शनिवार, अप्रैल 29, 2017

अच्छा काम कर रही है जम्मू कश्मीर सरकार

भाजपा ने पीडीपी से मतभेद की बात को नकारा

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।   
भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष सत शर्मा ने कहा है कि पीडीपी-भाजपा की गठबंधन वाली सरकार ''अच्छा काम" कर रही है और राज्य में गठबंधन सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं है।
राज्य इकाई के अध्यक्ष का यह बयान जम्मू कश्मीर के बिगड़ते हालात के बीच मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने और दोनों पार्टियों के बीच संबंध तल्ख होने के बाद आया है।
उन्होंने कहा, ''जहां तक गठबंधन का सवाल है, तो सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं है। पीडीपी भाजपा सरकार अच्छा काम कर रही है। प्रत्येक व्यक्ति अपना काम कर रहा है।
शर्मा ने कल यहां पत्रकारों से कहा,''मुख्यमंत्री रोजना के कामों में मसरूफ हैं..यही हाल मंत्रियों और उपमुख्यमंत्री का है। कोई तनाव नहीं है।
भाजपा विधायक रवीन्द्र रैना ने उम्मीद जताई कि मोदी और महबूबा के बीच बैठक कश्मीर में कानून व्यवस्था के बेहतर हालात सुनिश्चत करने तथा शांति बहाल करने के साथ विकास कार्यो को गति देने की दिशा में सकारात्मक परिणाम देंगी।

 1-2 महीनों में सुधरेंगे कश्मीर के हालात : राम माधव

कश्मीर की चिंताजनक स्थिति पर बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा है कि घाटी में हालात सामान्य होने में 1-2 महीने का वक्त लगेगा। राम माधव का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के मुलाकात के बाद आया है। साथ ही बीजेपी महासचिव ने कहा है कि भाजपा-पीडीपी गठबंधन के बीच कोई दिक्कत नहीं है। एमएलसी चुनाव के बारे में कुछ मुद्दे हैं, इसके अलावा दोनों दलों के बीच कुछ संवाद की कमी है जिसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।
घाटी में खराब हालत की वजह से इस बार श्रीनगर उपचुनाव में सबसे कम 7 फीसदी वोटिंग हुई थी। आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से आतंकवाद और पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ी हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले साल 100 से ज्यादा लोगों ने आतंकवाद का रास्ता अपनाया है। साल 2017 में 13 स्थानीय लोग आतंकवाद से जुड़े हैं। घाटी में आतंकी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में सैन्य कार्रवाई में 38 आतंकवादी मारे गए, उनमें से 8 नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर ढेर किए गए।

आसान किश्तों पर एसी

अब आसान किश्तों पर एसी बेचेगी सरकार, बिजली की होगी बचत


नई दिल्ली। 
एलईडी बल्ब की तर्ज पर केंद्र सरकार अब बिजली बचाने के लिए एक और तरीके पर अमल करने जा रही है। सरकार अब एनर्जी एफिशिएंट एयरकंडीशनर (एसी) बेचने की तैयारी कर रही है। कीमत थोड़ी अधिक होने के कारण ये एसी ईएमआई पर दिए जाएंगे। बिजली कंपनियों के साथ मिलकर ईईएसएल ने करीब एक लाख एसी खरीदे हैं, लेकिन अभी कीमत अधिक होने के कारण इसे सरकारी भवन, एटीएम आदि में लगाए जा रहे हैं। ईईएसएल को उम्मीद है कि अगली खेप में इस एसी की कीमत कम होगी, और इसे आम जनता के बीच लांच किया जाएगा।
एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के प्रबंध निदेशक सौरभ कुमार की मानें तो एनर्जी एफिशिएंट एसी का बाजार बहुत कम है। जो फाइव स्टार एसी बाजार में उपलब्ध हैं, उनकी रेटिंग 3.7 है, जबकि हम चाहते हैं कि 5.3 रेटिंग के एसी का चलन देश में बढ़े। ये एसी 40 फीसदी बिजली बचाते हैं। आज की तारीख में इस तरह के एसी की कीमत 50 हजार से 60 हजार रुपए के बीच है।
कुमार ने कहा कि सितंबर तक इन एसी की सप्लाई की जाएगी, इसके बाद नई प्रोक्योरमेंट की तैयारी की जाएगी। अगली प्रोक्योरमेंट कितनी होगी, इस पर भी विचार किया जा रहा है। क्योंकि कीमत कम होने का सबसे बड़ा कारण एकमुश्त खरीद करना है। जितनी ज्यादा एसी खरीदे जाएंगे, कीमत उतनी ही कम होगह। और अगर कीमत कम होती है तो इसका फायदा आम उपभोक्ताओं को ही मिलेगा।

कृष्ण, सुदामा के समय हुई थी कैशलेस की शुरुआत; योगी ने सुनाया इंटरेस्टिंग किस्सा

लखनऊ। 
सीएम योगी आदित्यनाथ सोमवार को पंचायती राज दिवस के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। यहां उन्होंने कैशलेस से संबधित द्वापर युग की एक कहानी सुनाई। इस कहानी से वे लोगों को कैशलेस के प्रति जागरूक करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि कैसे कैशलेस की शुरुआत भगवान कृष्ण और सुदाम के समय ही हो गई थी।
योगी ने कैशलेस का जिक्र करते हुए कहा कि, पंचायतों को कैशलेस की ओर बढऩा चाहिए।
उन्होंने सुदामा और कृष्ण से संबंधित एक कहानी का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे कैसलेस की शुरुआत द्वापर युग में ही हो गई थी।
योगी ने कहा- सुदामा जी जब भगवान कृष्ण के यहां जाते हैं, तो कृष्ण उन्हें कुछ नहीं देते। इस पर सुदामा सोचते हैं कि भगवान कृष्ण तो राजा बनने के बाद अहंकारी हो गए हैं। इसके बाद जब वह घर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि उनकी आशा से कहीं ज्यादा उन्हें मिला है। वहां तो महल बना हुआ था।
इस तरह बिना कैस लिए और दिए कृष्ण ने सुदामा की सहायता की थी। इसके बाद योगी ने ग्राम पंचायत के सदस्यों को भीम एप को यूज करने की भी सलाह दी।
पीएम ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने को भीम ऐप लॉन्च किया बता दें, डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2016 में मोबाइल ऐप भीम लॉन्च किया था।
मोदी ने इस मौके पर कहा था- सरकार ऐसी टेक्नोलॉजी ला रही है, जिसके जरिए बिना इंटरनेट के भी आपका पेमेंट हो सकेगा। अंगूठा जो कभी अनपढ़ होने की निशानी था, वह डिजिटल पेमेंट की ताकत बन जाएगा। आपका अंगूठा ही डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए काफी होगा।
वहीं उन्होंने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने वाले लोगों और कलेक्टरों को सम्मानित भी किया।
वहीं नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए लकी ग्राहक योजना और डिजिधन व्यापारी योजना शुरू की थी। इनमें लकी ग्राहक योजना कस्टमर्स के लिए थी, जबकि डिजिधन व्यापारी योजना शॉपकीपर्स के लिए थी।
10 अप्रैल को प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी के हाथों इन स्कीम्स का लकी ड्रा निकालवाया गया था, इसके बाद अंबेडकर जयंती के मौके पर विनर्स के नाम डिक्लेयर नहीं किए गए थे। इसमें लातूर की श्रद्धा ने एक करोड़ का इनाम जीता है। उन्हें सिर्फ 1590 रुपए का डिजिटल पेमेंट करने पर यह इनाम मिला है। वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग की स्टूडेंट हैं। उसके पिता किराने छोटी-सी दुकान चलाते हैं।

मेट्रो में बुजुर्ग को नहीं दी सीट, कहा- चले जाओ पाकिस्तान, फिर मांगी माफी

नई दिल्ली। 

दिल्ली मेट्रो में सफर के दौरान इंसानियत को शर्मसार करने का मामला सामने आया है। दिल्ली मेट्रो के वॉयलेट लाइन पर मुस्लिम बुजुर्ग के साथ बदसलूकी हुई है। बताया जा रहा है कि बुजुर्ग के साथ मेट्रो में न केवल धक्का-मुक्की की गई, बल्कि उसे पाकिस्तानी कहकर वहां से जाने को तक को कह दिया गया।
पूरी घटना मामूली विवाद से शुरू हुई। मेट्रो में भीड़ की वजह से बुजुर्ग ने सीनियर सिटिजन की सीट पर बैठे दो युवकों से उन्हें सीट देने को कहा तो लड़कों ने उनका अपमान किया। उन्होंने बुजुर्ग से कहा, ये मेट्रो हिंदुस्तानियों के लिए है, पाकिस्तानियों के लिए नहीं। अगर उसे सीट चाहिए तो वो पाकिस्तान चला जाए।
लड़कों की ओर से तर्क दिया गया कि वो बुजुर्ग मुस्लिम समुदाय से थे और देखने में पाकिस्तानी लग रहे थे, जिसकी वजह से लड़कों ने उसे पाकिस्तानी समझ लिया और उसे सीट देने से इन्कार कर दिया।
उसी मेट्रो में सफर कर रहे एआईसीसीटीयू के राष्ट्रीय सचिव संतोष रॉय ने लड़कों से बुजुर्ग को सीट लेने को कहा तो उन्होंने उनका कॉलर पकड़ दिया और उनके बीच में पडऩे से मना किया। उन्होंने धमकी दी और इस मामले से दूर रहने को कहा। उन्होंने लड़कों से बुजर्ग से माफी मांगने के लिए कहा लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी बल्कि उन्होंने संजीव की कॉलर पकड़कर कहा 'पाकिस्तान चले जाओ।'
हालांकि, खान मार्केट मेट्रो स्टेशन के आने पर मेट्रो के गार्ड ने दोनों लड़कों को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया, जिसके बाद लड़कों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने बुजु्र्ग से लिखित तौर पर माफी मांगी। ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव महिला एसोसिएशन की सचि कविता कृष्णन ने अपने फेसबुक पेज पर इस घटना का जिक्र करते हुए पोस्ट लिखा है जो अब सोशल मीडिया वायरल हो रहा है।
कविता ने पोस्ट में बताया कि लड़कों ने जाते हुए धमकी दी कि हमारो लोग आ रहे हैं। घटना के बाद पुलिस ने बुजुर्ग से उन्हें घर तक छोडऩे की पेशकश भी की, लेकिन बुजुर्ग ने कहा कि वह खुद चले जाएंगे।

बाराबंकी की सावित्री, पति को मौत के मुंह से निकला

पति को मौत के मुंह से निकाल लाई ये पत्नी, 

वो बोला-जिंदगी भर का कर्जदार हूं

लखनऊ। 
आपने सावित्री की कहानी तो सुनी ही होगी, कि कैसे उसने पति को मौत के मुंह से निकला था। बाराबंकी की सीता यादव की कहानी भी कुछ ऐसी है। यहां सीता के पति की कैंसर के चलते दोनों किडनी खराब हो गई। उसका का कहना है, परिवार वालों ने भी दूरियां बना ली। पति की हालत देख आता था रोना, फिर मैंने खुद किडनी देने का फैसला कर लिया। जो थोड़े बहुत गहने मायके से मिले उसको बेचकर इलाज कराया।
लखनऊ के पीजीआई में 29 साल के शेर बहादुर का कैंसर का इलाज चल रहा है। इसके परिवार में पत्नी सीता यादव (27) और एक बेटा और एक बेटी है। ये बाराबंकी के रहने वाले हैं और इनकी दोनों किडनी खराब हो चुकी है। इसके चलते करीब 4 साल से बेड पर ही हैं।
पत्नी सीता ने बताया, पति ड्राइवर का काम करता थे। 2014 में एक दिन काम के बाद रात में घर आए तो इनके मुंह और नाक से ब्लड आने लगा। तुरंत हमने बाराबंकी के ही सफेदाबाद में चेकअप कराया। वहां के डॉ हरनाम वर्मा ने बताया कि पति की रिपोर्ट में कैंसर निकला है।
सीता का कहना है, घर की आर्थिक हालत भी खराब थी, इतना पैसा ही नहीं था की अच्छे डॉक्टर को दिखा सकें। ये सब सोचकर मुझे रोना आता था। फिर मैंने जो थोड़े बहुत गहने मायके से मिले थे उसे बेचकर कुछ पैसों का इंतजाम किया। 2014 में पति को इलाज के लिए पीजीआई लेकर आए। यहां डॉक्टरों ने इलाज के लिए डेढ़ साल बाद की डेट दे दी थी। उसके बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीटयूट गए तो डॉ. अभिलाष चंदा को दिखाया। उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट कराने की एडवाइस दी। कुछ टेस्ट कराए फिर ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर तैयार हो गए।
युवक की पत्नी ने बताया, किडनी देने के लिए घरवालों में से कोई भी तैयार नहीं हुआ। धीरे-धीरे सबने दूरियां बना ली। कोई अपनी बीमारी तो कोई अपनी अन्य वजह बताने लगा। उस वक्त पति ओटी में थे। डॉक्टर ने कहा, अगर देर हो गई तो बचाना मुश्किल होगा। जब कोई नहीं तैयार नहीं हुआ तो फिर मैंने अपनी किडनी देने का फैसला किया। मेरी बायीं किडनी निकालकर पति को लगाई गई, तब जाकर उनकी जान बच पाई।
वहीं, युवक शेर बहादुर का कहना है, जिस तरीके से पत्नी ने मौत के मुंह से निकाला है। इसके लिए जीवन भर उसका कर्जदार रहूंगा।
सीता ने बताया कि उसकी घर की हालत ठीक नहीं है। पति कैंसर से पीडि़त है। उनका अभी भी लोहिया इंस्टीटयूट में इलाज चल रहा है।  बीपीएल कार्ड से सरकारी मदद भी मिली थी, लेकिन उससे कुछ खास फायदा नहीं हुआ। इसलिए उन्हें सरकार से बड़ी मदद की जरूरत है।

