'हाईवे पर लगा शराब बेचने पर प्रतिबंध'
नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल और स्टेट हाईवे के दोनों तरफ 500 मीटर के दायरे में पडऩे वाले होटल, पब और रेस्तरां में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी है। यह रोक एक अप्रैल से लागू हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने शराब पीकर गाड़ी चलाने से होने वाले हादसों को रोकने के लिए होटलों और रेस्त्राओं को भी ढील देने से इन्कार कर दिया।
दिल्ली के पास के सभी हाईवे के निकट 500 मीटर के दायरे में स्थित करीब 50 रेस्त्राओं और होटलों में आज से शराब नहीं मिलेगी और कोई रखता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी। सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 65 शराब की दुकानों को सील कर दी जाए। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एक अप्रैल से देश में राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में आने वाली शराब की दुकानों, पबों, होटलों और बारों में शराब बेचने की अनुमति नहीं होगी।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल एन राव की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाने के कारण होने वाले सड़क हादसों के मद्देनजर यह आदेश दिया गया। पीठ ने स्पष्ट किया कि 15 दिसंबर के फैसले से पहले जिन शराब विक्रेताओं को लाइसेंस दिए गए, वे इस साल 30 सितंबर तक मान्य होंगे। 15 दिसंबर के फैसले के मुताबिक दूसरे शराब की दुकानें एक अप्रैल से बंद करनी होंगी।
उधर बिहार राज्य में पूर्ण शराबबंदी के एक साल पूरे होने के चार दिन पूर्व प्रदेश में शराब बनानेवाली सभी कंपनियों के लाइसेंस शनिवार को समाप्त हो जायेंगे। राज्य सरकार ने पहली अप्रैल से किसी भी कंपनी को आगे शराब बनाने के लाइसेंस का नवीकरण नहीं किया है। इस बाबत शराब बनानेवाली कंपनियों के एसोसिएशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी कंपनियों को दो महीने के अंदर अपने पूर्व के बने स्टॉक को खाली करने का निर्देश दिया है। हालांकि, शराबबंदी पर सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार इन कंपनियों को सिर्फ एक महीने का ही मोहलत देने के पक्ष में थी।
राज्य के प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि सरकार किसी भी कंपनी के लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने जा रही है, जो भी कंपनियां बिहार में शराब निर्माण कर रही हैं, उन्हें एक महीने के अंदर अपने पूर्व में बने स्टॉक को यहां से हटा लेने का आदेश भी दिया है। इस पर कोर्ट ने आंशिक संशोधन करते हुए कंपनियों को एक और महीने की मोहलत देते हुए दो महीने तक स्टॉक खाली करने का आदेश दिया है।
उन्होंने देर शाम बताया कि चार अप्रैल तक सभी कंपनियों को राज्य सरकार के समक्ष यह बताना होगा कि उसके पास पूर्व में बने कितने स्टॉक जमा है। सरकार एक सप्ताह के भीतर इसकी जांच करायेगी। फिर कंपनियों को इंपोर्ट प्रमाणपत्र दिखाने पर उन्हें दो महीने के अंदर पूरे स्टॉक को हटाने की अनुमति दी जायेगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पांच अप्रैल, 2016 से राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी की थी।
साथ ही एक अप्रैल, 2017 से राज्य में पूर्व से चली आ रही शराब कंपनियों के लाइसेंस को नवीकरण करने से भी मना कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश भर में शनिवार से नेशनल व स्टेट हाइवे के 500 मीटर के दायरे में आनेवाली शराब की दुकानें बंद करनी पड़ेंगी। हालांकि, 20,000 तक की आबादी वाले इलाकों और सिक्किम, मेघालय व हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों को इससे छूट होगी। वहां यह सीमा 500 से घटा कर 220 मीटर की गयी है। कोर्ट ने विभिन्न राज्यों की अर्जियों पर यह आदेश दिया।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हाइवे के पास शराब की दुकानों पर पाबंदी लगाने वाला फैसला बार, पब और रेस्तरां पर भी लागू होगा, क्योंकि शराब पीकर गाड़ी चलाने से जानलेवा सड़क हादसे होते हैं। नेशनल और स्टेट हाइवे से 500 मीटर दूर तक शराब की दुकानों पर रोक जारी रहेगी या नहीं, अप्रैल की डेडलाइन बढ़ेगी या नहीं? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि फैसले में सुधार की जरूरत है, क्योंकि इससे 'राज्यों का बजट गड़बड़ा जायेगा।
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