गुरुवार, जुलाई 13, 2017

जीवन में ठंडी छाया होते हैं बुजुर्ग

'पहल' की एक और पहल   

नाम: मनु राजपूत

 
मेरा नाम मनु राजपूत है।  मैं 17 माइल्ल्स सांबा के पास पेखड़ी गांव की निवासी हूं। सामाजिक संस्था 'पहल' की प्रेरणा पाकर विचार आया कि बुजुर्ग कितने प्यारे और बच्चों तथा छोटों को प्यार देने वाले होते हैं। इनके बारे में क्यों न अपने विचार व्यक्त करूं। क्योंकि अक्सर मैं देखती और महसूस करती हूं कि आज की पीढ़ी में  बुजुर्गों के लिए आदर तथा प्यार गायब होता जा रहा है। आज की पीढ़ी बजुजर्गों के महत्व को न समझते हुए उनको नजरअंदाज कर रही है जो उचित नहीं है। मेरे मन में बजुर्गों के लिए बहुत प्यार तथा आदर है। जैसे मेरे दादाजी कभी घर नहीं होते तो घर में सूना-सूना सा लगता है, उनसे घर भरा-भरा लगता है। हम प्यार से उन्हें ददुजी कहते हैं। मेरे दादाजी आर्मी से रिटायर हुए थे। मेरे दादाजी का नाम श्री संसार चंद था। उनके मन में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। खुद अनुशासनप्रिय होने के साथ-साथ उन्होंने हमें भी अनुशासन में रहना सिखाया। उनके पास बैठना बहुत अच्छा लगता था क्योंकि वह हमें बहुत कुछ सिखाते थे तथा कहानियां-किस्से भी सुनाते थे। उन्होंने हमें हमेशा सच बोलना सिखाया। वह मुझे कहते थे- बेटा जीवन में जितने भी दु:ख, तकलीफ आएं, मगर कभी घबराना नहीं चाहिए।
जब कभी जीवन में माुं या पापा कभी हमें डांटते या हम पर गुस्सा करते थे तो वे हमेशा मुझे बचा लिया करते थे। कहते थे- मैं खुद प्यार से समझा दूंगा। आप इस पर गुस्सा न करो। वह खुश रहने पर बड़ा जोर देते थे। मैंने जो भी जीवन में सीखा है उसमें अधिकतर मुझे याद आता है कि अपने दादी-दादु से ही सीखा है।
आज मेरे दादी और दादू जी, भले ही मेरे साथ नहीं हैं लेकिन जो भी बातें मैंने उनसे सीखी हैं, वह हमेशा मेरे दिल में रहेंगी। मैं सबसे अनुरोध करती हूं कि हमारे बुजुर्ग जीवन में ठंडी छाया की तरह हैं इसलिए उनका पूरा ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें भी अच्छी जिंदगी जीने का हर मौका देना चाहिए। उन्होंने भी अपनी जवानी में सबको लाभ दिया है। अब हमें भी उनकी खुशी का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए और उन्हें महसूस करना चाहिए कि वह हमारे लिए कोई बोझ नहीं हैं।

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