पीडि़त किसानों के 'दर्द' पर सिद्धू ने लगाया मरहम, अपनी कमाई से देंगे 24 लाख

चंडीगढ़। 
पंजाब में अमृतसर से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर दरियादिली दिखाई है। सिद्धू ने राजा सांसी के उन किसानों को अपनी जेब से मुआवजा देने का ऐलान किया है जिनकी फसल आग लगने से बर्बाद हो गई थी।
कांग्रेस नेता और पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने किसानों की मदद की है। पंजाब के ओठियां में भीषण आग से बर्बाद हुई फसल के लिए सरकार की ओर से मुआवजा मिलने के साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी जेब से भी किसानों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को किसानों को अपनी जेब से 24 लाख रुपए मुआवजा देने की बात कही। शनिवार को लगी भीषण आगे के कारण इन किसानों की सैकड़ों एकड़ तैयार फसल जलकर राख हो गई थी। रविवार को सिद्धू ने राजा सांसी विधानसभा क्षेत्र में स्थित प्रभावित इलाके ओठियां का दौरा किया। खेतों के ऊपर से गुजर रहे हाई टेंशन लाइन के तार में स्पार्क होने के कारण 300 एकड़ फसल जल गई थी। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को घोषणा की है कि वह अपनी जेब से किसानों को फसल बर्बाद होने के लिए 24 लाख रुपये का मुआवजा देंगे।
मीडिया से बात करते हुए सिद्धू ने कहा कि पीडि़त किसानों को सरकार 8 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देगी। सरकार की ओर से 300 एकड़ के लिए 24 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं भी किसानों को 300 एकड़ के लिए उतना ही मुआवजा अपनी तरफ से दे रहा हूं। सिद्ध अपने पास से किसानों को 24 लाख रुपए मुआवजा देंगे। इस दौरान किसानों ने फायर टेंडर की कमी की शिकायत सिद्धू से की।
किसानों की मांग को मानते हुए तुरंत की फायर टेंडर प्रदान किए जाने का आदेश दे दिया है। सिद्धू ने अजनाला, राजासांसी, अमृतसर पूर्व और अमृतसर उत्तर को अलग-अलग दलकल गाडिय़ां देने का ऐलान किया है। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस भीषण आग ने ओठियां के अलावा कुछ और गांवों को भी अपने चपेट में लिया।

शराबबंदी को धार्मिक मान्यता जरूरी

शराब के सेवन से कष्ट को केवल कुछ समय तक राहत मिलती है। किसी भी समस्या का स्थायी समाधान शराब पीना नहीं है। दुर्भाग्य है कि हिंदू एवं ईसाई धर्मगुरु इस विषय पर मौन बने रहते हैं। देश में शराबबंदी को सफलतापूर्वक लागू करना है, तो सरकार को पहले हिंदू, मुसलमान एवं ईसाई धर्मगुरुओं की सभा बुलानी चाहिए। इनके माध्यम से शराब पीने वाले को पाप का बोध कराना चाहिए। इसके बाद शराबबंदी को लागू किया जाए, तो कुछ हद तक सफल हो सकती है....


बिहार ने शराबबंदी लागू की है। उत्तराखंड में शराबबंदी लागू करने को जन आंदोलन उग्र हो रहा है। हिमाचल में भी शराबखोरी के विरोध में लहरें चल रही हैं। इसके विपरीत केरल में पूर्व में लागू की गई शराबबंदी को हटाने पर सरकार विचार कर रही है। राज्यों की यह विपरीत स्थिति बताती है कि जनता को दोनों तरह से सकून नहीं है। शराबबंदी लागू करने के तमाम प्रयास असफल हो रहे हैं, बल्कि उनका दीर्घकालीन नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। 1920 में अमरीका में शराबबंदी लागू की गई थी। इसके बाद शराब का अवैध व्यापार करने को लिक्वर माफिया उत्पन्न हो गया। लोगों को शराब उपलब्ध होती रही, केवल इसका दाम बढ़ गया और इस काले धंधे को करने वालों की बल्ले-बल्ले हुई। देश में अपराध का माहौल बना। फलस्वरूप 1933 में शराबबंदी को हटाना पड़ा था, लेकिन तब तक लिक्वर माफिया अपने पैर जमा चुका था। इस माफिया ने आय के दूसरे रास्तों को खोजना चालू किया, जैसे स्मगलिंग करना। वर्तमान में वैश्विक माफियाओं की जड़ें उस शराबबंदी में बताई जाती हैं। अपने देश में भी परिस्थिति लगभग ऐसी ही है।
किसी समय मैं उदयपुर से अहमदाबाद बस से जा रहा था। सीट न मिलने के कारण खड़े-खड़े जाना पड़ा। थक गया तो किसी ट्रक वाले से बात करके ट्रक में बैठ गया। ट्रक ड्राइवर ने रास्ते में गाड़ी रोक कर टायर के ट्यूबों में भरी शराब को गाड़ी में लोड किया और शराब को अहमदाबाद पहुंचा दिया। गुजरात में शराबबंदी के बावजूद समय-समय पर जहरीली शराब पीने से लोगों की मृत्यु होती रहती है। यह प्रमाणित करता है कि अवैध शराब का धंधा चल ही रहा है। इस पक्ष को ध्यान में रखते हुए केरल के मंत्री ने शराबबंदी हटाने के पक्ष में दलील दी कि ड्रग्स के सेवन में भारी वृद्धि हुई है। यानी कुएं से निकले और खाई में गिरे। शराब की खपत कम हुई, तो ड्रग्स की बढ़ी। तमाम उदाहरण बताते हैं कि शराब के सेवन को कानून के माध्यम से रोकना सफल नहीं होता है, बल्कि इससे अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। शराबबंदी का दूसरा प्रभाव राज्यों के राजस्व पर होता है। वर्तमान में राज्यों का लगभग 20 प्रतिशत राजस्व शराब की बिक्री से मिलता है। शराबबंदी से यह रकम मिलनी बंद हो जाती है। इसकी पूर्ति करने को राज्यों को दूसरे 'सामान्यÓ माल पर अधिक टैक्स वसूल करना होता है। जैसे बिहार ने शराबबंदी के कारण हुए राजस्व नुकसान की भरपाई करने को कपड़ों पर सेल टैक्स में वृद्धि की है। यानी शराब के हानिप्रद माल पर टैक्स वसूल करने के स्थान पर कपड़े के लाभप्रद माल पर टैक्स अधिक वसूल किया जाएगा। लोग कपड़ों की खरीद में किफायत निश्चित रूप से करेंगे। कहना न होगा कि यह टैक्स पालिसी के उद्देश्य के ठीक विपरीत है। टैक्स पालिसी एक सामाजिक अस्त्र होता है। इसके माध्यम से सरकार द्वारा समाज को विशेष दिशा में धकेला जाता है, जैसे लग्जरी कार पर अधिक टैक्स लगा कर सरकार समाज को इस माल की कम खरीद करने की ओर धकेलती है।
इस दृष्टि से देखा जाए तो शराबबंदी का अंतिम प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे सख्ती से लागू किया जाता है या नहीं। यदि वास्तव में शराबबंदी लागू हो जाए, तो यह समाज को इस नशीले पदार्थ से परहेज करने की ओर धकेलेगी। तब कपड़े पर अधिक टैक्स अदा करना स्वीकार होगा। शराब की खरीद न करने से हुई बचत से कपड़े पर बढ़ा हुआ टैक्स अदा किया जा सकता है, परंतु शराबबंदी खख्ती से लागू नहीं हुई तो इसका दोहरा नुकसान होगा। लोग अवैध शराब को महंगा खरीदेंगे। साथ-साथ कपड़े भी कम खरीदेंगे, चूंकि इस पर टैक्स बढऩे से यह महंगा हो गया है। हानिप्रद माल की खपत कमोबेश जारी रहेगी और लाभप्रद माल की खपत कम होगी, लेकिन जैसा ऊपर बताया गया शराबबंदी को सख्ती से लागू करना कठिन होता है। अत: इसके नकारात्मक परिणाम होने की संभावना ज्यादा है, जैसा कि केरल का अनुभव बताता है।
इन समस्याओं के बावजूद शराबबंदी लागू होनी चाहिए। शराब बुद्धि को भ्रमित करती है। शराब के कारण तमाम सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। घरेलू हिंसा से परिवार त्रस्त हो जाते हैं। प्रश्न है कि शराबबंदी को लागू कैसे किया जाए। यहां हमें मुस्लिम देशों से सबक लेना चाहिए। कई देशों ने धर्म के आधार पर शराबबंदी लागू की है। इस्लाम धर्म द्वारा शराब पर प्रतिबंध लगाने से शराब पीने वाले को स्वयं अपराध अथवा पाप का बोध होता है। समाज में शराबबंदी के पक्ष में व्यापक जन सहमति बनती है। इसके बाद कानून एक सीमा तक कारगर हो सकता है। जैसे अपने देश में सामाजिक मान्यता है कि किसी की हत्या नहीं करनी चाहिए। कोई हत्या करता है तो समाज उसकी निंदा करता है। ऐसे में हत्यारों को पकडऩे में पुलिस कुछ कारगर सिद्ध होती है। इसके विपरीत समाज में मान्यता है कि बेटी को विवाह के समय माता-पिता की संपत्ति में अधिकार के रूप में धन देना चाहिए। कोई दहेज देता है, तो समाज उसकी प्रशंसा करता है। ऐसे में दहेज के विरुद्ध पुलिस नाकाम है। तात्पर्य यह कि सामाजिक मान्यता बनाने के बाद ही कोई भी कानून सफल होता है। अत: ऐसी मान्यता बनाने के बाद ही शराबबंदी कारगर हो सकती है। स्पष्ट करना होगा कि मुस्लिम देशों में धार्मिक प्रतिबंध के बावजूद भी शराब उपलब्ध हो जाती है। कई देशों में बड़े होटलों में शराब बेचने की छूट है। दूसरे देशों में शराब के गैर कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं। यानी धार्मिक प्रतिबंध स्वयं में पर्याप्त नहीं है, परंतु यह जरूरी है। केरल में शराबबंदी से पीछे हटने का कारण है कि शराब पीने के विरोध में सामाजिक मान्यता नहीं थी। ऐसे में शराब का धंधा अंडरग्राउंड हो गया अथवा इसने ड्रग्स के सेवन की ओर जनता को धकेला है। बिहार एवं उत्तराखंड में भी केरल जैसे हालात बनने की पूरी संभावना है, चूंकि यहां भी शराब के विरोध में सामाजिक मान्यता नहीं है। मुख्यत: महिलाएं ही इस कुरीति का विरोध करती हैं। मुस्लिम देशों की तरह शराब पीने वाले को पाप या अपराध का बोध नहीं होता है, बल्कि शराबबंदी को वह अपने हक के हनन के रूप में रखता है।  इस पृष्ठभूमि में चिंता का विषय है कि देश में शराब के सेवन में वृद्धि हो रही है। विकसित देशों के संगठन आर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-आपरेशन एंड डिवेलपमेंट के अनुसार भारत में शराब की प्रति व्यक्ति खपत में पिछले 20 वर्षों में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सभी धर्म शराब के सेवन की भर्त्सना करते हैं, चूंकि शराब के सेवन से कष्ट को केवल कुछ समय तक राहत मिलती है। यह भी कोई छिपा रहस्य नहीं है कि किसी भी समस्या का स्थायी समाधान शराब पीना नहीं है। दुर्भाग्य है कि हिंदू एवं ईसाई धर्मगुरु इस विषय पर मौन बने रहते हैं। देश में शराबबंदी को सफलतापूर्वक लागू करना है, तो सरकार को पहले हिंदू, मुसलमान एवं ईसाई धर्मगुरुओं की सभा बुलानी चाहिए। इनके माध्यम से शराब पीने वाले को पाप का बोध कराना चाहिए। इसके बाद शराबबंदी को लागू किया जाए, तो कुछ हद तक सफल हो सकती है। वर्तमान हालात में बिहार का शराबबंदी लागू करने का निर्णय अंत में हानिप्रद सिद्ध होगा।

