मंगलवार, अप्रैल 18, 2017

बुलंद हौंसले, आत्मविश्वास का प्रतीक चनदीप सिंह


मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है
पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है। 

पहल परिवार ने चनदीप सिंह को सम्मानित किया
किसी शायर की ये पंक्तियां 18 वर्षीय चनदीप सिंह पर सटीक साबित होती एक ऐसा नौजवान जो बुलंद हौंसले, दृढ़ता और आत्मविश्वास का साक्षात प्रतीक है। वर्ष 2011 में घटी भयानक दुर्घटना भी चनदीप के बुलंद इरादों को कमजोर करने में नाकाम रही। इस दिन 11000 वोल्ट की हाईटेंशन लाईन गिरने से एक हंसते-खेलते परिवार पर मानो गाज गिर गई। इस दुर्घटना के कारण चनदीप को अपने दोनों हाथ खोने पड़े। इस दर्दनाक दुर्घटना ने पिता सुरेन्द्र सिंह एवं माता जगप्रित कौर को हिलाकर रख दिया, लेकिनं चनदीप ने अजीम जीवट का परिचय देते हुए हिम्मत देने की कोशिश की। इस दुर्घटना के बाद चनदीप ने अदम्य साहस के साथ तकदीर के लिखे को स्वीकार तो किया, लेकिन उसमें कुछ करने का ऐसा जज्बा जागा कि उसने फिर पिछे मुड़कर नहीं देखा। वह लगातार इस प्रयास में जुटा है कि कुछ ऐसा कर गुजरे की उस जैसे लोगों को प्रेरणा मिले।
चनदीप के सपनों को साकार करने के लिए माता-पिता, बहन रसलीन कौर, दोस्तों और स्कूल ने उसका हरसंभव सहयोग किया। आज राष्ट्रीय स्तर का रोलर स्केटिंग खिलाड़ी चनदीप आत्मविश्वास और झुझारूपन का सबूत है।
  वर्ष 2012 से 2015 के दौरान चनदीप ने रोलर स्केटिंग प्रतियोगिताओं में 7 स्वर्ण पदक, 3 रजत पदक और 1 कांस्य पदक जीता है।
  वर्ष 2013-2014 में आयोजित हुई सीबीएसइ दिल्ली नार्थ जोन स्पीड स्केटिंग चैम्पियनशिप में चनदीप को खेल भावना के लिए प्रशंसा पत्र एवं स्तृति चिंह प्रदान किया गया।
अपने साहसिक कारनामों से चनदीप ने जहां कई पुरस्कार जीते वहीं कई संस्थाओं द्वारा उसे सम्मानित भी किया गया। 2014 में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने एक पत्र के माध्यम से चनदीप की सराहना की। चनदीप के लिए उडऩ सिख मिल्खा सिंह से मुलाकात करना तो एक यादगार बन गई।
आज चनदीप अपने परिवार के सहयोग से हर कदम विश्वास से आगे बड़ा रहा है। उसके माता-पिता को बेहद अफसोस है कि राज्य सरकार की ओर से चनदीप को किसी भी प्रकार की सहायता मुहैया नहीं करवाई गई है। उनका कहना है कि अगर सरकार प्रयास करें तो चनदीप राज्य का नाम रोशन करने की योग्यता रखता है।
चनदीप का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन हार नहीं माननी चाहिए। वह बड़े आत्मविश्वास से कहता है कि भविष्य में एक बड़ा अधिकारी बनकर अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। वह खेल के साथ-साथ एक मेधावी विद्यार्थी भी है। 10वीं की सीबीएसई परीक्षा  उसने 80 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की। 

चनदीप से मिलकर एहसास होता है कि अगर हमें भारत रत्न ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के सपनों का भारत बनाना है तो हमें ऐसे ही बुलंद हौंसलों वाले नौजवानों को अपनी ताकत में बदलना होगा।

0 टिप्पणियाँ :

एक टिप्पणी भेजें