नई दिल्ली।
चीन से जारी इस तनातनी के बीच आज से बंगाल की खाड़ी में अभ्यास मालाबार शुरू हो रहा है, जिसके तहत भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं एक संयुक्त अभ्यास करेंगी। हर साल होने वाले इस अभ्यास में विमानवाहक पोत, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां और जंगी जहाज़ हिस्सा लेंगे। ये अभ्यास 1992 से शुरू हुआ है और तब से लगातार जारी है। इस अभ्यास का मकसद तीनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य ऑपरेशन के दौरान बेहतर तालमेल बनाना है। ये अभ्यास अगले दस दिन तक चलेगा जिसमें समंदर में तीनों देशों की सेनाओं की ताकत और अत्याधुनिक तकनीक का प्रदर्शन होगा।
इस अभ्यास में भारत की ओर से सबसे बड़ा विमानवाहक पोत विक्रमादित्य की अगुवाई में छह से सात युद्धपोत और एक पनडुब्बी शामिल होंगे। विक्रमादित्य पर मिग-29 के लड़ाकू विमान तो होंगे ही। वही अमेरिका की ओर से 100,000 टन वजनी विमानवाहक पोत निमित्ज के साथ साथ तीन से चार विध्वसंक (डिस्ट्रॉयर ) और परमाणु पनडुब्बी शामिल होंगे। यूएसए विमानवाहक पोत एफ -18 लड़ाकू विमान से लैस होंगे। जापान की ओर से 27 हजार टन वजनी हेलिकॉप्टर करियर इजुमो के अलावा और भी कई युद्धपोत लेकर आ रहा है। इस बार के युद्धाभ्यास की सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि पहली बार ऐसा होगा कि तीन विमानवाहक पोत हिस्सा लेंगे। इसमें अमेरिका का निमित्ज, भारत का आईएनएस विक्रमादित्य और जापान का इजुमो विमान वाहक पोत शामिल होगा।
इस बार युद्धाभ्यास का फोकस है एन्टी सबमरीन ऑपरेशन यानी कैसे मिलकर दुश्मन की पनडुब्बी को मार गिराया जाए। हिंद महासगार के बंगाल की खाड़ी में होने इस युद्धभ्यास पर चीन की काफी टेढ़ी नजर है। वो हमेशा इस अभ्यास को संदेह से देखता है कि उसे लगता है ये सब उसको घेरने के लिए किया जा रहा है क्योंकि इन देशों का चीन के साथ किसी ना किसी मुद्दे पर विरोध रहा है। जाहिर है ऐसे वक्त में जब भारत की चीन के साथ टकराव जगजहिर है ऐसे में तीनों देशों की नौसेना मिलकर संयुक्त अभ्यास करने से चीन का अखरना लाजिमी है।
चीन से जारी इस तनातनी के बीच आज से बंगाल की खाड़ी में अभ्यास मालाबार शुरू हो रहा है, जिसके तहत भारत, अमेरिका और जापान की नौसेनाएं एक संयुक्त अभ्यास करेंगी। हर साल होने वाले इस अभ्यास में विमानवाहक पोत, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां और जंगी जहाज़ हिस्सा लेंगे। ये अभ्यास 1992 से शुरू हुआ है और तब से लगातार जारी है। इस अभ्यास का मकसद तीनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य ऑपरेशन के दौरान बेहतर तालमेल बनाना है। ये अभ्यास अगले दस दिन तक चलेगा जिसमें समंदर में तीनों देशों की सेनाओं की ताकत और अत्याधुनिक तकनीक का प्रदर्शन होगा।
इस अभ्यास में भारत की ओर से सबसे बड़ा विमानवाहक पोत विक्रमादित्य की अगुवाई में छह से सात युद्धपोत और एक पनडुब्बी शामिल होंगे। विक्रमादित्य पर मिग-29 के लड़ाकू विमान तो होंगे ही। वही अमेरिका की ओर से 100,000 टन वजनी विमानवाहक पोत निमित्ज के साथ साथ तीन से चार विध्वसंक (डिस्ट्रॉयर ) और परमाणु पनडुब्बी शामिल होंगे। यूएसए विमानवाहक पोत एफ -18 लड़ाकू विमान से लैस होंगे। जापान की ओर से 27 हजार टन वजनी हेलिकॉप्टर करियर इजुमो के अलावा और भी कई युद्धपोत लेकर आ रहा है। इस बार के युद्धाभ्यास की सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि पहली बार ऐसा होगा कि तीन विमानवाहक पोत हिस्सा लेंगे। इसमें अमेरिका का निमित्ज, भारत का आईएनएस विक्रमादित्य और जापान का इजुमो विमान वाहक पोत शामिल होगा।
इस बार युद्धाभ्यास का फोकस है एन्टी सबमरीन ऑपरेशन यानी कैसे मिलकर दुश्मन की पनडुब्बी को मार गिराया जाए। हिंद महासगार के बंगाल की खाड़ी में होने इस युद्धभ्यास पर चीन की काफी टेढ़ी नजर है। वो हमेशा इस अभ्यास को संदेह से देखता है कि उसे लगता है ये सब उसको घेरने के लिए किया जा रहा है क्योंकि इन देशों का चीन के साथ किसी ना किसी मुद्दे पर विरोध रहा है। जाहिर है ऐसे वक्त में जब भारत की चीन के साथ टकराव जगजहिर है ऐसे में तीनों देशों की नौसेना मिलकर संयुक्त अभ्यास करने से चीन का अखरना लाजिमी है।
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