नई दिल्ली।
आरबीआई अब मार्केट में छोटे नोटों की सप्लाइ बढ़ाएगा। मार्केट में अब 50, 100 और 500 रुपये के नोटों की सप्लाइ बढ़ेगी। अगस्त अंत तक 200 रुपये के नए नोट भी मार्केट में आ सकते हैं। बैंकिग सूत्रों का कहना है कि छोटे नोटों की संख्या बढ़ाने का मतलब 2000 रुपये के नोट को बाहर का रास्ता दिखाने की शुरुआत हो सकती है। एसबीआई अपने एटीएम रीकैलिब्रेट कर रहा है, ताकि 500 रुपये के नोटों को ज्यादा जगह मिले।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 11 अप्रैल को नोटों की छपाई के लिए प्रॉडक्शन प्लानिंग की बैठक हुई थी। बैठक में रिजर्व बैंक ने 2000 के सौ करोड़ नोट छापने का प्रस्ताव रखा था, मगर वित्त मंत्रालय ने 2000 के नोट छापने का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया गया था। हालांकि बाकी छोटे नोट छापने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार छोटे नोटों की सप्लाइ बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके 2 फायदे हैं। एक, जाली मुद्रा की साजिश पर लगाम लगेगी। दूसरा, सरकार चाहती है कि लोग कैश की जगह कार्ड से पेमेंट ज्यादा करें। बड़े नोट की कमी होने से लोगों को बड़ी राशि का कैश से पेमेंट करने में दिक्कत आएगी। ऐसे में वे ऑनलाइन या कार्ड से पेमेंट करेंगे। इससे कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा।
पिछले कुछ हफ्तों से एटीएम में 2000 रुपये के नोट की कमी देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार आरबीआई ने पिछले कुछ हफ्तों से बैंकों को 2 हजार रुपये के नोटों की कम आपूर्ति की है। इस कारण बैंक अब एटीएम में भी 2000 के नोट को कम भर रहे हैं। ऐसे में लग रहा है कि एटीएम से 2000 रुपये के नोट की जगह खत्म की जा रही है। इसके अलावा यह भी आशंका जताई जा रही है कि पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के ऐलान के तुरंत बाद आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट छापने शुरू किए थे और हो सकता है कि अब इनकी सप्लाइ ऐसे लेवल पर पहुंच गई हो, जिससे आरबीआई असहज महसूस कर रहा हो। यह कम वैल्यू के नोट ज्यादा प्रिंट करने की सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा होगा। आरबीआई जल्द 200 रुपये के नोट जारी कर सकता है।
रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया का कहना है कि हम चाहते हैं कि भारत जल्द से जल्द कैशलेस इकॉनमी बने। सरकार जो भी कदम उठा रही है, उसके पीछे इकॉनमी ग्रोथ में तेजी, ब्लैक मनी पर अंकुश और वित्तीय घाटे को एक निश्चित दायरे में रखना लक्ष्य है। ऐसा तभी हो पाएगा, जब लोग कैश की जगह ऑनलाइन पेमेंट करेंगे। इससे टैक्स चोरी कम होगी।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, देश में लोग अब छोटी करंसी का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। बड़े नोटों के इस्तेमाल में कमी आने का सबसे ज्यादा फायदा 100 रुपये के नोट के यूज में दिखा है। नोटबंदी लागू होने से पहले 100 रुपये के नोट का इस्तेमाल कुल करंसी में 9.6 फीसदी था, जो बढ़कर 20.3 फीसदी हो गया है। डिमोनेटाइजेशन एंड कैश एफिशंसी नामक रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल इस्तेमाल किए जा रहे कुल नोट में 500 और 100 रुपये की हिस्सेदारी 86.3फीसदी थी, जो फिलहाल 72.4 फीसदी रह गई है। एसबीआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर नीरज व्यास ने कहा, 'अभी हमें आरबीआई से हाई वैल्यू करंसी में 500 रुपये के नोट मिल रहे हैं। 2000 रुपये के नोट हमारे काउंटर्स पर रीसर्कुलेशन के जरिए आ रहे हैं।' एसबीआई के देश में लगभग 58,000 एटीएम हैं। एसबीआई ने अपने कुछ एटीएम में 2000 रुपये के नोटों के करंसी कैसेट्स को 500 रुपये के नोटों के लिए रीकैलिब्रेट भी किया है ताकि एटीएम में ज्यादा कैश रखा जा सके। इस मामले में कॉमेंट के लिए आरबीआई को भेजी गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
