शनिवार, जुलाई 01, 2017

महाराष्ट्र में अब सरकार से जमीन वापस लेने के लिए आंदोलन

कई गाडिय़ों को किया आग के हवाले

मुंबई। कल्याण के नेवाली एयरपोर्ट के लिए सरकार द्वारा ली गई जमीन (एक्वीजिशन) को वापस लेने के लिए आंदोलन कर रहे किसान गुरुवार को हिंसक हो गए। उन्होंने सड़कों पर खड़ी कई गाडिय़ों में आग लगा दी। मौके पर पहुंचे पुलिसवालों को भी किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा। किसानों ने एसपी पर भी हमले की कोशिश की। फिलहाल, इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। बीते दिनों ने किसानों ने कर्जमाफी के मुद्दे पर जमकर आंदोलन किया था। दूध-सब्जियों का काफी नुकसान हुआ था। सीएम देवेंद्र फड़णवीस के कर्जमाफी के भरोसे के बाद हड़ताल टाल दी गई थी।
कल्याण-हाजी मलंग रोड पर स्थित नेवाली गांव के किसान पिछले कई दिनों से अपनी जमीन को वापस देने की मांग को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे थे।
 कुछ साल पहले सरकार ने यहां एयरपोर्ट बनाने के लिए किसानों ने जमीन ली थी। बाद में यहां सेना का कैम्प बनाने की तैयारियां शुरू हो गईं।
असल में सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय यह जमीन ब्रिटिश आर्मी के कब्जे में थी। देश आजाद हुआ और इस पर किसानों ने अपना हक जमा लिया। सेना अब फिर इस जमीन पर अपना अधिकार चाहती है।
किसान इसी बात का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन हवाई अड्डे के लिए ली गई थी, इसलिए यहां एयरपोर्ट ही बनना चाहिए।
किसान कई दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट कर रहे थे, लेकिन गुरुवार को आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया।
आंदोलनकारी किसानों ने गुरुवार को सड़क पर खड़ी कई गाडिय़ों में तोडफ़ोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया। इस घटना के बाद से कल्याण से हाजी मलंग जाने वाले रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद है। चश्मदीदों ने मौके से गोलियां चलने की बात भी कही है।
1 जून को अहमदनगर के पुणतांबा से किसानों ने आंदोलन के शुरू किया था। यह 8 जून तक चला। राज्य के कई हिस्सों में हिंसा हुई। फसल, सब्जियों और दूध की बर्बादी हुई।
8 किसानों ने खुदकुशी की। राज्य में जरूरी सामान की किल्लत हो गई थी। दूध के टैंकर्स पुलिस सिक्युरिटी में निकालने पड़े।
सरकार में शामिल शिवसेना ने भी किसानों का पक्ष लेते हुए समर्थन वापसी की तरफ इशारा तक कर दिया था।
2 जून को फड़णवीस ने किसानों को 31 अक्टूबर तक कर्जमाफी के मुद्दे पर फैसला लेने का भरोसा दिलाया था। ये भी कहा कि किसानों के बिजली के बिलों को भी माफ किया जाएगा।
किसान आंदोलन 2 गुटों में बंट गया था। संघ और बीजेपी से जुड़े किसान नेताओं ने आंदोलन वापस लेने का एलान किया था। इसके बाद भी विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। स्वाभिमानी किसान संगठन, भूमाता किसान आंदोलन और अन्य संगठनों ने यह आंदोलन जारी रखा था। आंदोलन को अन्ना हजारे और नाना पाटेकर ने भी सपोर्ट किया था।

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