रायपुर। शनिवार को हुई लोक अदालत में कुटुम्ब न्यायालय में एक ऐसा मामला आया जिसमें 85 साल की पत्नी ने 95 साल के पति से गुजारा भत्ता दिलाने की गुजारिश की।
वृद्धा के आवेदन पर कोर्ट ने पति को भी अदालत में बुलाया। जब दोनों जज विमला कपूर के सामने पेश हुए तो पत्नी ने कहा कि अब उसके हाथ-पैरों में ताकत नहीं रही और बीमार रहने लगी है, इसलिए खर्च चलाने के लिए पति से हर माह पैसा दिलाया जाए।
वृद्ध पति ने जज से कहा-स्वयं नाती के रहमोकरम पर पल रहा हूं, भला इस उम्र में कहां से कमाई कर पाऊंगा। जज ने दोनों की बात सुनी और मामले की सुनवाई के लिए आगे की तारीख दे दी।
अदालत में वृद्ध अपनी बेटी के बेटे (नाती) के साथ आया था और वृद्धा अपने बेटे के साथ आई थी। पूछने पर वृद्धा तो कुछ भी बताने को तैयार नहीं हुई, लेकिन ग्राम उपरवारा निवासी वृद्ध खेमू धीवर ने बताया कि दोनों 35 साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। दोनों के पांच बच्चे हैं और सभी का अपना परिवार है।
पत्नी छोटे बेटे के साथ रहती है और मुझे मेरी बेटी का बेटा अपने साथ रखता है। जैसे-तैसे मुझे दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है और अब 95 साल की उम्र में पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही है। न मेरे पास जमीन है न जायदाद। मैं इस उम्र में भत्ता नहीं दे सकता। आज तो अदालत ने आगे की तारीख दे दी है, अब बुढ़ापे में अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे। पत्नी को कोई तो समझाए कि मैं कहां से लाकर पैसे दूंगा। लोक अदालत में कुल 2657 मामलों की सुनवाई की गई। इसमें 560 मामलों का निराकरण किया गया। इसमें राजीनामा योग्य 234 मामले, चेक बाउंस के 69, दुर्घटना दावा के 89, सिविल वाद के 55, विद्युत के 67, विवाह संबंधी 14 मामलों का निराकरण किया गया। आपराधिक मामले के अलावा 7500 प्री लिटिगेशन मामले भी सुनवाई के लिए रखे गए।
रायपुर जिला सत्र न्यायाधीश नीलमचंद सांखला ने दीप प्रज्ज्वलित कर लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस मौके पर कहा कि जब हमारे साथ कोई नहीं होता तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण साथी बनकर आता है। लोक अदालतें न सिर्फ मामले निराकृत करती हैं, बल्कि पक्षकारों के मध्य संबंधों को भी मजबूत बनाती है। विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार जैन ने आभार जताया। संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव उमेश उपाध्याय ने किया। आम दिनों में अदालत परिसर में जैसा माहौल होता है उससे भी ज्यादा भीड़ लोक अदालत में दिखाई दी। करीब 12 हजार लोग पहुंचे। सभी के लिए नि:शुल्क भोजन-पानी की व्यवस्था की गई थी। साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया। राजीनामा करने वाले पक्षकारों को उपहार में औषधीय व फलदार पौधे प्रदान कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।
वृद्धा के आवेदन पर कोर्ट ने पति को भी अदालत में बुलाया। जब दोनों जज विमला कपूर के सामने पेश हुए तो पत्नी ने कहा कि अब उसके हाथ-पैरों में ताकत नहीं रही और बीमार रहने लगी है, इसलिए खर्च चलाने के लिए पति से हर माह पैसा दिलाया जाए।
वृद्ध पति ने जज से कहा-स्वयं नाती के रहमोकरम पर पल रहा हूं, भला इस उम्र में कहां से कमाई कर पाऊंगा। जज ने दोनों की बात सुनी और मामले की सुनवाई के लिए आगे की तारीख दे दी।
अदालत में वृद्ध अपनी बेटी के बेटे (नाती) के साथ आया था और वृद्धा अपने बेटे के साथ आई थी। पूछने पर वृद्धा तो कुछ भी बताने को तैयार नहीं हुई, लेकिन ग्राम उपरवारा निवासी वृद्ध खेमू धीवर ने बताया कि दोनों 35 साल से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं। दोनों के पांच बच्चे हैं और सभी का अपना परिवार है।
पत्नी छोटे बेटे के साथ रहती है और मुझे मेरी बेटी का बेटा अपने साथ रखता है। जैसे-तैसे मुझे दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है और अब 95 साल की उम्र में पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही है। न मेरे पास जमीन है न जायदाद। मैं इस उम्र में भत्ता नहीं दे सकता। आज तो अदालत ने आगे की तारीख दे दी है, अब बुढ़ापे में अदालत के चक्कर लगाने पड़ेंगे। पत्नी को कोई तो समझाए कि मैं कहां से लाकर पैसे दूंगा। लोक अदालत में कुल 2657 मामलों की सुनवाई की गई। इसमें 560 मामलों का निराकरण किया गया। इसमें राजीनामा योग्य 234 मामले, चेक बाउंस के 69, दुर्घटना दावा के 89, सिविल वाद के 55, विद्युत के 67, विवाह संबंधी 14 मामलों का निराकरण किया गया। आपराधिक मामले के अलावा 7500 प्री लिटिगेशन मामले भी सुनवाई के लिए रखे गए।
रायपुर जिला सत्र न्यायाधीश नीलमचंद सांखला ने दीप प्रज्ज्वलित कर लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस मौके पर कहा कि जब हमारे साथ कोई नहीं होता तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण साथी बनकर आता है। लोक अदालतें न सिर्फ मामले निराकृत करती हैं, बल्कि पक्षकारों के मध्य संबंधों को भी मजबूत बनाती है। विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार जैन ने आभार जताया। संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव उमेश उपाध्याय ने किया। आम दिनों में अदालत परिसर में जैसा माहौल होता है उससे भी ज्यादा भीड़ लोक अदालत में दिखाई दी। करीब 12 हजार लोग पहुंचे। सभी के लिए नि:शुल्क भोजन-पानी की व्यवस्था की गई थी। साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया। राजीनामा करने वाले पक्षकारों को उपहार में औषधीय व फलदार पौधे प्रदान कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।
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