'पहल' की एक और पहल
नाम: मनु राजपूत

जब कभी जीवन में माुं या पापा कभी हमें डांटते या हम पर गुस्सा करते थे तो वे हमेशा मुझे बचा लिया करते थे। कहते थे- मैं खुद प्यार से समझा दूंगा। आप इस पर गुस्सा न करो। वह खुश रहने पर बड़ा जोर देते थे। मैंने जो भी जीवन में सीखा है उसमें अधिकतर मुझे याद आता है कि अपने दादी-दादु से ही सीखा है।
आज मेरे दादी और दादू जी, भले ही मेरे साथ नहीं हैं लेकिन जो भी बातें मैंने उनसे सीखी हैं, वह हमेशा मेरे दिल में रहेंगी। मैं सबसे अनुरोध करती हूं कि हमारे बुजुर्ग जीवन में ठंडी छाया की तरह हैं इसलिए उनका पूरा ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें भी अच्छी जिंदगी जीने का हर मौका देना चाहिए। उन्होंने भी अपनी जवानी में सबको लाभ दिया है। अब हमें भी उनकी खुशी का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए और उन्हें महसूस करना चाहिए कि वह हमारे लिए कोई बोझ नहीं हैं।
आज मेरे दादी और दादू जी, भले ही मेरे साथ नहीं हैं लेकिन जो भी बातें मैंने उनसे सीखी हैं, वह हमेशा मेरे दिल में रहेंगी। मैं सबसे अनुरोध करती हूं कि हमारे बुजुर्ग जीवन में ठंडी छाया की तरह हैं इसलिए उनका पूरा ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें भी अच्छी जिंदगी जीने का हर मौका देना चाहिए। उन्होंने भी अपनी जवानी में सबको लाभ दिया है। अब हमें भी उनकी खुशी का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए और उन्हें महसूस करना चाहिए कि वह हमारे लिए कोई बोझ नहीं हैं।
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