगे.
आधार नंबर को बैंक अकाउंट से लिंक कराने का ऑनलाइन तरीका काफी आसान है आप घर बैठे भी यह कर सकते हैं. यह है तरीका..
1. ग्राहकों को पहले अपने बैंक की इंटरनेट बैंकिंग पर लॉग-इन करना होगा.
2. लॉगइन करने के बाद सबसे पहले आप अपडेट आधार कार्ड का विकल्प चुनें. सामान्य तौर पर यह वेबसाइट के ठीक ऊपर की ओर ग्राहकों के लिए दिया जाता है. वहीं कुछ बैंक इस स्थान पर आधार कार्ड सीडिंग भी लिखते हैं.
3. आपका बैंक इन दोनों में से जो भी विकल्प आपको दे रहा हो, उस पर क्लिक करें और अपने आधार नंबर की डिटेल वहां अंकित कर दें.
4. सबमिट बटन पर क्लिक करें. क्लिक करने के बाद आपका आधार नंबर सबमिट हो जाएगा.
5. आधार नंबर लिंक होने के बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर या ई-मेल पर बैंक का संदेश आ जाएगा।