कोई रोडमैप नहीं

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में मुलाकात हुई। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि मुलाकात कश्मीर घाटी के बिगड़े हालातों, पीडीपी और भाजपा में तनातनी व साझा सरकार की भटकी दशा-दिशा की बैकग्राउंड में हुई है। मुलाकात के बाद मेहबूबा मुफ्ती ने मीडिया से जो कहा उसका लबोलुआब है कि घाटी के पत्थर फेंकने वाले नौजवान सुनियोजित साजिश से भड़के हुए हंै। और जैसे अटलबिहारी वाजपेयी के वक्त में डॉयलॉग हुआ था वही हो तभी घाटी बच सकेगी। मेहबूबा के शब्दों में अटलबिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री तब हुर्रियत आदि से बात हुई थी। सो वाजपेयीजी ने जहा छोडा है वही से शुरू हो। मोदीजी ने कई बार कहा है कि वे वाजपेयीजी के कदमों पर चलना पसंद करेंगे। उनकी पॉलिसी मेलमिलाप की थी न कि टकराव की। बातचीत के अलावा दूसरा कोई विकल्प नही है। मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि नौजवानों की कई सच्ची शिकायते हैं उन्हें हमे दूर करना होगा! जरूरत डॉयलाग की है। हम अपने ही लोगों से लंबे समय तक टकराव नहीं रख सकते। न ही हम तब वार्ता शुरू कर सकते है जब एक तरफ से पत्थर फेंके जा रहे हो तो दूसरी तरफ से गोलिया। उनके पिता (दिवगंत मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद) ने प्रदेश में स्थाई शांति का रोडमैप दिया था। कह सकते हंै मेहबूबा मुफ्ती ने जो कहा उससे कोई असहमत नहीं हो सकता। उन्होंने ये बाते निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कही होगी। सवाल है कि नरेंद्र मोदी या उनकी केंद्र सरकार या सरकार की साझेदार भाजपा सहमत होते हुए भी उनके सुझाव पर क्या करने की स्थिति में है? यह पहले भी मसला था आज भी मसला है कि कश्मीर घाटी के लोग, नौजवान पहले भड़के हुए थे तो आज भी भड़के हुए हंै। 1947 से ले कर आज तक सुनियोजित साजिश में लोगों के भड़के होने के पेंच का नाम ही तो कश्मीर समस्या है। पाकिस्तान ने भड़काया हुआ है और पाकिस्तान ने इसलिए क्योंकि उसके पीछे इस्लाम का सियासी मिशन है। तभी पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी ने भी बहुतेरी कोशिश की, मगर समाधान नहीं निकला। पिछले 70 सालों के इतिहास की हकीकत है कि पंडित नेहरू से ज्यादा अमन मसीहा दूसरा नहीं हुआ। शेख अब्दुला और घाटी के कश्मीरी मुसलमानों का दिल जीतने की जितनी कोशिश भारत के प्रधानमंत्रियों ने की है और उसके लिए जितना तन, मन, धन दिया है दुनिया में शायद ही किसी दूसरे देश ने ऐसा किया हो। 1947 से अब तक दुनिया में अलगाववादी, पृथकतावादी, उग्रवादी जितने भी आंदोलन हुए है, आयरिस से ले कर बास्क, फिलीस्तीनी, कुर्द, बलूचिस्तान आदि के तमाम मसले वक्त के साथ खत्म होते गए या दम तोडते हुए बुझते गए। मगर वैसा कुछ जम्मू-कश्मीर में नहीं हुआ तो वजह सिर्फ और सिर्फ भारत के नेताओं की दरियादिली थी।
उस दरियादिली का एक अनहोना रूप अटलबिहारी वाजपेयी का वक्त भी था। इसलिए कि वाजपेयी सत्ता में आने से पहले उन श्यामाप्रसाद मुकर्जी के सचिव होने, उनकी विचारधारा में रंगे हुए नेता थे जिनका नारा था एक देश, दो संविधान नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। इसी विचार की प्रतिज्ञा ले कर जनसंघ, भाजपा और संघ परिवार ने जीवन गुजारा था।
मेहबूबा मुफ्ती ने मीडिया से जो कहा उसका लबोलुआब है कि घाटी के पत्थर फेंकने वाले नौजवान सुनियोजित साजिश से भड़के हुए हंै। और जैसे अटलबिहारी वाजपेयी के वक्त में डॉयलॉग हुआ था वही हो तभी घाटी बच सकेगी। और सत्ता आई तो क्या हुआ। अटलबिहारी वाजपेयी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू से एक कदम आगे बढ़, अपना दिल बढ़ा कर इंसानियत, कश्मीरियत के ऐसे जुमले गढ़े कि हर कोई हैरान हुआ। सभी को अनोखा आश्चर्य हुआ कि वाह! वाजपेयी- आडवाणी ये क्या कमाल के नेता है! ये तो जुमलों से, डॉयलॉग से दिल जीतने वाले महापुरूष है। पर उससे क्या बना? वाजपेयी ने भाषण दिए, जुमले गढ़े, लाहौर की बस यात्रा की। परवेज मुर्शरफ को दिल्ली, आगरा बुला कर आम खिलाए। और अंत नतीजा न केवल घाटी के उग्रवादियों के जस के तस तैंवर थे बल्कि कारगिल भी हुआ। और जैसे वाजपेयी, आडवाणी ने दिल खोल इंसानियत, कश्मीरियत, जम्हूरियत के जुमले बोल अपने को अमन का मसीहा बनाना चाहा वैसा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया है। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में हर वह संभव काम किया जिससे लोगों का दिल जीता जा सके। संदेह नहीं इसमें मुफ्ती मोहम्मद के साथ साझा सरकार बनाने का फैसला मील के पत्थर वाली घटना थी। पीडीपी से समझौता, उसके गले लगाने का अर्थ था कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह दिल जीतने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार है।
परिणाम सामने है। यक्ष प्रश्न की तरह बार-बार वह स्थिति, यह सवाल आ खड़ा होता है कि सबकुछ करते हंै लेकिन बार-बार सुनियोजित साजिश में नौजवान भड़के ही रहते है!
कश्मीर घाटी के लोग, नौजवान पहले भड़के हुए थे तो आज भी भड़के हुए हंै। 1947 से ले कर आज तक सुनियोजित साजिश में लोगों के भड़के होने के पेंच का नाम ही तो कश्मीर समस्या है।
मेहबूबा मुफ्ती कहती हंै, या फारूख अब्दुला, उमर अब्दुला कहते हंै कि डॉयलाग करो। बात करों। दरियादिली दिखाओं। दिलों को जोड़ो! पर इसकी जिम्मेदारी क्या खुद इन नेताओं की नहीं है? यदि दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अमन का रोडमैप बनाया था तो मेहबूबा मुफ्ती या उनकी सरकार ने उस पर अमल में क्या किया? डायल़ॉग तो मुख्यमंत्री या प्रदेश सरकार के नेता, मंत्री ही करेंगे। ये क्या यह चाहते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री राजनाथसिंह श्रीनगर जा कर हुर्रियत नेताओं के चक्कर लगाए। उन्हे सिर पर बैठाए। उन्हे कहे कि हम आपको सत्ता में बैठाते है और आप जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान में इसे चाहे तो स्वतंत्र देश घोषित करें या इस्लामी स्टेट! या फिर यह रायशुमारी करवाए कि लोगों को भारत के साथ रहना है या पाकिस्तान के साथ!
पता नहीं मेहबूबा मुफ्ती नौजवानों की सच्ची शिकायतों में क्या समझती है? हिसाब से उनके पास सत्ता है। वे मालिक है। मुख्यमंत्री और उनके प्रशासन को ही बेरोजगारी, बदहाली जैसी शिकायतों का समाधान निकालना होता है। उनकी सरकार ने क्या किया? क्या केंद्र सरकार ने रोका? बहरहाल, मेहबूबा मुफ्ती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात का अर्थ निकलता है कि न मेहबूबा का कोई रोडमैप है और न मोदी सरकार का। जैसा है वैसे चलेगा। न राज्य सरकार में हिम्मत या पकड़ है और न केंद्र सरकार का कोई निश्चय!

ट्रिपल तलाक के खिलाफ हैं बॉलीवुड के 'नवाब'

अज़ान पर बोले- जितनी कम आवाज हो उतना ही अच्छा है

एजेंसियां
नई दिल्ली। 

बॉलीवुड के 'नवाब' यानि सैफ अली खान ने ट्रिपल तलाक और सोनू निगम के अज़ान लाउडस्पीकर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी है।
ट्रिपल तलाक पर अपनी बात रखते हुए सैफ ने कहा कि वे इस प्रथा से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अमृता सिंह से निकाह किया था और कानूनी तौर पर उन्हें तलाक भी दिया था।
उन्होंने आगे कहा कि मैंने करीना से भारत सरकार के प्रावधानों के तहत ही शादी की थी। सैफ ने ट्रिपल तलाक के बारे में कहा कि हां मैंने निकाह किया था, मेरे ऊपर मेरे बच्चों की जिम्मेदारियां थीं। मैं ट्रिपल तलाक की प्रथा को नहीं मानता और इसीलिए मैंने भी ऐसे तलाक नहीं लिया था। मैंने बाकायदा कानूनन तलाक लिया था।  सैफ ने दुनिया भर में इस्लाम के लिए बढ़ते डर के बारे में भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, मुझे अपनी पहचान के कारण कभी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन दुनिया भर में इस्लाम के लिए नफरत और डर है, जो चिंताजनक है। मुसलमान को ऐसा लगता है कि उसे जबरन सताया जाएगा, उसके साथ भेदभाव किया जाएगा। मुस्लिम और यहूदी जैसी कोई बात नहीं होती है। लोग मुसलमान का एक चित्र खींच देते हैं और कहते हैं कि मुसलमान ऐसा करते हैं, वैसा करते हैं। सभी लोग की अलग पहचान होती है और जब हमें मुस्लिम कहकर पुकारा जाता है तो ये बहुत भयानक होता है।
सैफ अली खान ने सोनू निगम के अज़ान लाउडस्पीकर विवाद पर भी अपनी राय दी। इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में सैफ अली खान ने सोनू निगम के ट्वीट पर कमेंट करते हुए कहा है, कि बतौर अल्पसंख्यक दुनिया में आपको लोगों को अपनी मौजूदगी का एहसास कराना पड़ता है, लोगों को अपनी मौजूदगी की स्वीकार करवानी पड़ती है।
सैफ ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि जितनी कम आवाज हो उतना ही अच्छा है, लेकिन मैं ये भी समझता हूं कि अजान के दौरान आवाज को तेज करने से एक तरह से असुरक्षा की भावना से पैदा होती है।
सैफ अली खान के मुताबिक एक अल्पसंख्यक होने के नाते आप चाहते हैं कि दूसरे लोग आपकी मौजूदगी का एहसास करें यहीं नहीं वे आपकी उपस्थिति को स्वीकार भी करें।
सैफ ने कहा कि अगर इस हालत में कोई भी अजान की आवाज को कम करने को कहता है तो इससे कुछ लोगों का उग्र हो जाना स्वभाविक है। हालांकि, उन्होंने ये भी माना कि सोनू निगम की शिकायत करने का तरीका गलत था।

धनो में पशु चिकित्सा अस्पताल बनेगा: कोहली

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू

पशु, भेड़ व मत्स्य पालन मंत्री अब्दुल गनी कोहली ने सोमवार को कहा कि नगरोटा क्षेत्र के धनो में एक पशु चिकित्सा अस्पताल की स्थापना की जाएगी और इस संबंध में कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्री ने सोमवार को यहां धनो में आयोजित एक जन शिकायत निवारण शिविर में लोगों को संबोधित करते हुए कहा।
मंत्री ने कहा कि उन्होंने धन की मंजूरी के लिए समय पर एक परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए संबंधित उच्च अप का निर्देश दिया है ताकि क्षेत्र में पशुधन की बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल स्थापित किया जा सके।
इससे पहले शिकायत निवारण शिविर के दौरान, स्थानीय लोगों ने इलाके में भेड़, मुर्गी और मछली फार्मों की स्थापना के अलावा उनके आर्थिक परिवर्तन के लिए क्षेत्र में सड़कों की मरम्मत की मांगी की। उन्होंने क्षेत्र में पर्याप्त पेयजल, बिजली आपूर्ति और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया।
जन शिकायतों के जवाब में, मंत्री ने कहा कि व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने के बाद सरकार पषुधन फार्मों की स्थापना के लिए उचित कदम उठाएगी।  उन्होंने कहा कि लिंक सड़कों के मरम्मत के अलावा पेयजल, बिजली की आपूर्ति, और स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन जैसे मुद्दों को जल्द से जल्द संबधित विभागों के साथ उठाया जाएगा।
कोहली ने कहा कि सरकार राज्य के लोगों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार द्वारा राज्य की सत्ता संभालने के बाद कई पहाड़ी और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के समग्र विकास के परिदृश्य में सुधार करने के लिए कई नई पहल की हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं और लोगों को आगे आने और इन योजनाओं से अधिकतम लाभ लेने के लिए कहा।
उन्होंने अधिकारियों से समाज के कमजोर वर्गों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बदलने के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लाभ के बारे में विशेष रूप से पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में जन जागरूकता अभियान सुनिश्चित करने के लिए कहा।

गंगा ने भारत स्काउटस एंड गाईड्स आंदोलन को राज्य में सुदृढ़ करने को कहा

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
स्काउटस एंड गाईडस ने सोमवार को स्काउट, गाईड कप्तानों के लिए एक सप्ताह का बुनियादी प्रशिक्षण कोर्स का आयोजन गवर्नमैंट गल्र्स हायर सकैंडरी स्कूल जख में किया। उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। सांबा जिला के विभिन्न शिक्षा क्षेत्रों के अध्यापक इस प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं।

इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि स्काउटस एंड गाईडस गतिविधियां देश्भक्ति, समाश सेवा एवं भक्ति को बढ़ावा देते हुए समाज के विकास में अहम भूमिका निभाती है।  मंत्री ने कहा कि स्काउटस एंड गाईडस सौहार्द की भावना एवं भाईचारे को बढ़ावा देती है जिससे किसी भी व्यक्ति के चरित्र में निर्माण होता है।
गंगा ने स्काउटस एंड गाईडस की सराहना करते हुए सभी प्रतिभागियों से कहा कि वे इस महान आंदोलन को राज्य के हर कोने के साथ साथ शिक्षा संस्थानों तक भी ले जाऐं।
मंत्री ने कहा कि राज्य को भारत स्काउटस एंड गाईडस की सेवाओं पर गर्व है जिसने राज्य में हर धर्म के लोगों के बीच भाईचारे की भावना का निर्माण करने में मदद की है।
भारत स्काउटस एंड गाईडस के प्रशिक्षण केन्द्र के निर्माण पर मंत्री ने कहा कि  इसके लिए एक उचित जमीन की निशानदेही की जाये ताकि इसका कार्य सम्बंधित विभाग को सोंपा जाये।
इसके पहले मंत्री जीजीएचएसएस जख के विभिन्न चालू कार्य का निरीक्षण किया और निर्माण एजैंसियों को कार्य में और तेजी लाने को कहा ताकि यह कार्य तय समय सीमा में पूरे किये जा सकें।
राज्य आयुक्त भारत स्काउटस एंड गाईडस आई.डी.सोनी, एडवाईजर भारत स्काउटस एंड गाईडस सकीना बानो, प्रिंसिपल जीजीएचएसएस जख व अन्य गणमान्य भी इव अवसर पर उपस्थित थे।

