शुक्रवार, जून 09, 2017

स्वर्ण मंदिर में लगे खालिस्तानी नारे

ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर दो गुट भिड़े

अमृतसर (पंजाब)
 स्वर्ण मंदिर में मंगलवार को ऑपरेशन ब्लूस्टार की 33वीं बरसी मनाई गई। इस मौके पर कई सिख संगठन जमा हुए। इस दौरान एक संदेश पढऩे को लेकर इन संगठनों में खींचतान रही। नौबत हंगामे तक पहुंच गई और माइक तोड़ दिए गए। बाद में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगे। बता दें कि 1984 में खालिस्तान सपोर्टर्स आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया गया था।
राज्य सरकार ने बरसी को देखते हुए सिक्युरिटी के सख्त इंतजाम किए थे। केंद्र सरकार की एजेंसियां भी इस पर नजर रख रही थीं।
बरसी के दौरान हंगामा एक संदेश पढऩे को लेकर शुरू हुआ था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने पहले ही साफ कर दिया था कि संदेश श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह ही पढ़ेंगे, जबकि दूसरी तरफ दल खालसा जैसे संगठनों ने इस जत्थेदार को सिरे से खारिज किया।
जब दूसरे गुट के जत्थेदार ने संदेश पढऩा शुरू किया तो माइक तोड़ दिए गए। हंगामा हुआ और फिर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे।
किसी भी तरह की संभावित हिंसा से निपटने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी के मौके पर पुलिस ने दरबार साहिब के इर्द-गिर्द सुरक्षा के सख्त प्रबंध किए।
हालांकि, एसजीपीसी के प्रधान जत्थेदार कृपाल सिंह बंडूगर ने 6 जून को अकाल तख्त पर होने वाले कार्यक्रम में संगत से धैर्य और शांति बरतने की अपील की थी।
पिछले दो साल से बरसी पर तनाव को देखते हुए एडमिनिस्ट्रेशन ने सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए थे। पूरे शहर में पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई।
पुलिस की ओर से भी लगातार फ्लैग मार्च निकाल कहा जा रहा था कि किसी भी हालत में न घबराए। क्योंकि पुलिस उनकी सुरक्षा में तैनात है और किसी भी तरह की हिंसक घटना नहीं होने दी जाएगी।
खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ स्वर्ण मंदिर में 6 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाया गया था। ये सभी खालिस्तान समर्थक थे। जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था। वे बाहर आने को तैयार नहीं थे।
तब इंदिरा गांधी की सरकार ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इसमें कई लोग मारे गए थे। करीब 200 लोगों ने सरेंडर किया था।

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