नई दिल्ली।
सरकार पर शनिवार को परोक्ष हमला बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि देश की समावेशी परिकल्पना पर हमला हो रहा है तथा देश घरेलू कुशासन के कारण बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती निरंकुशता एवं धर्मान्धता के कारण भारत आज दोराहे पर खड़ा है। उन्होंने नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र के स्मारक प्रकाशन के अवसर पर यहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। समारोह को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया।
सोनिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना उस समय हुई जब राष्ट्रवाद विदेशी शासन के खिलाफ लड़ रहा था किन्तु घरेलू कुशासन हमारे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब हमारे देश में समावेशी परिकल्पना पर हमला हो रहा हो तथा प्रेस पर सवाल करने के बजाय सराहना और आज्ञापालन के लिए दबाव डाला जा रहा हो, पूरी ताकत से सत्य बोलना हमारे युग की अनिवार्यता है।" उन्होंने कहा कि बढ़ती निरंकुशता एवं धर्मान्धता के कारण भारत आज दोराहे पर खड़ा हुआ है।
सोनिया ने कहा कि आजादी के 70 सालों बाद हमने लंबी यात्रा की है। हम जबकि 70 साल की इस यात्रा का जश्न मना रहे हैं, हमें अपने भीतर भी झांक कर देखना चाहिए ताकि हम भविष्य को बेहतर बना सकें। उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड की कहानी बहुत कुछ आधुनिक भारत की तरह है। उन्होंने कहा कि सितंबर 1938 में इस अखबार को स्थापित करने के पीछे की बौद्धिक ताकत पंडित जवाहरलाल नेहरू थे जो कि इसके संस्थापक संपादक भी थे।
उन्होंने कहा कि यह समाचार पत्र आधुनिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा, आज हम अपने को धर्म, वर्ग, नस्ल एवं क्षेत्र के नाम पर विभाजित पाते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नेशनल हेराल्ड इस देश के मूल्यों-शांति, समृद्धि एवं भाईचारे के लिए निकाला गया था। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डा। अंबेडकर ऐसी विरासत छोड़कर गये हैं जो समय के उतार चढ़ाव पर खरी उतरी हैं।
उन्होंने कहा कि आज कट्टरपंथी ताकतों ने भारत के बहुत समय से आजमाये गये मूल्यों पर सवालिया निशान लगा दिया है। बढ़ती हुई असहिष्णुता के बीच द्वेषपूर्ण ताकतें लोगों को बता रही हैं कि उन्हें क्या नहीं खाना चाहिए, किससे प्यार नहीं करना चाहिए और उन्हें क्या विचार नहीं करना चाहिए। और इन सब को चौकसी के नाम पर उपद्रव करने वाली संस्कृति द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इनको उन लोगों का सक््िरय सहयोग मिल रहा है जिनका काम कानून को लागू करना है। इस तरह के उदाहरण तकरीबन प्रतिदिन हमारी अंतरात्मा को आहत करते हैं।
समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कंपनी के अध्यक्ष एवं कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, कांग्रेस के विभिन्न वरिष्ठ नेता, मीडिया जगत की प्रमुख हस्तियां, प्रियंका गांधी सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।
सरकार पर शनिवार को परोक्ष हमला बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि देश की समावेशी परिकल्पना पर हमला हो रहा है तथा देश घरेलू कुशासन के कारण बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़ती निरंकुशता एवं धर्मान्धता के कारण भारत आज दोराहे पर खड़ा है। उन्होंने नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र के स्मारक प्रकाशन के अवसर पर यहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। समारोह को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया।
सोनिया ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की स्थापना उस समय हुई जब राष्ट्रवाद विदेशी शासन के खिलाफ लड़ रहा था किन्तु घरेलू कुशासन हमारे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, "ऐसे समय में जब हमारे देश में समावेशी परिकल्पना पर हमला हो रहा हो तथा प्रेस पर सवाल करने के बजाय सराहना और आज्ञापालन के लिए दबाव डाला जा रहा हो, पूरी ताकत से सत्य बोलना हमारे युग की अनिवार्यता है।" उन्होंने कहा कि बढ़ती निरंकुशता एवं धर्मान्धता के कारण भारत आज दोराहे पर खड़ा हुआ है।
सोनिया ने कहा कि आजादी के 70 सालों बाद हमने लंबी यात्रा की है। हम जबकि 70 साल की इस यात्रा का जश्न मना रहे हैं, हमें अपने भीतर भी झांक कर देखना चाहिए ताकि हम भविष्य को बेहतर बना सकें। उन्होंने कहा कि नेशनल हेराल्ड की कहानी बहुत कुछ आधुनिक भारत की तरह है। उन्होंने कहा कि सितंबर 1938 में इस अखबार को स्थापित करने के पीछे की बौद्धिक ताकत पंडित जवाहरलाल नेहरू थे जो कि इसके संस्थापक संपादक भी थे।
उन्होंने कहा कि यह समाचार पत्र आधुनिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा, आज हम अपने को धर्म, वर्ग, नस्ल एवं क्षेत्र के नाम पर विभाजित पाते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नेशनल हेराल्ड इस देश के मूल्यों-शांति, समृद्धि एवं भाईचारे के लिए निकाला गया था। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डा। अंबेडकर ऐसी विरासत छोड़कर गये हैं जो समय के उतार चढ़ाव पर खरी उतरी हैं।
उन्होंने कहा कि आज कट्टरपंथी ताकतों ने भारत के बहुत समय से आजमाये गये मूल्यों पर सवालिया निशान लगा दिया है। बढ़ती हुई असहिष्णुता के बीच द्वेषपूर्ण ताकतें लोगों को बता रही हैं कि उन्हें क्या नहीं खाना चाहिए, किससे प्यार नहीं करना चाहिए और उन्हें क्या विचार नहीं करना चाहिए। और इन सब को चौकसी के नाम पर उपद्रव करने वाली संस्कृति द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इनको उन लोगों का सक््िरय सहयोग मिल रहा है जिनका काम कानून को लागू करना है। इस तरह के उदाहरण तकरीबन प्रतिदिन हमारी अंतरात्मा को आहत करते हैं।
समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक कंपनी के अध्यक्ष एवं कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, कांग्रेस के विभिन्न वरिष्ठ नेता, मीडिया जगत की प्रमुख हस्तियां, प्रियंका गांधी सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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