राज्य सैनिक बोर्ड की 79वीं बैठक

राज्यपाल ने धनराशि बढ़ाने के लिए रक्षा मेले के आयोजन के लिए कहा


दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। 

राज्यपाल एन एन वोहरा की अध्यक्षता में सोमवार को यहां राजभवन में जम्मू एवं कश्मीर राज्य सैनिक बोर्ड की 79 वीं वार्षिक बैठक के उपरांत झंडा दिवस निधि के लिए राज्य प्रबंधन समिति की 64 वीं बैठक हुई।  राज्पाल ने झंडा दिवस समारोह के दौरान आयोजित पूर्व-सैनिक (ईएसएम)/ सेवारत सैनिकों और नागरिक आबादी के बीच कार्यक्रमों सहित बातचीत को और बढ़ाने के लिए सैनिक कल्याण विभाग ने प्रयासों की सराहना की।  राज्यपाल ने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में उनकी मौजूदगी के कारण, सेना को ईएसएम/ विधवाओं के साथ प्रभावी संपर्क बनाए रखने के लिए सैनिक कल्याण विभाग के प्रयासों के पूरक में सक्षम होना चाहिए। उन्होंने गैर-पेंशनभोगी ईएसएम/ विधवाओं की स्थिति के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्होंने हाल ही में रक्षा मंत्री को 65 वर्ष से कम उम्र के गैर-पेंशनभोगी विधवाओं को राहत की मात्रा में काफी वृद्धि करने पर विचार करने के लिए लिखा था, जो वर्तमान में बहुत कम है।
 राज्यपाल ने सुझाव दिया कि सैनिक कल्याण विभाग को पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए धन जुटाने के लिए रक्षा मेलों के आयोजन पर विचार करना चाहिए। उन्होंने नागरिकों और नागरिक समाज संगठनों को जम्मू-कश्मीर झंडा दिवस के लिए उदारता से दान करने का, जिसका उपयोग ईएसएम/ शहीदों के परिवारों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, आह्वान किया। राज्यपाल ने ईएसएम के डाटाबेस को कम्प्यूटरीकृत करन के लिए सैनिक कल्याण विभाग के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए उत्तर सेना कमान की सराहना की।
राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों में उपलब्ध नौकरियों के लिए पात्र और योग्य ईएसएम के पुन: रोजगार की सुविधा में एक संस्थागत काम होना चाहिए और राज्य सरकार के तहत नौकरियों में पूर्व सैनिकों के लिए 6 प्रतिषत के क्षैतिज आरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व को प्रभावित किया।
राज्यपाल ने बताया कि ईएसएम/ उनके वार्ड के लिए सभी कल्याणकारी योजनाएं नियमित रूप से संशोधित और अद्यतन की जानी चाहिए ताकि वे अपनी समस्याओं का समाधान कर सकें और जिला तथा उनकी समस्याओं को शीघ्रता से सुलझाने को सुनिष्चित करने के लिए राज्य स्तर पर एक प्रभावी शिकायत मॉनिटरिंग सिस्टम की आवश्यकता पर बल दिया।
राज्य झंडा दिवस से गैर-पेंशनभोगी ईएसएम/ विधवा को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए आरएसबी अनुमोदित अनुदान कोदागुना कर 12,000 रूपए प्रतिमाह करना, सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कारों के लिए अनुदान 5000 रुपए प्रति माह तक बढ़ाया, 12 वीं की मेरिट लिस्ट में ईएसएम/ विधवा के बच्चों के लिए 5000 रु की प्रोत्साहन रााषि को  स्वीकृति दी गई है और सिविल सेवा परीक्षाओं के लिए निर्भर बच्चों को 10,000  रुपये का अवार्ड मिलेगा, शहीदों के बच्चों को शिक्षा अनुदान प्रति वर्ष 1200 रुपये प्रति वर्ष - से 3000 रुपये प्रति वर्ष बढ़ाया गया है। इससे पहले, विधवाओं को सीएसडी से चार पहिया वाहन खरीदने का कोई प्रावधान नहीं था, जिसे अब अधिकृत किया गया है।
केंद्र और राज्य सरकार की कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति में ईएसएम और उनके परिवारों को बेटी विवाह, शिक्षा, घर की मरम्मत, पेनीरी अनुदान सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहायता के लिए चर्चा की गई और निर्णय लिया।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) हरिहरन सिंह, सचिव, राज्य सैनिक बोर्ड ने विस्तृत प्रस्तुति दी और भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों और बोर्ड की वित्तीय स्थिति का ब्योरा दिया।
आरएसबी जम्मू और कश्मीर बैठक में मुख्य सचिव बी.आर. शर्मा, जीओसी-इन-सी, मुख्यालय उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबू, केंद्रीय सचिव, ईएसएम कल्याण विभाग नई दिल्ली प्रभु दयाल मीना, राज्यपाल के प्रधान सचिव उमंग नरूला, प्रधान सचिव (गृह) आर.के. गोयल, सचिव वित्त नवीन के चौधरी, चीफ ऑफ स्टाफ 9 कोर मेजर जनरल ए एस करकी, सीओएस मुख्यालय 16 कोर मेजर जनरल जी प्रसाद, चीफ ऑफ स्टाफ, 15 कोर मेजर जनरल के.के. पंत, केन्द्रीय सैनिक बोर्ड सचिव बिग्रेडियर एम.एच. रिजवी, उप निदेशक पुनर्वास जोन (उत्तर) लेफ्टिनेंट. कर्नल आशीष कुमार, स्वाडर्न लीडर (सेवानिवृत्त) एंव पूर्व मंत्री आर एस चिब, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आर.एल. शर्मा, ब्रिगेडियर(सेवानिवृत्त) अनिल गुप्ता, कर्नल (सेवानिवृत्त) राजिंदर सिंह, कोमोडर (मानद) (सेवानिवृत्त) गुरचरण सिंह, कर्नल (सेवानिवृत्त)एसए कुरेशी, कैप्टन (सेवानिवृत्त)अनिल गौर, मानद कैप्टन (सेवानिवृत्त) रमेश कुमार परिहार, मानद कैप्टन (सेवानिवृत्त) फारूक अहमद वाणी तथा आरएसबी के सभी गैर सरकारी सदस्य मौजूद थे।
निधि के लिए राज्य प्रबंध समिति की बैठक में जीओसी-इन-सी, मुख्यालय उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबू, केंद्रीय सचिव, ईएसएम कल्याण विभाग नई दिल्ली प्रभु दयाल मीना, राज्यपाल के प्रधान सचिव उमंग नरूला, प्रधान सचिव (गृह) आर.के. गोयल, सचिव वित्त नवीन के चौधरी, चीफ ऑफ स्टाफ 9 कोर मेजर जनरल ए एस करकी, सीओएस मुख्यालय 16 कोर मेजर जनरल जी प्रसाद, चीफ ऑफ स्टाफ, 15 कोर मेजर जनरल के.के. पंत, केन्द्रीय सैनिक बोर्ड सचिव बिग्रेडियर एम.एच. रिजवी, उप निदेशक पुनर्वास जोन (उत्तर) लेफ्टिनेंट. कर्नल आशीष कुमार, लेफ्टिनेंट कमांडर (आईएएनएस) जगबीर सिंह, कैप्टन (सेवानिवृत्त) अनिल गौर, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एम.एम. हरजई तथा  - आरएसबी के सभी गैर सरकारी सदस्य उपस्थित थे।

बाली ने किश्तवाड़ में 100 बिस्तर वाले अस्पताल की आधारशिला रखी

'दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध'



दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री बाली भगत ने सोमवार को किश्तवाउ़ में अतिरिक्त 100 बिस्तर वाले अस्पताल कभ् आधारशिला रखी।
नई इमारत का निर्माण जेकेपीसीसी द्वारा 19.50 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तैयार किया जाएगा और मई 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है। प्रोजेक्ट अथॉरिटी डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज जम्मू ने प्रारंभिक अवस्था में परियोजना के लिए 3.50 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
अतिरिक्त 100 बिस्तर वाले आईपीडी ब्लॉक के तीन मंजिला आरसीसी फ्रेम ढांचे का निर्माण, जिला अस्पताल किश्तवार के पास किया जाएगा और अस्पताल में आने वाले अधिक रोगियों को समायोजित करने के उद्देश्य की सेवा करेंगे। नींव रखने के बाद एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए मंत्री ने लोगों, खासकर दूर-दराज और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प को दोहराया। उन्होंने यह भी आष्वासन दिया कि रोगियों के बढ़ते भार को देखते हुए सरकार जल्द ही जिला अस्पताल किश्तवाड़ को अतिरिक्त चिकित्सा और पैरामैडिकल स्टाफ प्रदान करेगी।
इसके उपरांत मंत्री ने तीन दिन के लैप्रोस्कोपिक सर्जरी शिविर का उद्घाटन किया, जिसमें राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू के डॉक्टरों/विशेषज्ञों की एक टीम सर्जरी करेगी।
डीडीसी किस्तवाड़ गुलाम नबी बलवान, एसएसपी किश्तवाड़ संदीप वजीर, सीएमओ किष्तवाड़, वरिष्ठ डॉक्टर, मेडिकल फैकल्टी तथा स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ व जूनियर स्टाफ  इस अवसर पर भी उपस्थित थे।

शुक्रवार, अप्रैल 28, 2017

महान दार्शनिक वल्लभाचार्य

जगत को पूरी तरह मिथ्या मानने के दर्शन से पैदा हुई सामाजिक विकृतियों के प्रति वल्लभाचार्य पूरी तरह से सजग थे। उन्होंने अपने दर्शन के जरिए जगत और ब्रह्म के बीच स्थापित विरोधाभास को ध्वस्त करने की कोशिश की है। उन्होंने जगत और ब्रह्म को सत्य का हिस्सा माना है और इस तरह, हर स्थिति में जगत के प्रति उदासीनता बरतने की प्रवृत्ति पर विराम लगाने की कोशिश की। उनके दर्शन के कारण दार्शनिक ठहराव से गुजर रहे देश में फिर से गतिशीलता आ सकी....

महान दार्शनिक वल्लभाचार्य अपने दार्शनिक अवदान के कारण तो महत्त्वपूर्ण हैं ही, उनके अखिल भारतीय जीवन में भी देश के लिए कई प्रासंगिक सूत्र निहित हैं। वह पैदा कहीं और हुए, शिक्षा कहीं और पाई और कई बार अखिल भारतीय यात्राएं कीं। इस कारण उनका व्यक्तित्व और चिंतन अखिल भारतीय आकार में उपस्थित होता है। पुष्टि मार्ग के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्म चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को संवत् 1535 अर्थात सन् 1479 ई. को रायपुर जिले में स्थित महातीर्थ राजिम के पास चंपारण्य (चंपारण) में हुआ था। बाद में वह अपने पिता के साथ काशी आकर बसे। महाप्रभु वल्लभाचार्य के पिता का नाम लक्ष्मण भट्ट तथा माता का नाम इल्लमा गारू था। वह भारद्वाज गोत्र के तैलंग ब्राह्मण थे, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तरीय शाखा के अंतर्गत इनका भारद्वाज गोत्र था। वह समृद्ध परिवार के थे और उनके अधिकांश संबंधी दक्षिण के आंध्र प्रदेश में गोदावरी के तट पर कांकरवाड ग्राम में निवास करते थे। उनकी दो बहनें और तीन भाई थे। बड़े भाई का नाम रामकृष्ण भट्ट था। वह माधवेंद्र पुरी के शिष्य और दक्षिण के किसी मठ के अधिपति थे। संवत् 1568 में वल्लभाचार्य जी बदरीनाथ धाम की यात्रा के समय वह उनके साथ थे। अपने उत्तर जीवन में उन्होंने संन्यास ग्रहण करते हुए केशवपुरी नाम धारण किया। वल्लभाचार्य जी के छोटे भाई रामचंद्र और विश्वनाथ थे। रामचंद्र भट्ट बड़े विद्वान और अनेक शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनके एक चाचा ने उन्हें गोद ले लिया था और वह अपने पालक पिता के साथ अयोध्या में निवास करते थे। वल्लभाचार्य की शिक्षा पांच वर्ष की अवस्था में प्रारंभ हुई। श्री रुद्र संप्रदाय के श्री विल्वमंगलाचार्य जी द्वारा इन्हें अष्टादशाक्षर गोपाल मंत्र की दीक्षा दी गई, त्रिदंड संन्यास की दीक्षा स्वामी नारायणेंद्र तीर्थ से प्राप्त हुई। उन्होंने काशी और जगदीश पुरी में अनेक विद्वानों से शास्त्रार्थ कर विजय प्राप्त की थी। उन्होंने एकमात्र शब्द को ही प्रमाण बतलाया और प्रस्थान चतुष्टयी (वेद, बह्मसूत्र, गीता और भागवत) के आधार पर साकार बह्म के विरुद्ध धर्माश्रयत्व और जगत का सत्यत्व सिद्ध किया तथा मायावाद का खंडन किया। श्री वल्लभाचार्य का सिद्धांत है कि जो सत्य तत्त्व है, उसका कभी विनाश नहीं हो सकता। जगत भी ब्रह्म का अविकृत परिणाम होने से ब्रह्मरूप ही है, सत्य है इसलिए उसका कभी विनाश नहीं हो सकता। उसका केवल आविर्भाव और तिरोभाव होता है। सृष्टि के पूर्व और प्रलय की स्थिति में जगत अव्यक्त होता है, यह उसके तिरोभाव की स्थिति होती है। जब सृष्टि की रचना होती है तो जगत पुन: व्यक्त हो जाता है, यह उसके आविर्भाव की स्थिति है। तिरोभाव की स्थिति में जगत अपने कारण रूप ब्रह्म में अव्यक्तावस्था में लीन रहता है। श्री वल्लभाचार्य का मत है कि जब ब्रह्म  ( ब्रह्म भगवान  कृष्ण) प्रपंच में (जगत के रूप में) रमण करना चाहते हैं, तो वह अनंत रूप-नाम के भेद से स्वयं ही जगत रूप बनकर क्रिया करने लगते हैं। चूंकि जगत रूप में भगवान ही क्रिया करते हैं, इसलिए जगत भगवान  का ही रूप है और इसी कारण वह सत्य है, मिथ्या या मायिक नहीं है। शुद्धाद्वैत दर्शन में जगत और संसार को भिन्न माना जाता है। भगवान  जगत के अभिन्न-निमित्त-उपादान कारण हैं। वह जगत रूप में प्रकट हुए हैं, इसलिए जगत भगवान  का रूप है, सत्य है। जगत भगवान  की रचना है, कृति है। संसार भगवान  की रचना नहीं है। वास्तव में संसार उत्पन्न ही नहीं होता, वह काल्पनिक है। अविद्याग्रस्त जीव 'यह मैं हूं, 'यह मेरा है, ऐसी कल्पना कर लेता है। इस प्रकार जीव स्वयं अहं और ममता का घेरा बनाकर अहंता-ममतात्मक संसार की कल्पना कर लेता है। वह अपने अहंता-ममतात्मक संसार में रचा-बसा रहता है, उसी में फंसे रहते हुए बंधन में पड़ जाता है। जीव के द्वारा अज्ञानवश रचा गया यह संसार काल्पनिक, असत्य और नाशवान होता है। अपने इन सिद्धांतों की स्थापना के लिए उन्होंने तीन बार पूरे भारत का भ्रमण किया तथा विद्वानों से शास्त्रार्थ करके अपने सिद्धांतों का प्रचार किया। ये यात्राएं लगभग उन्नीस वर्षों में पूरी हुई। प्रथम संवत् 1553, दूसरी संवत् 1558 तथा तीसरी संवत् 1566 में। अपनी यात्राओं के दौरान मथुरा, गोवर्धन आदि स्थानों में उन्होंने श्रीनाथजी की पूजा आदि की व्यवस्था की तथा श्रीकृष्ण के प्रति निष्काम भक्ति के लिए लोगों को प्रेरित किया। अपनी दूसरी  यात्रा के समय उनका विवाह महालक्ष्मी के साथ संपन्न हुआ। विवाह के पश्चात वह प्रयाग के निकट यमुना के तट पर स्थित अडैल ग्राम में बस गए। उनके दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र गोपीनाथ जी का जन्म संवत्् 1568 की आश्विन कृष्ण 12 को अड़ैल में और छोटे पुत्र विलनाथ जी का जन्म संवत् 1572 की पौष कृष्ण 9 को चरणाट में। दोनों पुत्र अपने पिता के समान विद्वान और धर्मनिष्ठ थे। फिर वह वृंदावन चले गए और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में निमग्न रहे। वहीं उन्हें बालगोपाल के रूप में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन हुए। संवत् 1556 में महाप्रभु की प्रेरणा से गिरिराज में श्रीनाथ जी के विशाल मंदिर का निर्माण हुआ। इस मंदिर को पूरा होने में 20 वर्ष लगे। काशी के हनुमान घाट पर आषाढ़ शुक्ल तृतीया संवत् 1587 के दिन श्री वल्लभाचार्यजी ने दोनों पुत्र श्री गोपीनाथजी और श्री विलनाथजी तथा प्रमुख भक्त दामोदरदास हरसानी एवं अन्य वैष्णवजनों की उपस्थिति में अंतिम शिक्षा दी। वह 40 दिन तक निराहार रहे, मौन धारण कर लिया और परम आनंद की स्थिति में आषाढ़ शुक्ल 3 संवत 1587 को जल समाधि ले ली।

