गुरुवार, जुलाई 13, 2017

रिटर्न को लेकर व्यापारियों और उद्योगपतियों में चिंता

काफी जद्दोजहद के बाद राज्य जम्मू-कश्मीर में भी जीएसटी आठ जुलाई से लागू


दीपाक्षर टाइम्स संवाददाता
जम्मू। 
आखिर काफी जद्दोजहद के बाद राज्य जम्मू-कश्मीर में भी जीएसटी आठ जुलाई से लागू हो गया। उल्लेखनीय है कि जीएसटी एक जुलाई से पूरे देश में लागू होना था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसे पूरे देश के साथ लागू नहीं किया जा सका था। इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया और राष्ट्रपति के अध्यादेश के बाद इसे सात जुलाई की रात 12 बजे बाद से लागू कर दिया गया।  जीएसटी लागू होने से क्या फायदा होगा और क्या नुकसान, यह तो कुछ समय बाद ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल राज्य के व्यापारियों के सामने एक और चिंता उपस्थित हो गई है।
राज्य में व्यापारियों ने तिमाही रिटर्न 30 जून को दाखिल कर दी है। सरकारी आदेशों के अनुसार एक जुलाई से जीएसटी लागू हो जाना था इसलिए वैट के आधार पर राज्य के व्यापारियों को मिलने वाली रियायत भी समाप्त हो जानी थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर में जीएसटी एक सप्ताह विलंब से लागू हुआ। अब व्यापारियों के सामने चिंता यह है कि वह एक जुलाई से सात जुलाई तक की रिटर्न को किस आधार पर दिखाएं क्योंकि इस अवधि में जीएसटी तो लागू हुआ नहीं था और वैट व रियायत की अवधि 30 जून को ही समाप्त हो चुकी। एक उद्योगपति ने बताया कि अगली तिमाही की रिटर्न दाखिल करते समय यह काफी परेशानी की बात होगी। क्योंकि व्यापारियों को एक से सात जुलाई तक की रिटर्न वैट के आधार पर भरनी पड़ेगी जबकि इसके बाद की रिटर्न जीएसटी के आधार पर भरनी होगी यानी कि व्यापारियों को दो रिटर्न भरनी पड़ेंगी, जिनके दस्तावेजों का रखरखाव करना व्यापारियों के लिए काफी दिक्कत भरा होने वाला है।
हालांकि इस बारे में सेल्स टैक्स कमिश्नर से बात की जा रही है और जल्द ही फाइनेंशियल कमेटी की मीटिंग कर इस बारे में हल निकाला जाएगा और इंडस्ट्रीज को जारी रियायतों पर फैसला लिया जाएगा। सूत्रों से पता चला है कि जल्द ही एक नोटिफिकेशन जारी कर उद्योग जगत को दी जाने वाली रियायत की अवधि सात दिन और बढ़ाकर 7 जुलाई कर दी जाएगी। लेकिन फिलहाल नोटिफिकेशन जारी न होने तक व्यापारियों के लिए यह भारी चिंता का सबब बन गई है।
इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर में भी जीएसटी की नई कर व्यवस्था लागू हो गई है। जम्मू-कश्मीर के वस्तु और सेवा कर (जेकेजीएसटी) विधेयक 2017 (2017 के ला बी बिल नंबर 6) को कल विधायिका के दोनों सदनों द्वारा ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया गया। इसके साथ ही रात 12 बजे से जम्मू भी एक राष्ट्र एक कर के साथ जुड़ गया।
जीएसटी विधेयक को शुक्रवार को वित्त मंत्री डॉ हसीब डारबु ने अलग-अलग सत्रों के दौरान दोनों सदनों में पेश किया था।
यह विधेयक में जम्मू और कश्मीर राज्य द्वारा या दोनों के साथ-साथ माल या सेवाओं के अंतर-राज्य की पूर्ति पर कर के संग्रह और कर के लिए प्रावधान है और इसके साथ जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान रखता है।
विधेयक को सदन में पेश किए जाने के दौरान, वित्त मंत्री ने कानून के गारे में विस्तृत विवरण दिए और सूचित किया कि विधेयक को भारत के राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त हुआ है।

उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर राज्य संविधान की धारा -5 और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में शामिल सभी आवश्यक सुरक्षा उपायों को राष्ट्रपति के आदेश में शामिल किया गया है, जिस पर इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा के दौरान विधायिका में कुछ सदस्यों द्वारा आशंका व्यक्त की गई थी।
राज्य विधायिका के विचार और पारित करने के लिए विधेयक को पेश करने से पूर्व, डॉ द्राबू ने राज्य की विशेष स्थिति और इसकी विशेष कराधान शक्तियों से संबंधित राष्ट्रपति के आदेश को पढ़ा। उन्होंने कहा, ''हालांकि सदन में एक राष्ट्रपति के आदेश को सदन में रखने की कोई परंपरा नहीं है, लेकिन हम  राष्ट्रपति के इस आदेश को सदन के पटल पर रख कर राज्य की लोकतंत्र में एक नई परंपरा शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि  राष्ट्रपति के आदेश का नियम-3 स्पष्ट रूप से बताता है कि ''इस आदेश में जो कुछ भी होता है, जम्मू और कश्मीर के संविधान की धारा -5 के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य की शक्तियां बरकरार रहेंगी।
डॉ द्राबू ने कहा कि ''जम्मू और कश्मीर राज्य के विधानमंडल को राज्य द्वारा लगाए गए सामानों और सेवाओं के संबंध में कानून बनाने की शक्तियां होंगी। राज्य की विशेष स्थिति और विशेष कराधान अधिकारों से संबंधित राष्ट्रपति के आदेश के कुछ अंशों को पढ़ते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर के संविधान की धारा 5 के माध्यम से सक्षम किसी भी कर लगाने के संबंध में जम्मू और कश्मीर राज्य की विधायिका को कानून बनाने की विशेष शक्तियां होंगी।
 राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार जम्मू और कश्मीर राज्य से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों पर असर डालने के किसी भी फैसले के उद्देश्य के लिए धारा 4 में धारा 11 में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) परिषद में जम्मू और कश्मीर राज्य के प्रतिनिधि की सहमति अनिवार्य होगी और अनुच्छेद 370 के तहत प्रदान की गई प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इस लेख में जम्मू और कश्मीर के संविधान के धारा -5 के आधार पर जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायी क्षमता किसी भी तरह प्रभावित होगी। आदश के अनुसार राज्य को विभाजित राशि भारत के समेकित निधि का हिस्सा नहीं बनायेगी। ''जहां धारा (ए) के तहत लगाए गए टैक्स के रूप में एकत्रित राशि का इस्तेमाल अनुच्छेद 246 ए के तहत राज्य द्वारा लगाए गए कर के भुगतान के लिए किया गया है, ऐसी राशि भारत के समेकित निधि का हिस्सा नहीं बनती है।
डॉ द्राबू ने कहा, '' राष्ट्रपति के आदेश में संवैधानिक सुरक्षा उपायों का समावेश इस सरकार के जम्मू व कश्मीर की विशेष स्थिति की रक्षा के हमारे संकल्प को कायम करता है। उन्होंने कहा ''विपक्ष ने दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर की वित्तीय स्वायत्तता से समझौता किया जाएगा और भारतीय संविधान के तहत राज्य की विशेष स्थिति कम हो जाएगी। राष्ट्रपति के आदेश ने हमारे संवैधानिक, आर्थिक और प्रशासनिक शक्तियों की सुरक्षा के द्वारा जम्मू और कश्मीर विधानसभा की पवित्रता का सम्मान किया है।
निर्दलीय विधायक पवन गुप्ता के लखनपुर में टोल कर और प्रवेश कर के उन्मूलन के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, डॉ द्राबू ने कहा कि माल पर कोई प्रवेश कर नहीं होगा, लेकिन टोल टैक्स का मुद्दा राज्य सरकार का विषय है और कुछ समय में ही राज्य मंत्रिमंडल फैसला करेगा।
जीवन में ठं

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