बुधवार, अप्रैल 05, 2017

पतन की खाई में गिरता इंसान

आखिर इनसान इतना क्यों गिर चुका है? क्यों आदमी की शक्ल में भेडिय़ा दिखने लगा? परिवेश बदलने लगा, मानवता समाप्त होने लगी, नैतिक मूल्यों का पतन, हिंसा व आतंकवाद, दिन-ब-दिन बढ़ती चोरी-डकैती, लूटपाट, मानवता को शर्मसार करने वाली बलात्कार की घटनाएं! कहीं ये सब सृष्टि के महाविनाश का इशारा तो नहीं। सुबह उठकर अखबार उठाओ तो कहीं न कहीं ईश्वर द्वारा सबसे सुंदर निर्मित अपनी रचना रूपक इनसान का मुंह काला दिख रहा है। कहीं एक साल भर की बच्ची से बलात्कार, तो कहीं 90 साल की बुजुर्ग महिला से। कभी गुरु द्वारा शिष्या से बलात्कार तो कभी भाई-बहन के रिश्ते तार-तार और न जाने कितने ऐसे अनगिनत कुकर्म मानव श्रेणी व मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। कुछ दिन पहले बद्दी में सात वर्ष की बेटी से शराब पीकर व पिलाकर बलात्कार के बाद बच्ची का गला दबाकर हत्या कर देना, क्या किसी इनसान का कृत्य माना जा सकता है। जरूरत है, समय रहते ऐसी घटनाओं को रोकने की, वरना दुनिया भर में हमारे देश की छवि खराब होगी। न इस देश की मिट्टी से खुशबू आएगी, न यह संस्कारों का देश कहलाएगा और न यहां कन्या रूप में कोई देवी जन्म लेगी। ऐसा जब होगा तो हमारे पास मां नहीं होगी। ऐसे ही सृष्टि का महाविनाश हो जएगा। हम सभी ने मां से जन्म लिया है। उस मां के चरणों की सौगंध खाकर हमें ऐसे कुकृत्यों से दूर रहना है। इन घटनाओं को रोकने के लिए सूबे व केंद्र सरकारों को मिलकर कानून बनाने चाहिएं। ऐसे मामलों में दोषियों को तुरंत और सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। अत: देश-प्रदेश की सरकारें इस विषय को हल्के में न लें। यह एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। इस पर किसी तरह की ढील में समझदारी नहीं मानी जाएगी।

 

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