अक्षरधाम मंदिर

दिल्ली का स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का नाम दुनिया के सबसे विस्तृत मंदिर के रूप में गिनीज बुक ऑफ  वर्ल्ड रिकार्ड्स में 2005 में दर्ज हुआ। यह खूबसूरत मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर होने के साथ ही, बहुत ही सुंदर, आकर्षक और आर्किटेक्चर के शानदार उदाहरणों में से एक है।  यह मंदिर 10,000 साल पुरानी भारतीय संस्कृति को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है। मंदिर में भारतीय शिल्पकला, परंपराओं और प्राचीन मान्यताओं को बहुत ही अच्छे तरीके से दर्शाया गया है इस मंदिर की खासियत यह भी है कि इसमें स्टील, इस्पात या कंकरीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह मंदिर गुलाबी बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर के मिश्रण से बनाया गया है।  पांच साल में ही बन गया था यह  विशाल मंदिर-  स्वामीनारायण अक्षरधाम परिसर का निर्माण कार्य एचडीएच प्रमुख बोचासन के स्वामी महाराज श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) और 11,000 कारीगरों और हजारों बीएपीएस स्वयं ंसेवकों के द्वारा लगभग पांच साल में पूरा किया गया था। इस विशाल मंदिर परिसर का उद्घाटन 6 नवंबर, 2005 को किया गया था। अक्षरधाम मंदिर भारतीय संस्कृति, वास्तुकला और आध्यात्मिकता का नमूना है। हर साल लाखों पर्यटक यहां दर्शन के लिए आते हैं। अभिषेक में प्रयोग किया जाता है 151 नदियों का जल – मंदिर में किया जाने वाला नीलकंठ वर्णी नाम का अभिषेक बहुत ही प्रसिद्ध है। इससे विश्व शांति के साथ-साथ परिवार और मित्रों के सुख की प्रार्थनाएं भी की जाती हैं। इस अभिषेक के लिए भारत की 151 पवित्र नदियों, झीलों और तालाबों के पानी का उपयोग किया जाता है। जिसकी वजह से ये यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
हाल ही में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल और  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अक्षरधाम मंदिर का दौरा किया। मंदिर में पुजारियों ने दोनों नेताओं का स्वागत माला पहनाकर किया और उनकी कलाइयों पर कलावा बांधा। दोनों नेताओं ने मंदिर में फूल चढ़ाए और साथ में तस्वीरें भी खिंचवाई।

बिल्लियों की खातिर ब्रिटेन और रूस में झगड़ा!

अगर कोई कहे बिल्लियों की खातिर ब्रिटेन और रूस में जंग छिड़ी है तो यह बात थोड़ी अटपटी लगेगी, लेकिन पिछले दो दिनों से कुछ ऐसे ही हालात हैं। विदेश और राजनीतिक मामलों में ब्रिटेन और रूस के बीच संबंध तीखे रहे हैं। अब यही तीखापन बिल्लियों के एक खिताब को कब्जाने के लिए भी दिख रहा है। इसमें दोनों देशों के प्रशंसक जी-जान से लगे हुए हैं। अपनी-अपनी बिल्लियों को जिताने के लिए सोशल साइटों से लेकर तमाम हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
दरअसल, लंदन में दो दिनी कैट शो चल रहा है। इसमें कई देशों की बिल्लियों के बीच 'वल्र्ड बेस्ट कैटÓ नामक खिताब के लिए प्रतियोगिता हो रही है।
ब्रिटेन की माओग्लीव्स स्टोनहेंज और रूस की स्कॉटिश फोल्ड ने शुरुआती राउंड पार करके अपनी दावेदारी पक्की कर दी है।
स्टोनहेंज के पास वल्र्ड बेस्ट कैट का मौजूदा खिताब है और इस बार फोल्ड उसे टक्कर दे रही है। प्रतियोगिता में दोनों देशों के लोगों की नजरें जजों के फैसले पर टिकी हैं।
मालूम हो कि दुनिया में बिल्लियों की 37 नस्लें पाई जाती हैं। इनमें से अधिकतर जंगलों में रहती हैं। हम शेर, बाघ, चीता और तेंदुओं के बारे में तो जानते ही हैं कि ये बिल्लियों की बड़ी नस्लें हैं।

पति-पत्नी ने एक-दूसरे पर किए इतने मुकदमे, सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जोड़ लिए हाथ

पति-पत्नी के झगड़े की बात आम है, लेकिन इस बार ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो जज भी ऊब गए। पति-पत्नी ने एक दूसरे पर अब तक 67 मुकदमा कर चुके हैं। भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक ने भारत में पत्नी के खिलाफ 58 मामले दर्ज कराए हैं। इसके जवाब में पत्नी ने पति पर 9 मुकदमे दर्ज कराए हैं। ज्यादातर मुकदमे दहेज उत्पीडऩ, घरेलु हिंसा, अवमानना, बच्चों की कस्टडी आदि को लेकर हैं। सुप्रीम कोर्ट के पास 67वां मामला इस दंपती के 8 साल के बच्चे की कस्टडी को लेकर पहुंचा है। पति-पत्नी के एक-दूसरे पर इतने सारे मुकदमे देखकर न्यायमूर्ति कूरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ दंग रहे गए।
मामले की सुनवाई के दौरान जज कूरियन जोसफ ने कहा, 'मैंने अपने पूरे लीगल कॅरियर में पति-पत्नी पर एक-दूसरे पर इतनी बड़ी संख्या में मुकदमा दर्ज करने की बात कभी नहीं सुनी।' वहीं जज जोसफ ने पुरानी बात याद करते हुए बताया कि एक दंपती ने एक-दूसरे पर 36 मुकदमा किए थे।
जानें इस अनोखे मुकदमें से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-
- सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी और उसके आठ वर्ष के बच्चे को 27 अप्रैल को अदालत में पेश होने के लिए कहा है।
- अंतरिम आदेश तक पिता अपने बेटे से हर शनिवार और रविवार आठ बजे सुबह से शाम सात बजे तक मिल सकेंगे।
- इस दंपती की शादी मई, 2002 में बेंगलुरु में हुई थी।
-शादी के बाद दंपति अमेरिका में बस गए थे।
-साल 2009 में बेटे के जन्म के साथ ही पति-पत्नी में झगड़ा शुरू हो गया।
- पति से ऊबकर पत्नी बेंगलुरु लौट आई, जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे पर मुकदमा करना शुरू कर दिया।

जानलेवा साबित हो रहा 'पोकेमॉन गो' के बाद अब 'ब्लू व्हेल'

पिछले साल 'पोकेमॉन गो' जानलेवा गेम साबित हुआ था, अब 'ब्लू व्हेल' नामक गेम लोगों की जान ले रहा है। मेट्रो वेबसाइट के मुताबिक 'ब्लू व्हेल' के चलते रूस में अब तक 130 बच्चे जान खुदकुशी कर चुके हैं। चिंता की बात यह है कि जल्द ही ब्रिटेन में भी यह 'ब्लू व्हेल' गेम लांच होने जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस गेम को खेलने के दौरान बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इसी वजह से वे खुदकुशी तक का फैसला ले रहे हैं। ब्लू व्हेल गेम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खेला जाता है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस गेम के बारे में काफी चर्चा हो रही है।
अगर आप इस गेम को खेलना शुरू करेंगे तो आपको एक 'मास्टर' मिलता है। यही मास्टर अगले 50 दिनों तक आपको यानी यूजर को कंट्रोल करता रहेगा। हर रोज वह आपको एक टास्क देता है। इनमें से ज्यादातर टास्क ऐसे होते हैं, जिनमें खुद को नुकसान पहुंचाना होता है। उदाहरण के तौर पर खुद के खून से ब्लू व्हेल बनाना, दिन-दिन हॉरर फिल्में देखना और देर रात को जागना। इन्हीं टास्क को पूरा करने के दौरान बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इस गेम में 50वें दिन खेलने वाले को जान देकर विजेता बनने की बात कही जाती है।
अमेरिका में एक महिला पोकेमॉन खेलते-खेलते पेड़ में अटक गई, बाद में रैसक्यू टीम ने महिला को पेड़ से नीचे उतारा। अपने स्मार्टफोन पर एक महिला पोकेमॉन गेम खेलते हुए पेड़ में चढ़ गई। जब गेम खत्म हुआ तो महिला ने खुद को पेड़ पर पाया। इसकी सूचना महिला ने खुद आपातकालीन सेवा 911 में फोन करके दी। रेस्क्यू टीम के वरिष्ठ अधिकारी रॉब गोल्ड ने हालाकि रैस्क्यू विभाग ने महिला का नाम गुप्त रखा लेकिन उन्होने कहा कि इस घटना के बाद महिला शंर्मिंदा नजर आई।  मालूम हो कि पोकेमॉन शब्द दरअसल पॉकेट मॉन्स्टर की शॉर्ट फॉर्म है, और इस मोबाइल फोन गेम में लोग वर्चुअल दुनिया के ट्रेनर बनकर अलग-अलग शक्लों में मौजूद छोटे-छोटे शैतानों को पकड़ते हैं, और फिर उन्हें एक-दूसरे से लड़ाते हैं। इसी आधार पर गेम में उनके ग्रेड और अंक बढ़ते हैं।

तालाब खटीकां, जहां गंदगी से गुजरकर जाना पड़ता है नमाजियों को

हमारी भी सुने सरकार

 दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।

शहर की मुख्य जामिया मस्जिद तालाब खटीकां में स्थित है, लेकिन इस इलाके का यह दुर्भाग्य है कि यहां साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है जिस कारण नमाजियों को गंदगी से होकर गुजरना पड़ता है।
क्षेत्र की समस्याओं के बारे में जानकारी देते हुए जलाल बेग ने बताया कि यहां की सड़कें काफी टूटी फूटी होने के कारण नमाजियों को काफी दिक्कतें होती हैं इसलिए यहां तत्काल सड़कों पर तारकोल बिछाई जाए और जहां ब्लैक टेपिंग की जरूरत है वहां वह कराई जाए।
राजू ने बताया कि ड्रेनेज सिस्टम जाम रहने के कारण सड़कों तक गंदगी आती है जिस कारण क्षेत्र में बीमारियां पनपना शुरू हो गई हैं। उन्होंने कहा कि गर्मियों के दिनों में वैसे भी मच्छरजनित रोग शुरू हो जाते हैं, ऐसे में यदि यहां तुरंत सफाई न कराई गई तो किसी महामारी के फैसले की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
गुलाम रसूल ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार स्वच्छता अभियान चला रही है और जम्मू-कश्मीर में भी उन्हीं की पार्टी की सरकार होने के बावजूद कहीं साफ-सफाई का नामोनिशान नहीं है। नगर पालिका के अधिकारी भी उन्हीं इलाकों में डस्टबिन बांट रहे हैं जहां पहले से ही सफाई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पालिका प्रशासन को गंभीर होकर इस इलाके की साफ-सफाई, सड़कों की मरम्मत तथा ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करना चाहिए।

विशाल फास्ट फूड

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
रानी तालाब में स्थित विशाल फास्ट फूड पिछले करीब 25 वर्षों से लोगों को जायकेदार फास्टफूड उपलब्ध करा रहे हैं। इस रेस्टोरेंट की स्थापना बंसी लाल ने की थी और अब इसे वे अपने बेटे विकास शर्मा के साथ मिलकर चला रहे हैं। इनका हॉट डाग इतना स्वादिष्ट है कि लोग दूर दूर से यहां खाने आते हैं। स्कूली बच्चे भी स्कूल से छुट्टी होते ही अपनी पसंद का फास्ट फूड खाने यहां आते हैं। यहां हॉट डाग के अलावा न्यूट्री कुल्चा, चांप, चाउमीन आदि सभी प्रकार के फास्ट फूड मिलते हैं।

12वीं बोर्ड के छात्रों को अब नहीं मिलेंगे ग्रेस माक्र्स

एजेंसियां
नई दिल्ली।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसइ) ने अब मॉडरेशन नीति को खत्म करने का निर्णय ले लिया है। मॉडरेशन नीति खत्म होने से अब छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस माक्र्स नहीं दिए जाएंगे। एक हाइ लेवल मीटिंग के दौरान यह फैसला लिया गया है।
बता दें कि अब तक सीबीएसइ की मॉडरेशन पॉलिसी के मुताबिक, छात्रों को खास प्रश्नपत्र में सवालों के कठिन प्रतीत होने पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते थे। पेपर में प्रश्न गलत आने पर भी मॉडरेशन पॉलिसी को फॉलो किया जाता था। इसके तहत उस सवाल के पूरे अंक दिए जाते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, हां अगर कोई छात्र कुछ नंबर से परीक्षा पास करने से रह जाता है तो ऐसे में ग्रेस अंक देकर पास करने का प्रावधान जारी रहेगा।
माना जा रहा है कि ये कदम 12वीं बोर्ड एग्जाम में माक्र्स और अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम्स में कट ऑफ को नीचे लाने के लिए उठाया गया है। दरअसल, छात्रों को मॉडरेशन पॉलिसी की वजह से लगभग 8 से 10 अंक तक अधिक मिलते थे, जिसकी वजह से 95 फीसदी और इससे अधिक अंक स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ गई थी। कॉलेज एडमिशन में बढ़ते कॉम्पिटीशन और 95 फीसदी से अधिक नंबर स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस तरह का फैसला लिया गया।
गौरतलब है कि मॉडरेशन पॉलिसी को खत्?म करने की कवायद काफी समय से चल रही है। पिछले साल दिसंबर में इस बारे में सीबीएसई ने एमएचआरडी को रिक्वेस्ट की थी कि मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म किया जाए। अब ये रिक्वेस्ट मान ली गई है।

'एनकाउंटर न किया होता तो जिंदा न होते पीएम नरेंद्र मोदी'