आरबीआई अब मार्केट में छोटे नोटों की सप्लाइ बढ़ाएगा। मार्केट में अब 50, 100 और 500 रुपये के नोटों की सप्लाइ बढ़ेगी। अगस्त अंत तक 200 रुपये के नए नोट भी मार्केट में आ सकते हैं। बैंकिग सूत्रों का कहना है कि छोटे नोटों की संख्या बढ़ाने का मतलब 2000 रुपये के नोट को बाहर का रास्ता दिखाने की शुरुआत हो सकती है। एसबीआई अपने एटीएम रीकैलिब्रेट कर रहा है, ताकि 500 रुपये के नोटों को ज्यादा जगह मिले।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार 11 अप्रैल को नोटों की छपाई के लिए प्रॉडक्शन प्लानिंग की बैठक हुई थी। बैठक में रिजर्व बैंक ने 2000 के सौ करोड़ नोट छापने का प्रस्ताव रखा था, मगर वित्त मंत्रालय ने 2000 के नोट छापने का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया गया था। हालांकि बाकी छोटे नोट छापने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार छोटे नोटों की सप्लाइ बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके 2 फायदे हैं। एक, जाली मुद्रा की साजिश पर लगाम लगेगी। दूसरा, सरकार चाहती है कि लोग कैश की जगह कार्ड से पेमेंट ज्यादा करें। बड़े नोट की कमी होने से लोगों को बड़ी राशि का कैश से पेमेंट करने में दिक्कत आएगी। ऐसे में वे ऑनलाइन या कार्ड से पेमेंट करेंगे। इससे कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा।
पिछले कुछ हफ्तों से एटीएम में 2000 रुपये के नोट की कमी देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार आरबीआई ने पिछले कुछ हफ्तों से बैंकों को 2 हजार रुपये के नोटों की कम आपूर्ति की है। इस कारण बैंक अब एटीएम में भी 2000 के नोट को कम भर रहे हैं। ऐसे में लग रहा है कि एटीएम से 2000 रुपये के नोट की जगह खत्म की जा रही है। इसके अलावा यह भी आशंका जताई जा रही है कि पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के ऐलान के तुरंत बाद आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट छापने शुरू किए थे और हो सकता है कि अब इनकी सप्लाइ ऐसे लेवल पर पहुंच गई हो, जिससे आरबीआई असहज महसूस कर रहा हो। यह कम वैल्यू के नोट ज्यादा प्रिंट करने की सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा होगा। आरबीआई जल्द 200 रुपये के नोट जारी कर सकता है।
रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अढिया का कहना है कि हम चाहते हैं कि भारत जल्द से जल्द कैशलेस इकॉनमी बने। सरकार जो भी कदम उठा रही है, उसके पीछे इकॉनमी ग्रोथ में तेजी, ब्लैक मनी पर अंकुश और वित्तीय घाटे को एक निश्चित दायरे में रखना लक्ष्य है। ऐसा तभी हो पाएगा, जब लोग कैश की जगह ऑनलाइन पेमेंट करेंगे। इससे टैक्स चोरी कम होगी।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, देश में लोग अब छोटी करंसी का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। बड़े नोटों के इस्तेमाल में कमी आने का सबसे ज्यादा फायदा 100 रुपये के नोट के यूज में दिखा है। नोटबंदी लागू होने से पहले 100 रुपये के नोट का इस्तेमाल कुल करंसी में 9.6 फीसदी था, जो बढ़कर 20.3 फीसदी हो गया है। डिमोनेटाइजेशन एंड कैश एफिशंसी नामक रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल इस्तेमाल किए जा रहे कुल नोट में 500 और 100 रुपये की हिस्सेदारी 86.3फीसदी थी, जो फिलहाल 72.4 फीसदी रह गई है। एसबीआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर नीरज व्यास ने कहा, 'अभी हमें आरबीआई से हाई वैल्यू करंसी में 500 रुपये के नोट मिल रहे हैं। 2000 रुपये के नोट हमारे काउंटर्स पर रीसर्कुलेशन के जरिए आ रहे हैं।' एसबीआई के देश में लगभग 58,000 एटीएम हैं। एसबीआई ने अपने कुछ एटीएम में 2000 रुपये के नोटों के करंसी कैसेट्स को 500 रुपये के नोटों के लिए रीकैलिब्रेट भी किया है ताकि एटीएम में ज्यादा कैश रखा जा सके। इस मामले में कॉमेंट के लिए आरबीआई को भेजी गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
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