मंगलवार, अप्रैल 18, 2017

बेबस जम्मू


जम्मू शहर में व्यापारिक गतिविधियां धीरे-धीरे थमती जा रही हैं। जम्मू के अधिकांश बाजारों में अब वो पहले वाली चमक नजर नहीं आती हैं, जो कुछ वर्ष पहले होती थी। इसका प्रमुख कारण है माता वैष्णो देवी यात्रा के आधार शिविर कटड़ा कस्बे को रेल संपर्क से जोड़ा जाना। इसके साथ ही जम्मू के निकटवर्ती धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं का अभाव। पूर्ववर्ती सरकारों के उदासीन रवैये के कारण आज जम्मू और इसके आसपास के इलाकों में कुछ भी ऐसा नहीँ है जो यात्रियों/पर्यटकों को आकर्षित कर सके। आज राज्य में आने वाले श्रद्धालु/पर्यटक सीधे माता वैष्णो देवी जाते हैं या फिर कश्मीर का रुख कर लेते हैं। वे जम्मू में नहीं रुकते, क्योंकि जम्मू मेँ पर्यटकों के आकर्षण का एकमात्र केन्द्र ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर ही एक ऐसा स्थान था जहां पर श्रद्धालु और सैलानी आकर रुकते और दर्शन करते हैं। शहर के निकटवर्ती पर्यटन स्थलों तक पहुंचने की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। शहर में पार्किंग स्थलों जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी एक प्रमुख कारण है, जिसके कारण पर्यटक अब शहर में ना आकर ट्रेन से या अन्य वाहनों से सीधे माता वैष्णो देवी या शहर के बाहर से ही श्रीनगर चले जाते हैं। इसी प्रकार कश्मीर में आने वाले पर्यटक भी जम्मू में दाखिल हुए बिना बाहर से ही अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं। इस कारण गत दो-तीन वर्षोँ से जम्मू आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आई हैं। जिसके परिणामस्वरूप पर्यटकों/श्रद्धालुओं पर आश्रित शहर के व्यापारी व होटल मालिक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जिसका प्रभाव शहर के प्रत्येक नागरिक पर पड़ रहा है। अगर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुछ प्रभावी उपाय शीघ्र नहीं किए गए तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। राज्य सरकार को जम्मू की ओर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। जम्मू के लिए प्रस्तावित विकास योजनाएं वर्षों से लंबित पड़ी हुई हैं। अगर इन परियोजनाओं को शीघ्र प्रारम्भ करवाकर युद्धस्तर पर निर्धारित समय में पूर्ण करवाया जाए, तब ही पर्यटकों को आकर्षित करने के सफल प्रयास किए जा सकते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार को कुल राजस्व का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जम्मू संभाग विशेषरूप से जम्मू द्वारा दिए जाने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों ने विकास के क्षेत्र में जम्मू की पूर्णतया अनदेखी की। जिसके परिणामस्वरूप आज जम्मू के व्यापारी स्वयं को बेबस पा रहे हैं।

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