
'ऊँ. नीलाञ्जन समाभासम्, रवि पुत्रम् यमाग्रजम्
छाया मार्तड समभूतम् तम् नमामि शनैश्चरम।।
शनि की साढ़ेसाती की शांति के लिए साढ़े सात वर्षों में जितनी भी शनैश्चरी अमावस्या आएं, उस दिन आधा मीटर काले कपड़े पर बीचोंबीच शनि का पन्द्रैया यंत्र हनुमान जी के सिंदूर में सरसों का या तिल का तेल मिलाकर बना दें तथा यंत्र पर बिना पानी का नारियल रखकर बांधकर शरीर से सात बार उतारा करके तेज बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
ढैय्या संबंधी शांति उपाय:
शनिदेव जी जब किसी जातक के जीवन में ढाई वर्ष के लिए प्रवेश करते हैं तो उस समय को शनि का ढैय्या कहते हैं। शनि का ढैय्या भी शनि की साढ़ेसाती की तरह प्रत्येक राशि पर आता है। जब किसी भी जातक की जन्मराशि से शनिदेव गोचर में परिक्रमा करते हुए चतुर्थ स्थान या अष्टम स्थान पर विराजमान होते हैं तो उस राशि को शनि का ढैय्या लग जाता है। ढैय्या से संबंधित उपाय यदि कोई जातक करता है तो निश्चय ही शनिदेव जी उस जातक को जीवन की समस्त संपन्नताओं से अवश्य अलंकृत करते हैं।
उपाय: शनि की ढैय्या में चंद्रमा की पहचान बनाने वाले ग्रह शनि द्वारा पीडि़त होते हैं। चंद्रमा के सफेद रंग पर शनि का काला रंग चढऩे लगता है व चंद्रमा डूबने लगता है। चंद्रमा की शक्ति को उभारने के लिए हमें शांति उपाय करने होते हैं। चंद्रमा के सफेद रंग के कारण आधा मीटर सफेद रंग का कपड़ा लें, उस पर काजल की स्याही से शनिदेव का तेतीसा यंत्र बना दें।
उस यंत्र पर बिना पानी वाला सूखा नारियल रखकर पोटली जैसे बांध लें फिर अपने शरीर से सात बात उतारा करें तथा शनि कृपा प्राप्ति हेतु प्रार्थना करके किसी तेज बहते हुए जल में प्रवाहित करें। ऐसा तीन शनैश्चरी अमावस्या को करें।
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