बुधवार, अप्रैल 05, 2017

सब्र का कब तक इम्तिहान देते रहेंगे सैनिक

जम्मू-कश्मीर के बडग़ांव जिला में चादूरा इलाके में एक बार फिर से पत्थरमार गिरोह ने सैन्य आपरेशन में बाधा पहुंचाई है। सेना के इस आपरेशन में एक आतंकी मारा गया और हमारे करीब 53 जवान घायल हो गए। हैरानी यह कि हमारे जवानों को आतंकी से ज्यादा नुकसान उन लोगों ने पहुंचाया, जिनकी सुरक्षा की खातिर ये जवान सब कुछ छोड़कर सीमा पर डटे हुए हैं। जिस तरह के हालात घाटी में पैदा हो रहे हैं, उसमें हमारे सैनिकों के सामने दोहरी समस्या उठ खड़ी हुई है। हमारे जवान समझ नहीं पा रहे कि पहले आतंकियों से निपटें या इन पत्थरबाजों से? आखिर ये भटके हुए लोग कब तक सैनिकों के सब्र की परीक्षा लेते रहेंगे? क्या इस तरह का घात हमारी सेना का मनोबल नहीं तोड़ेगा? अब तो ऐसा लगने लगा है कि सीमा पार से आने वाले आतंकियों की मिट्टी ठिकाने लगाने से पहले अपने देश के इन्हीं गद्दारों से निपटा जाए। समय आ गया है कि अब इन लोगों को भी उसी भाषा में समझाया जाए, जो इन्हें पसंद है, ताकि देश में शांति प्रभावित न हो। जम्मू-कश्मीर में कुछ लोगों को आतंकियों से बेहद हमदर्दी है। घाटी में जब कभी आतंकियों और सैनिकों के बीच संघर्ष चला होता है, तो ये लोग पत्थर बरसाकर आतंकियों की मदद करते हैं। इसका फायदा उठाकर कई बार आतंकी हमारे सैनिकों या आम आम नागरिकों को नुकसान पहुंचा जाते हैं। जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिला में पिछले  एक बार फिर कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। बडगाम के चदूरा इलाके में दो आतंकियों के छिपे होने की सूचना के बाद सुरक्षाबलों ने इस इलाके में सर्च आपरेशन शुरू किया था। इसी दौरान सुरक्षाबलों को इस मुठभेड़ में दो तरफ से चुनौती का सामना करना पड़ा। एक तरफ आतंकवादी थे, तो दूसरी तरफ आतंकियों से सहानुभूति रखने वाले पत्थरबाज लोग। आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में एक शख्स के मारे जाने और आठ के घायल होने की खबर है। हैरानी यह कि अभी हाल ही में सेना की तरफ से सख्त हिदायत दी गई थी कि घाटी के युवा किसी भी सैन्य आपरेशन में पत्थराव करके बाधा न पहुंचाएं। इसके बावजूद ये लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। नतीजा यह हुआ कि इस बार इन युवकों को भी नुकसान झेलना पड़ा। इन लोगों का कोई दीन-ईमान है, तो खुद विचार करें कि जिस देश में ये सुविधाएं भोग रहे हैं, जिस देश के ये नागरिक हैं, जिस देश से इनकी पहचान है, उनका आचरण उसी के खिलाफ कैसे हो सकता है? राज्य की मुख्यमंत्री ने भी युवाओं के इस भटकाव को 'दुर्भाग्यपूर्ण' माना है। उम्मीद है कि घाटी के ये भटके हुए युवा जल्द इस रास्ते को छोड़कर आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए अभियान में सहयोग करेंगे।

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