पूर्व आईपीएस अफसर डीजी बंजारा ने कहा - 

एनकाउंटर न किया होता तो

आज जिंदा न होते पीएम नरेंद्र मोदी


एजेंसियां
नयी दिल्ली।

गुजरात के पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी (आईपीएस) डीजी बंजारा ने फर्जी एनकाउंटर के मामले में दावा करते हुए कहा है कि अगर उन्होंने वह एनकाउंटर न किया होता, तो आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिंदा न बचे होते। सोमवार को अपने सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व आईपीएस अफसर ने फर्जी एनकाउंटर से जुड़े कई अहम तथ्यों का खुलासा किया है। इस कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जितने भी एनकाउंटर किये हैं, वह सभी कानून दायरे में रहकर किये गये हैं।
जमानत पर जेल से रिहा होने के बाद पूर्व आईपीएस अफसर डीजी बंजारा अभी तक करीब-करीब 56 जनसभाओं और कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं। इसी क्रम में सोमवार को वह अहमदाबाद में अपने सम्मान में आयोजित की गयी एक रोड शो और फिर सम्मान कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। इस कार्यक्रम में डीजी बंजारा को 10 रुपये के सिक्कों से तौला गया और बाद में बंजारा ने मंच से लोगों को संबोधित किया।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए डीजी बंजारा ने कहा कि आज से ठीक 10 साल पहले मुझे गिरफ्तार किया गया था। मुझ पर जो आरोप लगाये गये उस बारे में कहना चाहता हूं कि अगर मैंने वह एनकाउंटर नहीं किये होते, तो आज गुजरात कश्मीर बन गया होता। इस कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए बंजारा ने आगे कहा कि उनके सभी एनकाउंटर कानून के दायरे में रहते हुए किये गये और अगर नहीं किये जाते, तो आज पीएम मोदी जिंदा नहीं होते।
गौरतलब है कि डीजी बंजारा गुजरात विधानसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं। अभी तक उन्होंने यह खुलासा तो नहीं किया है कि वह अपने राजनैतिक सफर की शुरूआत किस पार्टी से करेंगे, लेकिन उनकी सक्रियता और उनके बयानों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह भाजपा के साथ इस सफर की शुरूआत कर सकते हैं।

नक्सली हमले में 25 जवान शहीद

सुकमा में हुआ नक्सली हमला


राजनाथ सिंह बोले- सुकमा हमला कायराना, नक्सलियों के इरादे कामयाब नहीं होने देंगे 

एजेंसियां
रायपुर।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह रायपुर पहुंचे, उन्होंने सुकमा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी मौजूद थे। राजनाथ के साथ गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर भी मौजूद रहे। सीएम रमन सिंह के साथ बैठक के बाद राजनाथ ने कहा कि सुकमा में हमला करना नक्सिलयों की कायराना हरकत को दर्शाता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सुकमा में जो हमला किया गया है वह बेहद कायरतापूर्ण है, आदिवासियों को अपनी ढाल बनाकर विकास के खिलाफ जो अभियान छेड़ा जा रहा है इसमें नक्सली कभी कामयाब नहीं होंगे। केंद्र और राज्य साथ मिलकर इसपर कार्रवाई करेंगे। राजनाथ बोले कि हम अपने जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जानें देंगे, इसे हमनें चुनौती के रूप में स्वीकार किया है। यह एक सोची समझी हत्या है। राजनाथ ने कहा कि नक्सली नहीं चाहते हैं कि आदिवासी क्षेत्र का विकास हो। राजनाथ ने कहा कि हमारे 25 जवान शहीद हुए हैं हम उनके प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हम अपनी रणनीति को सभी के सामने नहीं बता सकते हैं। हम अपनी रणनीति पर काम करेंगे और दोबारा से नई रणनीति बनाएंगे। राजनाथ ने कहा कि पिछले काफी समय से राज्य और केंद्र से मिलकर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया है, जिससे नक्सलियों के हौसले पस्त हैं।
अगर यहां पर अधिक अफसरों की पोस्टिंग करनी होगी तो की जाएगी। राजनाथ ने कहा कि 8 मई को इस मुद्दे पर हाईलेवर बैठक होगी, जिसमें नई रणनीति पर चर्चा होगी। राजनाथ ने कहा कि हमें सीआरपीएफ के नेतृत्व पर कोई शक नहीं है।
रमन सिंह बोले कि यह घटना निंदनीय है, इस घटना की निंदा पीएम और गृहमंत्री ने की है। रमन सिंह बोले कि इलाके में जो भी काम चल रहा है, उससे नक्सलियों में बौखलाहट है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि एक रणनीति के साथ इसके खिलाफ एक्शन लिया जाए।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए सीआरपीएफ के जवानों पर हमले से पूरा देश गुस्से में है। सोमवार को हुए इस हमले में कुल 25 जवान शहीद हुए हैं, तो वहीं 7 जवान घायल हुए हैं।
आपको बता दें कि अभी भी सीआरपीएफ के कंपनी कमांडर समेत 6 जवान लापता हैं। हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत देश की सभी बड़ी हस्तियों और लोगों ने दुख जताया। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि सीआरपीएफ जवानों की बहादुरी पर हमें फख्र है, उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
जानकारी के मुताबिक, सीआरपीएफ के ये जवान सोमवार सुबह 8।30 बजे गश्त पर निकले थे। जवान अपने कैंप दुर्गपाल से रोड ओपनिंग पार्टी के तौर पर निकले। दुर्गपाल से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर चिंतागुफा के पास दो हिस्सों बंट गए। जवानों की संख्या 99 थी। जवानों के दोनों दस्ते करीब 500 मीटर ही आगे बढ़े थे कि उन पर हमला हो गया। घात लगाकर बैठे करीब 300 नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाया।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नक्सलियों के पास ्र्य-47 जैसे हथियार थे। जानकारी ये भी है कि इन नक्सलियों के साथ महिला फाइटर भी थीं। नक्सलियों ने 12 मार्च को ष्टक्रक्कस्न पर हमले के दौरान लूटे गए हथियारों का भी इस्तेमाल किया। बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाने के लिए ढ्ढश्वष्ठ ब्लास्ट भी किया।
आपको बता दें कि हमले के बाद सीआरपीएफ एक्शन में है, और उन्होंने चिंतागुफा इलाके के पास नक्सलियों के खिलाफ कॉम्बिंग आपरेशन भी चलाया है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि 'छत्तीसगढ़ में हुआ हमला दुखद और कायराना हरकत है। हम हालात पर नजर रख रहे हैं। सीआरपीएफ जवानों की बहादुरी पर हमें फख्र है। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। शहीद जवानों के परिवारों के लिए मैं संवेदना जाहिर करता हूं।Ó
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने हमले के बाद अपना दिल्ली दौरा रद्द कर दिया है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों की आपात बैठक भी बुलाई है। वहीं दूसरी तरफ गृह मंत्रालय ने भी हालात की समीक्षा के लिए आपात बैठक बुलाई। बताया जा रहा है कि करीब 150 नक्सलियों के समूह ने सीआरपीएफ की टीम पर अटैक किया। ये नक्सली 50-50 के तीन हिस्सों में यहां पहुंचे थे। नक्सली ग्रामीणो के हुलिया में थे।


जम्मू-कश्मीर सरकार का बड़ा फैसला

बिना अनुमति जमीन नहीं खरीद पाएंगे कर्मचारी

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।  

जम्मू-कश्मीर के सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अब राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बिना अचल सम्पत्ति (जमीन) की खरीद-फरोख्त नहीं कर पाएंगे। इतना ही नहीं, कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी अपने खुद के अलावा परिवार के किसी सदस्य के नाम पर भी जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं कर पाएगा।
जम्मू-कश्मीर सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग द्वारा बड़ा  निर्णय  लेते  हुए  जारी  किए  सर्कुलर नंबर 21-जी.ए.डी.  ऑफ  2017  के अनुसार जम्मू-कश्मीर पब्लिक मैन एंड  पब्लिक  सर्वेंट्स  डैक्लारेशन  ऑफ असेट्स एंड अदर प्रोवीजन्स एक्ट 1983 के अनुच्छेद 12 (1) के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी उपयुक्त प्राधिकरण (अधिकारी) से लिखित में  पूर्व  अनुमति  लिए  बिना  अपने खुद के अथवा परिवार के किसी सदस्य के नाम पर किसी अचल  सम्पत्ति  का  लेन-देन  नहीं कर पाएगा। 
संबंधित एक्ट के अनुच्छेद 12 की ही उप-धारा 2 के अनुसार यदि कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी सरकार द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन करते हुए बिना पूर्व अनुमति खुद अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर अचल सम्पत्ति का लेन-देन करता है तो ऐसे किसी भी सौदे को अमान्य (निष्प्रभावी) मान लिया जाएगा।

अब लड़कियां भी बरसा रहीं सुरक्षा बलों पर पत्थर

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।

जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती सोमवार को जिस वक्त पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रही थीं, उसी वक्त घाटी के हालात और बिगड़ चले थे। जहां एक ओर पुलवामा में पीडीपी नेता अब्दुली गनी डार की संदिग्ध आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी, वहीं दूसरी ओर घाटी के सैकड़ों स्टूडेंट्स सड़कों पर थे। स्टूडेंट्स के तीखे प्रदर्शन का ही असर था कि पांच दिन के बाद सोमवार को खुले सभी शिक्षण संस्थानों को दोबारा से बंद करना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान लड़कियां भी सुरक्षाबलों पर जमकर पथराव करती नजर आईं। बता दें कि मुफ्ती और पीएम की मुलाकात का सबसे बड़ा अजेंडा घाटी में व्याप्त अशांति ही थी। सूत्रों के मुताबिक, पीएम ने मुफ्ती को हालात नॉर्मल करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया है।
15 अप्रैल को पुलवामा डिग्री कॉलेज में कथित पुलिस ज्यादती का कश्मीरी स्टूडेंट विरोध कर रहे हैं। यहां सुरक्षाबलों और स्टूडेंट्स के बीच जमकर संघर्ष हुआ। इस टकराव में कम से कम 50 लोग घायल हो गए। अब इस प्रदर्शन की आंच पूरे श्रीनगर और आसपास के स्कूलों तक फैल गई है। स्टूडेंट क्लासेज छोड़कर सड़कों पर उतर आए। असल समस्या सोमवार से शुरू हुई, जब एसपी हायर सेकंडरी स्कूल के सैकड़ों स्टूडेंट्स ने क्लास का बहिष्कार करके कॉलेज का गेट तोड़ दिया और मौलाना आजाद रोड पर आवाजाही ठप कर दी।
 यहां पुलिस और स्टूडेंट्स का टकराव हुआ, जिसकी वजह से नाराज स्टूडेंट्स ने राहगीरों और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की। इसके बाद, हिंसा कर रहे स्टूडेंट्स को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल करना पड़ा।
इस संघर्ष में कम से कम 12 पुलिसवाले घायल हो गए, जबकि बहुत सारे निजी वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, स्टूडेंट्स ने पाकिस्तानी झंडे दिखाए और नारेबाजी की। वहीं, कुछ ने पत्थर भी फेंके। इससे मौलाना आजाद रोड से गुजर रही कारों और मौके पर मौजूद पुलिसवालों की गाडिय़ों के शीशे टूट गए। पुलिस ने बयान जारी करके बताया कि एसपी हायर सेकंडरी स्कूल और वुमंस कॉलेज में स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे। क्लास शुरू होने के एक घंटे बीते ही थे कि कुछ अराजक तत्व इन शैक्षिक संस्थानों के अंदर घुस आए और हंगामा खड़ा कर दिया।
पुलिस ने इस मामले में छह स्टूडेंट्स को हिरासत में लिया है। पुलिस ने बताया कि संघर्ष एसपी कॉलेज से शुरू हुआ और जल्द ही रीगल चौक तथा आसपास के क्षेत्रों की सड़कों तक फैल गया। वुमंस कॉलेज की छात्राएं भी प्रदर्शन में शामिल हो गईं। सुरक्षाकर्मियों ने हवा में कुछ गोलियां भी चलाईं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि असली गोली का इस्तेमाल किया गया या रबड़ की गोलियां चलाई गईं। झड़पों के चलते बाजार बंद हो गए और लोग वाणिज्यिक केंद्र से बाहर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे।

पत्थरबाजी और गोलियां रोकनी ही होंगी : महबूबा

'संवाद ही एकमात्र रास्ता'


 दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 25 मिनट तक चली मुलाकात के बाद जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मीडिया से बातचीत के आखिर में कहा 'संवाद ही एकमात्र रास्ता है।' लेकिन मुख्यमंत्री मुफ्ती ने इसके साथ ही यह कहते हुए खुद को ही चेतावनी दे दी कि सबसे पहले पत्थरबाजी और सरकार की ओर से गोलियों को रोका जाना होगा।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बारे में महबूबा ने विश्वास से भरे स्वर में कहा है कि हमें वहां से शुरुआत करने के लिए जहां कि अटल बिहारी वाजपेयी ने छोड़ा था, सबसे पहले माहौल को बातचीत के अनुकूल बनाना होगा। जबकि इस तरह का कोई आश्वासन लगता नहीं है कि महबूबा को प्रधानमंत्री से मिला है। दरअसल पत्थरबाजों से सख्ती से निपटने के बढ़ते शोर के बीच इधर यह मांग भी बढ़ती जा रही है कि एक सकारात्मक गर्मी का मौसम कश्मीर में हो इसके लिए जरूरी है कि वहां के लोगों से सीधे बात की जाए।
कश्मीर के मुद्दे पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि मोदी-महबूबा की मुलाकात के पीछे दिल्ली में चल रही वह चर्चा है जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के विकल्प पर केंद्र विचार कर रहा है। इस विकल्प के बारे में कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस भी यह कह रहे हैं महबूबा वांछित परिणाम नहीं दे पाई हैं इसलिए अब सीधे दिल्ली का शासन जरूरी हो गया है।
इस संबंध में पूछे जाने पर महबूबा ने पत्रकारों को सधा हुआ संक्षिप्त जवाब दिया कि इसका जवाब केंद्र को देना है। ज़ाहिरा तौर पर महबूबा इस मांग से बेअसर दिखीं, लेकिन हकीकत यह है कि इस विकल्प को इसलिए बढ़ावा दिया जा रहा है कि महबूबा को इस संकट से निपटने के लिए नरम और समझौतावादी रवैया अपनाने के बजाय सख्ती दिखाने के लिए तैयार किया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी खुद 2 अप्रैल को श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर सुरंग का उद्धाटन करते हुए अपेक्षाकृत एक सख्त संदेश दे चुके हैं जब उन्होंने कहा था कि कश्मीर के युवाओं को आतंकवाद और पर्यटन में से किसी एक को चुनना होगा। जमीन पर इसका कोई अच्छा असर नहीं हुआ और इसे प्रधानमंत्री के स्तर से आ रही एक धमकी की तरह देखा गया, जबकि उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे कश्मीर के नाराज युवाओं से संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे।
इसके बाद राज्य में अभूतपूर्व छात्र असंतोष देखने को मिला है जिसकी शुरुआत दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के एक डिग्री कॉलेज में हुई घटना से हुई थी। इस घटना के बाद समुदायाकि असंतोष के एक नये चरण की शुरुआत हो गई जब विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और हायर सेकेंडरी स्कूलों से छात्र निकलकर प्रत्येक नुक्कड़ और चौराहे पर बिखर गए और पुलिस पर पथराव के तीखे संघर्ष में उलझ गए।
सरकार ने इससे निपटने के लिए एक सप्ताह के लिए स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया कि तब तक माहौल कुछ बदलेगा और लोगों का गुस्सा शांत हो जाएगा। पर जब आज स्कूल फिर से खुले तो श्रीनगर के केंद्र में मौजूद मुख्य एसपी कॉलेज और उससे सटे हुए हायर सेकेंडरी स्कूल फिर से हिंसक विरोध संघर्ष के साथ फट पड़े। सड़क पर दिखने वाला यह गुस्सा दिल्ली के उस नकरात्मक रवैये का जवाब है जिसमें कश्मीर को एक राजनीतिक मुद्दा स्वीकार करने से इंकार किया जाता रहा है। महबूबा ने स्वीकार किया है कि पत्थरबाजी में शामिल कुछ युवा जहां निराश-हताश हैं वहीं कुछ युवाओं को गुमराह किया गया है। पर यह सही मूल्यांकन नहीं है। महबूबा ने खुद युवाओं के इस गुस्से का प्रतिनिधित्व किया है और बेहतर जानती हैं। संभवत: सरकार में होने के कारण उन्होंने यह रवैया अख्तयार किया है पर वे कश्मीर के ताजा हालात से निपटने के लिए लगातार वाजपेयी की पहल को आगे बढ़ाने का आह्वान करती रहती हैं। मीटिंग के बाद उन्होंने जो संदेश दिया वह उतना सकारात्मक नहीं है जितना कि जमीनी हकीकत मांग करती है।
दिल्ली की सोच नहीं बदली है और यह अब भी 'कानून और व्यवस्था' के ढांचे में ही बंद बनी हुई है। यह सोच सैनिक निदान की है और अगर चीजें नहीं बदलीं तो यह पूरी ताकत से इस्तेमाल की जा सकती है। इससे जाहिर है हालात और बेकाबू होंगे और अगर यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो अंतररराष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली को जवाब देना होगा।  नंतनाग में चुनाव स्थगित करने के बाद दिल्ली पहले ही उनके सामने आत्मसमर्पण के संकेत दे चुका है जो नहीं चाहते कि चुनाव हों। लोगों ने बहुमत से इस चुनाव प्रक्रिया को सफल नहीं होने दिया और इससे पाकिस्तान को यह शोर मचाने में सहायता मिली है कि कैसे कश्मीरी भारतीय प्रणाली को पसंद नहीं करते हैं। और अगर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है तो लोकतंत्र का मुखौटा भी आगे आने वाले कुछ सालों के लिए नहीं रहेगा। क्या मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस सबका सामना कर पाएगी? शायद नहीं, इसलिए वे महबूबा से वह सब करवाने की कोशिशि करेंगे जो कि वे करना चाहते हैं, चाहे वे सारे उपाय महबूबा पर ही भारी क्यों न पड़ें। पीडीपी इस समय कमजोर विकेट पर है और गठबंधन के एजेंडे को स्वीकार न करने वाली भाजपा से हाथ मिलाने के कारण जमीनी स्तर पर साख के संकट से जूझ रही है।
बड़ी पार्टी होने के नाते उसने यह दिखाया है कि वह भाजपा की दया पर है। यही वजह है कि इस एजेंडा ऑफ एलायंस के शिल्पी हसीब द्राबू, जो कि जम्मू—कश्मीर सरकार में वित्त मंत्री भी हैं, दौड़ते हुए जम्मू भाजपा के कार्यालय में राम माधव से मिलने पहुंचे। किसी कश्मीरी नेता ने अब तक ऐसी कमजोरी नहीं दिखाई है। इसने दिखा दिया है कि कौन सी पार्टी नेतृत्व कर रही है। इतना ही नहीं, अब तक पीडीपी के एजेंडा ऑफ एलायंस के एक भी बिंदु का क्रियान्वयन नहीं किया गया है जबकि भाजपा के चुनावी घोषणा के तीन बिंदुओं को पूरे जोर-शोर से लागू किया गया है। आज जबकि मोदी सरकार अंधराष्ट्रवाद और कश्मीर में सख्ती की बात कर रही है, तो यह स्थितियों के साथ मेल नहीं खाता है। वाजपेयी की तरीका टकराव का नहीं बल्कि सुलह-समझौते और हाथ बढ़ाने का था। अगर केंद्र में भाजपा की सरकार सामान्य हालात जैसा कुछ दिखाना चाहती है तो उसे सैन्यीकरण के मार्ग को छोड़कर नीचे दिए गए उपायों को अपनाना चाहिए:
महबूबा सरकार को हालात से खुद निपटने के लिए जरूरी समर्थन देना चाहिए और इसमें दिल्ली को दखल नहीं देना चाहिए।
अलगाववादी त्रिमूर्ति गिलानी, मीरवायज और यासिन के साथ बात करने के लिए एक घोषणा।
कश्मीर पर बात करने के लिए पाकिस्तान के साथ जरूरी रास्तों को खोलना चाहिए।
जम्मू क्षेत्र में संघ परिवार द्वारा चलाई जा रहीं मुस्लिम विरोधी गतिविधियों को बंद कर देना चाहिए।
इसके मंत्रियों को शासन के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
ऐसी लोकतांत्रिक जगह बनाई जाए जहां युवा संवाद करें और अपने विचारों से अवगत करा सके।
यह स्वीकार किया जाए कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है और इसे सुलझाने के लिए राजनीतिक पहल की जरूरत है।
कश्मीर का इतिहास इस बात का गवाह है कि अगर आप यहां ताकत का इस्तेमाल करते हैं तो इसकी प्रतिक्रिया और अधिक गुस्से और आंदोलन के रूप में देखने में आती है। महबूबा ने यह स्वीकार किया है कि आगे आने वाले दो-तीन माह निर्णायक होने जा रहे हैं, इसके साथ ही उनको स्थिति की गंभीरता से केंद्र को अवगत कराना होगा। अगर यह नहीं किया गया तो सकारात्मकता सिर्फ एक सपना बन कर ही रह जाएगी।
जो लोग पर्यटन के रास्ते कश्मीर में सामान्य हालात बहाल होने की बात कर रहे हैं उनको यह समझना होगा कि सिर्फ शांति और स्थिरता ही ऐसा होने में मदद कर सकती है, पर इसके लिए रास्ता राजनीतिक तरीकों से होकर जाता है न कि सुरक्षा की सोच के तरीकों से।

बुधवार, अप्रैल 19, 2017

मंत्रिमंडल ने जान के नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की

कश्मीर घाटी में शांति बहाल करने में सभी राजनीतिक विचारों से मदद करने की अपील 

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंड की बैठक में कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति के दौरान जान के नुकसान पर गहरी चिंता जताई है।
मंत्रिमंडल ने सभी राजनीतिक विचारों के लोगों से घाटी में शांति बहाल करने में मदद करने की अपील की।  मंत्रिमंडल ने सुरक्षा और कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करते हुए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को जान के नुकसान को रोकने के लिए कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने में अधिकतम संयम बरतने का निर्देश दिया। मंत्रिमंडल ने नागरिक समाज और माता-पिता से युवाओं को हिंसक विरोध प्रदर्शन से दूर रहने, जो अधिकतम संयम के बावजूद, कभी-कभी घातक परिणाम भी पैदा कर सकता है, के लिए सलाह देने का आग्रह किया।
 मंत्रिमंडल ने राज्य प्रशासन को स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने का भी निर्देश दिया है और साथ ही यह सुनिश्चित करें सामान्य जनता को किसी भी असुविधा न हो और उनकी शिकायतों को संबोधित किया जाए।
संख्या 149

स्टूडेंट फेस्ट छात्रों को प्रतिभा दर्षाने का मंच उपलब्ध करवाते हैं -जुल्फिकार अली
जम्मू, 18 अप्रैल 2017-विभिन्न छात्र महोत्सव आयोजित करने की आवष्यता बताते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलो के मंत्री चौ जुल्फिकार अली ने आज कहा कि स्टूडेंट फेस्ट छात्रों को उनकी प्रतिभा को बाहर लाने के लिए एक मंच उपलब्ध करवाते हैं।
मंत्री ने यह बात पटोली ब्राह्मणा में जम्वाल ग्रुप ऑफ एजुकेषनल इंस्टीच्यूषन्स द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'स्पर्धा 2ा17' समारोह में कही।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि आज का युग प्रतिभा का युग है यहां पर व्यक्ति को बहु प्रतिभाषाली होने की आवष्यकता है। यह छात्र महोत्सव हैं जिससे हमारे भीतर छुपी प्रतिभाओं को बाहर लाने में मदद मिलती है।
मंच के महत्व को बताते हुए मंत्री ने कहा कि इस तरह के महोत्सव हमारे लिए एक महत्वपूर्ण मंच है तथा हमारे भीतर छिपी प्रतिभाओं को बाहर लाने के लिए एक अवसर प्रदान करते है।
मंत्री ने राज्य में साक्षरता दर को बढ़़ाने की आवष्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत में कई राज्यों की तेजी से आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और साक्षरता दर में बढ़ोत्तरी के साथ ही जम्मू कष्मीर इस स्पर्घा में बना रह सकता है।
डिजिटीकरण के बारे में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि भारत तेजी से डिजिटल क्रंाति की ओर बढ़ रहा है तथा इस का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है जिन्होंने 2019 तक सम्पूर्ण देष को डिजिटलाईज करने की प्रतिज्ञा की है। उन्होंने कहा कि अब यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वे उनके इस सपने को सच करने में सहायता करें। 
छात्रों पर अपने भविश्य के बारे में सोचने के लिए बल देते हुए जुल्फिकार ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि षुरू से ही छात्रों को अपने लक्ष्य प्राप्ति की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कालेज के समय से ही छात्रों को अपने आस पास होने वाले विभिन्न चीजों की जानकारी होनी चाहिए जिससे वे आगे जाकर एक बड़ा और सही निर्णय ले सकते हैं।
 समारोह में जम्वाल ग्रुप ऑफ एजूकेषन के चेयरमैन विधि सिंह जम्वाल, उप चेयरमैन षिव देव सिंह जम्वाल, प्रबंध निदेषक तथा कालेज के अन्य अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
संख्या 150

बागवानी क्षेत्र के पुनर्निर्माण, मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास -बुखारी
मंडी चुनावों, बागवानी गणना पर कार्य जारी
जम्मू, 18 अप्रैल 2017-बागवानी मंत्री सईद बषारत अहमद बुखारी ने पूर्व में कष्मीर, जम्मू तथा नई दिल्ली में मंत्री की अध्यक्षता में हुई विभिन्न बैठकों में जारी किये गये दिषानिर्देषों की स्थिति और इन्हें लागू करने की समीक्षा हेतु आज एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की।
बागवानी सचिव एमएच मलिक, बागवानी निदेषक जम्मू भवानी रकवाल तथा विभाग के अन्य वरिश्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
राज्य के सभी उपायुक्तों ने विडियो कान्फ्रैंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया।
मंत्री ने कहा कि बागवानी विभाग ने राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए लगातार योगदान दिया है तथा सरकार उत्पादकों को उत्पादन, सुरक्षा, पोस्ट हारवेस्ट, मैनेजमेंट तथा मार्केंिटंग सहित सभी सेवाएं सुनिष्चित करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।  उन्होंने कहा कि राज्य में बागवानी क्षेत्र के पुनर्निर्माण तथा इसे मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास जारी है।
राज्य में बागवानी उत्पादन को बढ़ाने के लिए मंत्री ने बागवानी क्षेत्रों के अधीन फलों के पेड़ों की गणना के आदेष जारी किये है।
मंत्री ने जम्मू प्रांत में 15 मई 2017 तथा श्रीनगर प्रांत में 30 मई 2017 तक गणना को पूरा करने के निर्देष दिये। बैठक में बताया गया कि सम्बंधित अधिकारियों ने अब तक 25 प्रतिषत गणना की है।
बाजार क्षेत्रों में बागवानी उत्पादन की मार्केंटिंग तथा परिवहन की नियमित्ता ने जबावदेही तथा पारदर्षिता लाने के लिए मंत्री ने एपीएमसी अधिनियम की षर्तो के अनुसार मार्केटिंग कमेटियों को चुनाव आयोजित करने के निर्देष दिये। इसके लिए जिलों के उपायुक्तों को चुनाव की तैयारियां करने को कहा गया।
संख्या 151


उच्च षिक्षा विभाग ने वेबसाइट, न्यूजलेटर षुरू किया
जम्मू, 18 अप्रैल 2017-जम्मू कष्मीर उच्च षिक्षा विभाग ने आज अपने आनलाईन अधिकारिक वेबसाइट को षुरू किया।
इस वेबसाइट का षुभारंभ षिक्षा मंत्री सईद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी तथा षिक्षा राज्य मंत्री प्रिया सेठी ने किया।
ूूूण्राीपहीमतमकनबंजपवदण्दपबण्पद वेबसाइट से विभाग के कार्य की जानकारी मिलेगी तथा इससे राज्यभर में उच्च षिक्षा संस्थानों का सम्पर्क बढ़ेगा। यह पोर्टल राज्य के विष्वविद्यालयों, डिग्री तथा पेषेवराना कालेजों में उपलब्ध कोर्स की जानकारी भी उपलब्ध करवायेगा।
इस अवसर पर विभाग ने अपने न्यूजलेटर-एजूकेषन प्लस एमर्जिंग ट्रेंड भी जारी किया।
यह न्यूजलेटर अकादमी तथा विकास में विभाग की प्रगति एवं गतिविधियों की जानकारी देगा। 
संख्या 152

राज्य में उच्च षिक्षा नई बुलंदियों को छुएगी: ढांचे को विस्तार पूर्ण गति से हो रहा है
अल्ताफ और प्रिया ने षैक्षिक विकास की गतिविधियों की समीक्षा की
मंत्रियों ने संस्थानों के प्रधानों से विद्यार्थियों की समस्याओं को जानने के लिए कहा
    जम्मू 18 अप्रैल 2017-राज्य सरकार मौजूदा उच्च षिक्षा संस्थानों को बड़े स्तर पर लाने के लिए इनके ढांचों को विकसित कर रही है जिसके साथ विद्यार्थी अपनी इच्छा अनुसार लाभ पा सकेंगे।
इस विकास में नये डिग्री कालेजों के कैम्पस, राश्ट्रीय स्तर के षिक्षा संस्थान और मौजूदा ढांचों का विस्तार उच्च स्तरीय योजनाओं के अंतर्गत और प्रधानमंत्री द्वारा उपलब्ध किये गये प्राईम मिनिस्टर डिवेल्पमैंट पैकेज (पीएमडीपी) किया जाएगा।
 षैक्षिक और विकसित गतिविधियों की उच्च स्तरीय बैठक में समीक्षा करते हुए आज षिक्षा मंत्री सईद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि सरकार इस बात पर यकीन करती है कि कोई भी संस्थान बिना अच्छे ढांचे और फेकैल्टी की ऊंचाईयों को नहीं छू सकता।
उन्होंने कहा कि 'कक्षाओं को चलाना कोई उपलब्धी नहीं है जब तक षिक्षा संस्थानों के ढांचों एवं फेकैल्टी मापदंडों के आदर्षो  पर खरे न उतरेंÓ। उन्होंने विभाग से कहा कि अपनी अधिक कोषिषों के साथ विकास के निषाने को पूरा करें।
 षिक्षा राज्यमंत्री प्रिया सेठी भी इस बैठक में षामिल थीं। उनके साथ जम्मू विष्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. आर.डी. षर्मा, उपकुलपति केन्द्रीय विष्वविद्यालय जम्मू, कलस्टर विष्वविद्यालय जम्मू, प्रो. अषोक ऐमा, अंजू भसीन, कमिष्नर सैक्टरी उच्च षिक्षा असगर अली सैमून, तीनों विष्वविद्यालय के वरिश्ठ फेकैल्टी सदस्यों,  जम्मू संभाग के विभिन्न कालेजों के मुख्य, आरएंडबी, जेकेपीसीसी के अधिकारी और अन्य निर्माण एजैंसियों के कर्मचारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
षैक्षिक गतिविधियों पर जोर डालते हुए मंत्री ने संस्थानों के मुख्य को कहा कि  वे विद्यार्थियों के साथ मेलजोल बड़ाकर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी लें। उन्होंने कहा 'विद्यार्थियों का पहला सम्पर्क कालेज के प्रिंसिपल के साथ ही होता हैÓ और आपको उनके साथ निकटीय सम्बंध बनाने की आवष्यकता है जिसके साथ उनकी समस्याओं और षंकाओं का निवारण हो सकेगा।
मंत्री ने यह भी कहा कि षिक्षा संस्थानों से हानिकारक तत्वों को दूर रखने के लिए बाहरी हस्तक्षेप को कम करने की आवष्यकता है। कष्मीर में विद्यार्थियों के छिटपुट प्रदर्षनों की घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि बहुत से कालेजों के प्रमुखों का योगदान सराहनीय है जिन्होंने परिस्थिति पर काबू पाया।
मंत्री ने कालेज फेकैल्टी सदस्यों के मुददों जिनमें पदोन्ती भी षामिल है, को सुलझाने पर जोर दिया। उन्होंने उच्च षिक्षा विभाग को कहा कि व्यापक प्रस्तावों को सामने लाया जाये ताकि दरबार मूव से पहले कालेज और विष्वविद्यालय के फेकैल्टी सदस्यों के सभी मुददों को हल किया जाये।
मंत्री ने निर्देष देते हुए कहा कि कालेज के विभिन्न प्रांतों के विद्यार्थियों को अपने विचार और अनुभव को बांटने हेतु मंच प्रदान करने के लिए युवा महोत्सवों का आयोजन किया जाये।
प्रिया सेठी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि प्रत्येक कालेज में नियमित सलाह सत्र विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होना चाहिए जिसके साथ विद्यार्थी अपने भविश्य के लिए दिषानिर्देष पा सकेंगे। इसके साथ वे अपनी इच्छा अनुसार रोजी रोटी कमाने के साथ साथ गल्त संगति से भी दूर रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कालेजों में बायोमिट्रिक अटैंडेंस का भी प्रावधान होना चाहिए जिसके साथ अवांछित तत्वों को कैम्पस में दाखिल होने से रोका जा सकेगा।
अल्ताफ बुखारी ने जम्मू विष्वविद्यालय से कहा कि निजि बीएड कालेजों के दाखिले के लिए वे अपना तरीका स्थापित करे। उन्होंने कहा कि यह संस्थानों की कार्यकारिणी को सुप्रवाही बनाने के लिए कारगर होगा।
इससे पहले आयुक्त सचिव ने पावर प्वाईंट प्रस्तुत के द्वारा राज्य के नये प्रस्तावित षिक्षा संस्थानों के ढांचों के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और स्वीकृति राषि के साथ विभाग के भौतिक और वित्तीय उपलब्धियों के बारे में भी अवगत करवाया।
उन्होंने कहा कि राज्य में इस समय 9 सरकारी/नीजि विष्वविद्यालय और 96 सरकारी डिग्री कालेज 1.40 लाख नामांकन के साथ मौजूद हैं और 208 नीजि कालेज जिसमें 151 बीऐड कालेज, 10 लॉ कालेज, 1 कला संस्थान और 5 इंजीनियरिंग कालेज षामिल हैं।
आयुक्त सचिव ने यह भी कहा कि सरकारी कालेजों में 2620 फेकैल्टी हैं जिसमें प्रिंसिपल, एसोसिएट, प्रोफैसर, फिजिकल टेऊनिंग इंस्टक्टर और लाईब्रेरियन भी षामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विभाग ने सरकारी कालेजों और उच्च षिक्षा संस्थानों के  विभिन्न पदों को भरने के लिए रिक्रियूटमैंट एजैंसियों को कार्य सोंपा है। ढांचों के बारे में चर्चा करते हुए आयुक्त सचिव ने बताया कि 65 सरकारी डिग्री कालेज अपने ही परिसर में चल रहे हैं जबकि 23 अन्य भवन निर्माणाधीन हैं जिनमें से 16 वर्श 2017-18 में पूरे किये जाने की संभावना है और बचे हुए 7 अगले वर्श 2018-19 में पूरे किये जाऐंगे। उन्होंने यह भी बताया कि 7 डिग्री कालेजों की भूमि अधिग्रहन का कार्य चल रहा है और उनके निर्माण का कार्य भी षीघ्र ही षुरू किया जाएगा जबकि 2 और कालेजों का निर्माण बिष्नाह और हादीपोरा (बारामुला) में न्यायालय द्वारा रोका गया है। उन्होंने कहा कि पीएमडीपी के अंतर्गत 50 करोड़ रु. घाटी में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए 7 डिग्री कालेजों की पुर्ण बहाली के लिए दिये गये हैं।
रूसा के पहले चरण के अंतर्गत राज्य में 269 करोड़ रु. की मंजूरी दी है और भारत सरकार ने 124.81 करोड़ रु. जारी किये हैं जिनमें से 115.60 करोड़ रु. वर्श 2016-17 तक खर्च किये जा चुके हैं।
आयुक्त सचिव ने नेषनल इंस्टीच्यूट आफ टैकनालोजी (एनआईटी) श्रीनगर और गवर्नमैंट कालेज फार इंजीनियरिंग (जीसीईएंडटी) जम्मू  की कार्यकरनी के बारे में भी विस्तार किया। इसके साथ नये मंजूर किये गये संस्थान जैसे कि इंडियन इंस्टीच्यूट आफ मैनेजमेंट (आईआईएम) जम्मू परिसर के बिना श्रीनगर, इंडियन इंस्टीच्यूट आफ टेकनालोजी (आईआईटी), और  इंस्टीच्यूट आफ मैथेमैटिक्स के बारे में भी विस्तार किया। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के लिए 2 नये इंजीनियरिंग कालेजों की भी मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने नये मंजूर किये गये संस्थानों पीएमडीपी द्वारा दी गई राषि के बारे में भी विस्तार किया।
संख्या 153

पत्थरबाजों और सेना की जंग

दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू।
 
कश्मीर में सेना और पत्थरबाजों के बीच छीड़ी जंग जहां थमने का नाम नहीं ले रही है वहीं दूसरी और पत्थरबाजों के सेना पर पत्थराव और सेना के पत्थरबाजों को सबक सीखाने के वीडियो लगातार सोशल मीडिया पर वॉयरल होते जा रहे हैं। हालात इतने खतरनाक होते जा रहे हैं कि पत्थरबाज सेना को मासूम जनता की आड़ में अपना निशाना बना लेते हैं।
सेना अगर त्वरित कार्रवाई करने की कोशिश करती है तो बेगुनाह और बच्चे भी बेवजह मारे जा सकते हैं। यही वजह है कि भारतीय सेना को पत्थरबाजों को झेलना पड़ रहा है।
सेना की माने तो पैलेट गन के इस्तेमाल को समाज के कुछ बुद्धिजीवी लोग गलत ठहरा रहे हैं। जबकि वो इसके दूसरे पहलू को नहीं देखते हैं कि देखते कि पत्थर फेंकने वाले सेना को किस तरह निशाना बनाते हैं।
बहरहाल हम बात कर रहे हैं सोशल मीडिया में वॉयरल हुए उन वीडियोज की जो सेना और पत्थरबाजों के आपसी टकराव के हैं।
श्रीनगर उपचुनाव में वोटिंग में जमकर हिंसा हुई थी। एक सप्ताह बाद एक वीडियो सामने आया है जिसमें सत्ताधारी पार्टी पीडीएफ और दक्षिण कश्मीर का व्यापारी बंदूक की नोक पर भारत विरोधी नारे लगाते हुए नजर आ रहा है।  पार्टी का कहना है कि यह वीडियो एक सप्ताह पहले उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड किया गया था। उपचुनाव में अलगाववादियों ने बहिष्कार किया था। 
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बंदूकधारियों का एक समूह वली मुहम्मद भट्ट के घर पर आ धमका। सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बने हुए वीडियो में भट्ट को घबराया हुआ दिखाया गया है। एके -47 ताने कुछ लोग खड़े हैं। वीडियो में भट्ट भारत विरोधी नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं।  एक और वीडियो सामने आया है जिसमें एक यूनियन लीडर बशीर अहमद वानी को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया है।
हालांकि, अभी तक केस दर्ज नहीं किया गया है और भट्ट से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। पीडीएफ के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि घटना के बाद कार्यकर्ता को मीडिया के सामने आने से रोका जा रहा है। 
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर लोकसभा सीट के 38 मतदान केंद्रों पर 12 अप्रैल को हुए पुनर्मतदान में सिर्फ 2।02 फीसदी वोटिंग हुई थी। कश्मीर में यह अब तक का सबसे कम मतदान है। हलांकि, मतदान केंद्रों पर हिंसा की कोई बड़ी वारदात नही हुई। सभी जगह  शांति या फिर कहे खामोशी छाई रही। बडगाम जिले के चादूरा, चरार-ए-शरीफ, खानसाहिब और बीरवाह तहसील के 38 मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान के आदेश दिए गए थे, क्योंकि यहां रविवार को हुए चुनाव के दौरान बिंसा से मतदान ठीक से नही पाया था। यहां भड़की हिंसा में 8 लोगों की मौत हुई थी। गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में आतंकवादी बुरहान वानी की मौत के बाद में दक्षिन कश्मीर अशांति से गुजर रहा है।
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर सीआरपीएफ जवान को लात मारने का वीडियो वायरल हुआ। इस वायरल वीडियो में साफ-साफ इस जवान के पैर पर लात मारी गई और इसका हेलमेट गिर गया। जवान ने शांति से अपना हेलमेट उठाया और चलता रहा। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू कश्मीर दौरे के एक हफ्ते बाद हुई। अपने जम्मू कश्मीर दौरे पर पीएम मोदी ने कश्मीर के युवाओं से अपील की थी कि वे हिंसा को त्याग दें।
इस घटनाक्रम के बाद सेना की गाडिय़ों पर पथराव और सीआरपीएफ के जवानों की पिटाई का एक वीडियो वॉयरल हुआ। इस वीडियो के वॉयरल होने के बाद सेना का एक जवाबी वीडियो भी वॉयरल हुआ जिसमें सीआरपीएफ के जवानों की पिटाई और पत्थराव करने वाले युवकों की गिरफ्तारी दिखाई गई है और सेना के जवान उन्हें सबक सिखा रहे हैं। सबक सिखने के बाद ये युवक पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। वीडियो वॉयरल होने का सिलसिला यहीं नहीं थमा।
इन सारे हालात के बीच जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्बदुल्हा ट्विटर पर एक और वीडियो डाल देते हैं। इस वीडियो में सेना की गाड़ी के सामने एक युवक को बांधा गया और उसे कश्मीर के 9 गांवों में घुमाया गया। इस युवक के जरिए पत्थरबाजों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे ऐसा करेंगे तो उनके साथ ऐसा ही हश्र होगा। वीडियो के बाद विवाद शुरू हो गया है।
इसके बाद एक के बाद एक वीडियो वॉयरल होते जा रहे हैं। हाल ही में एक ऐसा वीडियो भी जारी हुआ जिसमें सेना के जवान पत्थरबाज युवक की डंडे से पिटाई कर रहे हैं।
इस सारे घटनाक्रम पर राजनीतिज्ञ भी अपनी राजनीति को बचाने के लिए पैनी नजर रखे हुए हैं। घाटी में जारी हिंसा के चलते जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती दिल्ली में आर्मी चीफ बिपिन रावत से मिलीं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सेना इससे हुए नुकसान की भरपाई जल्द ही करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महबूबा ने कहा, 'डंडे से कुछ नहीं निकलेगा। अब तक जो हुआ सो हुआ, अब इसे दोहराया नहीं जाना चाहिए।Ó
कश्मीर में पत्थरबाजों और सेना के बीच जंग अभी भी जारी है। पत्थरबाजों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने के लिए जहां भारतीय सेना के हाथ बंधे हुए हैं, वहीं पत्थरबाज इसका पूरा लाभ उठा रहे हैं। जिसके चलते हालात बहुत ही खतरनाक बनते जा रहे हैं। यह लड़ाई अब सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों तक पहुंच रही है। वॉयरल हुए वीडियो लाखों लोगों के द्वारा देखे जा रहे हैं। लाखों करोड़ों भारतीय इन वीडियोज को देखने के बाद भारतीय सेना की फेवर में कमेंट कर रहे हैं वही दूसरी और पाकिस्तानी पत्थरबाजों की सराहना कर रहे हैं।